प्रीति जिंटा: उस पार्टी की कहानी जिसने शिमला की इस लड़की को स्टार बना दिया

बॉलीवुड की वो हिरोइन जो अकेले माफिया के खिलाफ खड़ी हो गई थी

सन 2000. मल्टीप्लेक्स आए नहीं थे उस वक़्त. फिल्में देखना फैमिली के लिए एक इवेंट होता था. सब साथ में जाते थे. उस साल एक ऐसी फिल्म आई, जिसने सिनेमाघर में बैठे लोगों को अनकम्फर्टेबल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लोग  बगलें झांकते नज़र आए.

स्क्रीन पर एक ‘कुंवारी’ लड़की मां जो बन चुकी थी. वो रोई नहीं. मरी नहीं. मारी नहीं गई. सैकड़ों लोगों के सामने खड़ी होकर आंखों में आंखें डालकर बोली. उस एक पल में स्क्रीन के ज़रिए वो लड़की एक ही साथ स्क्रीन के इस पर बैठे लाखों लोगों से एक साथ बोली. कुछ भौंचक देखते रहे. कुछ नजरें झुकाए बैठे रहे. कुछ की आंखों में आंसू थे. इन सबके बीच एक बात तो तय थी, इस लड़की ने वो कर दिया था जो बॉलीवुड में उस समय किसी के अन्दर करने की हिम्मत नहीं थी.

फिल्म थी क्या कहना. एक्ट्रेस- प्रीतम सिंह जिंटा. बॉलीवुड में प्रिटी जिंटा. शिमला की इस डिम्पल वाली लड़की ने स्टीरियोटाइप तोड़ दिए थे.

लेकिन इस लड़की की कहानी यहां से शुरू नहीं होती. शुरू होती है वहां से जहां से किसी ने सोचा भी नहीं. कई लोग प्रिटी के डेब्यू के बारे में सोचते हैं तो लिरिल का वो एड याद करते हैं जिसमें वो झरने के नीचे नहाई थीं. इसी के साथ करोड़ों लोगों के दिलों पर एक साथ छा गई थीं. लेकिन कहानी इससे भी पुरानी है. थोड़ा और पीछे चलते हैं. 

pri-9_750x500_013119063137.jpgइस इमेज के पहले से प्रिटी के स्टार बनने की शुरुआत हो चुकी थी.

साल 1996. प्रिटी अपने एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में गईं. वहां एड फिल्म बनाने वाले कुणाल मौजूद थे. प्रिटी की उनसे मुलाक़ात हुई. दो दिन बाद प्रिटी के पास फोन आया. कुनाल ने कहा कि उन्होंने प्रिटी को ध्यान में रखकर एक एड स्क्रिप्ट लिखी है. ऑडिशन के लिए आ जाएं. पहले तो प्रिटी ने ना-नुकुर की, फिर सोचा क्या हर्ज है. 50 लोग वहां ऑडिशन के लिए मौजूद थे. हाथ में चॉकलेट लेकर दो लाइन बोलनी थी. प्रिटी का सेलेक्शन हो गया. 

pri-4_750x500_013119063158.jpgप्रिटी का पहला एड

क्या कहना की शूटिंग के दौरान प्रिटी स्विट्ज़रलैंड में थीं. डिरेक्टर थे कुंदन शाह. प्रिटी को अचानक लगा कि कि एक्टिंग इतना अच्छा आईडिया भी नहीं है. कुंदन शाह को जाकर बोल दिया, फिल्म नहीं करनी. शाह ने पूछा ऐसे कैसे नहीं करनी. कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. बालकनी में जाकर रोईं. उसके बाद आकर समझाया. कर सकती हैं वो ये काम. इतनीं जल्दी हार नहीं माननी चाहिए. प्रिटी मान गईं. उसके बाद जो हुआ वो सबने देखा.

माफिया, और प्रिटी का पलक तक न झपकाना

प्रिटी ने 2001 में आई फिल्म चोरी चोरी चुपके चुपके में एक प्रोस्टीट्यूट का रोल किया था. इस फिल्म के फाइनेंसर भारत शाह का नाम 2003 में तब उछला जब बॉलीवुड और माफिया के बीच का कनेक्शन सामने आया. उस समय भारत शाह और नजीम रिज़वी को सज़ा दिलवाने वाली गवाही प्रिटी की ही थी. बाकी सभी ने अपने स्टेटमेंट वापस ले लिए थे. प्रिटी टिकी रहीं. कहा, मेरे पास माफिया ने फोन किया था. पैसे मांगे थे. नजीम को कहने पर उसने कहा था चिंता छोड़ दो. मैं देख लूंगा.

pri-5_750x500_013119063251.jpgफिल्म में प्रिटी के रोल ने सरोगेसी पर बहस शुरू कर दी थी.

प्रिटी को पुलिस सुरक्षा दी गई. दो महीने अंडरग्राउंड रहना पड़ा.

इस हिम्मत के लिए प्रिटी को गोडफ्रेज माइंड ऑफ़ स्टील अवार्ड दिया गया. रेड एंड वाइट ब्रेवरी अवार्ड में.

दो बार प्रिटी की जान जाते जाते बची.

11 दिसंबर 2004 को श्री लंका की राजधानी कोलम्बो में शाहरुख़ का स्टेज शो था. प्रिटी भी उनके साथ थीं. उनका डांस फिनाले में होने वाला था. स्टेज पर शाहरुख़ डांसर्स के साथ नाच रहे थे. पीछे पटाखे वगैरह चल रहे थे. प्रिटी लेफ्ट विंग में इंतज़ार कर रही थीं. अचानक एक आदमी स्टेज के सामने से उड़ कर बाएं उछला. शाहरुख इधर उधर देखने लगे. डांसर गायब हो गए. प्रिटी ने स्टेज पर आकर नीचे देखा, तो आगे की रो में सिर्फ खून ही खून फैला था. किसी ने वहां बम ब्लास्ट किया था. 

blast_750x500_013119063357.jpgकोलम्बो के टेम्पटेशंस कॉन्सर्ट में हुआ ब्लास्ट

प्रिटी अपने लाल सूट में भाग रही थीं. बाहर. घायल लोगों से टकराते हुए. उस कार की तरफ जो उन्हें एअरपोर्ट ले जाती. वहां मुंबई जाने वाली फ्लाईट उनका इंतज़ार कर रही थी. इसी बीच किसी ने उन्हें दबोचने की भी कोशिश की.

दो हफ़्तों के भीतर ही वापस थाईलैंड जाना हुआ उनका. बांग थाओ बीच पर विला बुक किया. क्रिसमस सेलिब्रेट करने के लिए प्रिटी ने ब्रेक लिया था. वो चैन से ये कुछ दिन गुजारना चाहती थीं. क्रिसमस की रात को उन्होंने दोस्तों से मुलाक़ात की. डिनर किया. वापस विला आईं. फोन बंद किया. और सो गईं. 

pri-2_750x500_013119063503.jpgआगे जो हुआ, वो किसी के भी सबसे भयंकर सपने से भी डरावना था

थोड़ी देर बाद बाहर शोर होना शुरू हुआ, किसी ने उनके कमरे के दरवाज़े पर जोरजोर से भड़भड़ाना शुरू किया. उनींदी प्रिटी ने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने खड़े उनके दोस्त ने कहा, ‘ टाइडल वेव आई है, भागना पड़ेगा’. प्रिटी ने हैंडबैग उठाया और नींद में ही दौड़ीं. विला के आस पास हर जगह पानी ही पानी था. थोड़ी देर लगी समझने में.

ये 2004 की भयंकर सुनामी थी. सिर्फ फुकेट में ही 6000 से ज्यादा लोग मारे गए थे.

इसके बाद प्रिटी ने वहां आठ दिन और गुज़ारे. हमेशा पानी से डरती थीं. अपना डर दूर करने के लिए याट पर चली गईं. चार दिन गुज़ारे. डर पर जीत पाकर लौटीं.

 

 

 

 

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