अनुशासन तोड़ने का हक किसी खिलाड़ी को नहीं है, गीता और बबिता जैसे स्टार्स को भी नहीं
एशियन गेम्स के ट्रायल से बाहर हो गई हैं.
तो क्या गीत्ता-बबित्ता इस साल इंडोनेशिया में होने वाले 18वें एशियन गेम्स के ट्रायल से ही बाहर हो गई हैं? सुनने में यही आ रहा है. एशियन गेम्स की तैयारी के लिए लखनऊ और सोनीपत में 10 मई से नेशनल शिविर लगाया गया है. लेकिन फोगाट सिस्टर्स समेत 15 पहलवानों ने शिविर में रिपोर्ट ही नहीं किया. इसमें 13 महिलाएं और दो पुरुष थे. इसलिए रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इन छोरियों और छोरों का नाम लिस्ट से हटा दिया है.
क्यों लिया गया एक्शन?
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर ने बताया कि किसी भी वेट कैटगरी में प्रैक्टिस के लिए कम से कम चार पहलवानों की जरूरत होती. अगर पहलवान शिविर में मौजूद ही नहीं रहेंगे, प्रैक्टिस कैसे होगी और ट्रेनिंग पर असर पड़ेगा. विनोद तोमर बताते हैं कि कुछ पहलवानों ने पहले ही सूचना दे दी थी कि वो कब तक शिविर में शामिल होंगे. लेकिन जिन खिलाड़ियों ने हफ्ते भर बाद भी रिपोर्ट ही नहीं किया. उनके खिलाफ ये एक्शन लिया गया है. ये पूछने पर कि क्या इन सभी 15 पहलवानों को अब शिविर में शामिल नहीं किया जाएगा. इस पर उन्होंने कहा कि कमेटी पहलवानों को अपना पक्ष रखने का मौका देगी. अगर वे वाज़िब वजह बता पाएं, तो आगे कमेटी ही फैसला करेगी.
फेडरेशन ने ये कार्रवाई नेशनल कोच कुलदीप मलिक की रिपोर्ट के बाद की है. एशियन गेम के ट्रायल में वही पहलवान हिस्सा लेंगे, जो कैंप में हैं. ये कैंप 10 मई से 25 जून तक चलेगा. एशियन गेम्स का आयोजन इस साल अगस्त-सितंबर में इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबांग शहरों में होना है.
मेडल जीतने के लिए अच्छी ट्रेनिंग जरूरी है. लेकिन ट्रेनिंग के लिए खिलाड़ियों का मौजूद रहना भी जरूरी है. अगर पहलवान ट्रेनिंग के लिए नहीं आएंगे, तो मेडल कहां से लाएंगे. रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रज भूषण सरन के मुताबिक ये अनुशासन तोड़ने का मामला है. इससे पता चलता है कि खिलाड़ी कितने गंभीर हैं.
ब्रज भूषण के मुताबिक महिला रेसलिंग को मजबूत बनाने के लिए फेडरेशन पहले से ही संघर्ष कर रहा है. ऐसे में इस तरह की चीजें बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं. पहलवानों को हिस्सा नहीं लेने के बारे में पहले ही फेडरेशन को बताना चाहिए था. ऐसे में दूसरे पहलवानों को मौका दिया जाता.
किसी भी खेल में खिलाड़ियों से अनुशासन अपेक्षित है. और अनुशासन तोड़ने का हक किसी को भी नहीं मिलना चाहिए. गीता और बबिता जैसे स्टार्स को भी नहीं.
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