लेडीज डिब्बे में चढ़ा पुलिसवाला, विरोध हुआ तो कहा, 'शिकायत तो कर, ट्रेन में बैठने लायक नहीं रहेगी'
ट्रेन में अकेले सफर करने वाली औरतों की सुरक्षा, ऐसे पुलिसवालों की वजह से खतरे में है.
ट्रेन में अकेले सफर करने वाली औरतों को कोई दिक्कत न हो, इसलिए उन्हें एक सुविधा दी जाती है. ज्यादातर ट्रेनों में अलग से 'लेडीज कोच' बनाया जाता है. ताकि अकेले सफर करने वाली औरतें, सुरक्षित रहें, बिना किसी परेशानी से सफर कर सकें. लेकिन, ऐसा होता नहीं है. इन डिब्बों में भी आदमी घुस जाते हैं. जबरन घुसकर उसे भी हथियाने की कोशिश करते हैं. ऐसा नहीं है कि कम पढ़े-लिखे आदमी इस तरह की हरकत करते हैं, बल्कि पढ़े-लिखे पुरुष भी ऐसी लीचड़ हरकत करने में अव्वल रहते हैं. यहां तक कि पुलिसवाले भी.
हाल ही में एक घटना हुई. घटना, गया पटना मेमू पैसेंजर में हुई. सोशल मीडिया के जरिए इसके बारे में हमें पता चला. एक यूजर ने अपने अकाउंट पर सारी जानकारी दी. अनुभा शर्मा, 18 जनवरी 2019 के दिन, गया से पटना जा रही थीं. मेमू पैसेंजर में ही सफर कर रही थीं. ट्रेन का नंबर था- 63248. वो सुबह 10 बजे ट्रेन के लेडीज डिब्बे में बैठीं, ये डिब्बा इंजन के जस्ट बाद लगा होता है. ट्रेन दोपहर 1 बजे पटना पहुंचने वाली थी.
प्रतीकात्मक तस्वीर. रॉयटर्स
अनुभा शर्मा के साथ बहुत सी औरतें उस डिब्बे में बैठी थीं. उसी वक्त डिब्बे के अंदर एक पुलिसवाला चढ़ गया. और एक सीट पर बैठ गया (कायदे से पुलिसवाले को डिब्बे में चढ़ना ही नहीं चाहिए था, वो लेडीज कोच था). दो बूढ़ी औरतें भी कोच के अंदर खड़ी थीं. औरतों ने पुलिसवाले को थोड़ा शिफ्ट होने को कहा, ताकि वो भी बैठ सकें. पुलिसवाले ने ऐसा करने से मना कर दिया. उल्टा उन औरतों को बुरी-बुरी बातें कहने लगा. अपशब्दों का इस्तेमाल किया.
ऐसा दो बार हुआ. दूसरी बार, दूसरी औरतों के साथ. उन्हें भी पुलिसवाले ने बुरा-भला कहा. वहां एक और आदमी बैठा था. उस आदमी ने भी पुलिसवाले का साथ दिया. उसने भी औरतों के खिलाफ अपशब्द कहे, बुरी बातें कही. जब एक औरत ने पुलिसवाले का विरोध किया, तब उसने कहा, 'मैं हर रोज महिला डिब्बे में बैठकर जाता हूं. और हमेशा जाऊंगा. जैसी मर्जी बात करूंगा. तू कौन है हमको सिखाने वाली? जिसे शिकायत करना है, कर ले. हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.' उसके बाद पुलिसवाला ठहाके लगाकर हंसने लगा. फिर कहा, 'तू शिकायत करके देख, अगली बार ट्रेन में बैठने लायक नहीं रहेगी.'
प्रतीकात्मक तस्वीर. रॉयटर्स
अनुभा शर्मा को पुलिसवाले का नाम नहीं पता था, लेकिन उन्होंने पटना स्टेशन में उतरते वक्त उसकी तस्वीर खींच ली. वो कहती हैं, 'ये आदमी पूरे समय औरतों को धमकाता रहा. हंसता रहा. अपशब्द कहता रहा. मैंने तो केवल एक दिन इस ट्रेन से सफर किया. लेकिन बहुत सी औरतें ऐसी हैं, जो रोज इस ट्रेन से सफर करती हैं, उनकी सुरक्षा का क्या? ये घटना उनकी सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करती है. एक पुलिसवाले ने ऐसी हरकत की है, इसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाना चाहिए, और जल्द से जल्द लिया जाना चाहिए. उसके खिलाफ एक्शन लेने से, उन लोगों को भी कड़ा संदेश मिल जाएगा, जो ट्रेन में अपराधों को बढ़ावा देते हैं.'
अनुभा शर्मा के फेसबुक पोस्ट पर भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने जवाब दिया है. कमेंट कर जानकारी दी है कि शिकायत ईस्ट सेंट्रल रेलवे के रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ( RPFECR) के पास भेज दी गई है. पटना जंक्शन ईस्टे सेंट्रल रेलवे के दानापुर मंडल में आता है. हमने इस मंडल के डीआरएम, एडीआरएम-1 और एडीआरएम-2 को कॉल करके ये जानना चाहा कि पुलिसवाले के खिलाफ कुछ एक्शन हुआ या नहीं. लेकिन किसी ने हमारा फोन नहीं उठाया. (ऑडनारी की टीम, दानापुर मंडल को लगातार संपर्क करने की कोशिश करेगी, जैसे ही कुछ अपडेट मिलेगा, स्टोरी में जोड़ दिया जाएगा.)
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