पादरियों ने हज़ारों बच्चों का यौन उत्पीड़न किया, कोर्ट ने कहा इनका नाम बताना अधिकारों का हनन
11 आरोपी पादरियों की पहचान गुप्त रखी है
अमेरिका के उत्तरी भाग में एक देश है पेंसिल्वेनिया. यहां के सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया, जिसके बाद लोगों में निराशा फैल गई है. कोर्ट ने कहा है कि जिन पादरियों पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं उनका नाम उजागर नहीं किया जाएगा. ये कुल 11 पादरी हैं. पेंसिल्वेनिया के अटॉर्नी जनरल 'जोश शेपिरो' ने कोर्ट से दरखास्त की थी कि इन पादरियों के नाम पब्लिक किए जाएं पर उनकी बात को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि इन्हें अपने सम्मान की रक्षा करने का संवैधानिक अधिकार है.
सिल्वेनिया के हज़ारों लोगों ने पादरियों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. अगस्त 2018 में जब ये केस कोर्ट में था तब लगभग 270 पादरियों के नाम उजागर किए गए थे. 1000 से भी ज़्यादा लोगों ने चर्च के कुल 300 पादरियों पर ये आरोप लगाए थे. इनका कहना था कि जब ये बच्चे थे तो पादरियों ने इनका शोषण किया. जैसे हमारे देश में मंदिरों को पूज्य स्थान माना जाता है वैसे ही यहां चर्च एक पूज्यनीय स्थल है. चर्च पर कोई सवाल नहीं करता. वो दुनिया की सबसे अच्छी जगह मानी जाती है.
महिला जब छोटी थीं तब उनका उत्पीड़न हुआ पर वो कुछ बोल नहीं सकीं. फोटो क्रेडिट- Reuters
अब मी टू मूवमेंट ने पूरी दुनिया में लोगों को हिम्मत दी की वो अपने साथ हुए अत्याचार के बारे में खुल कर बता सकें. पेंसिल्वेनिया के लोगों ने भी सालों पहले हुए शोषण के बारे में बताना शुरू किया तो पता चला कि पादरियों ने धर्म के नाम पर हज़ारों लोगों का फायदा उठाया. कोर्ट में केस चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पादरियों के नाम नहीं बताए जाने चाहिए. उन्हें सम्मान से जीने का संवैधानिक अधिकार है. किसी भी आरोपी के अधिकारों की बात कैसे की जा सकती है? वो भी जब उस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हों और हज़ारों लोगों ने इनकी पुष्टि की हो.
कोर्ट ने ये भी कहा कि जो भी आरोप हैं वो सालों पहले के हैं. उन्हें चर्च द्वारा छिपाया भी गया. इस बात ने जांच को और मुश्किल बना दिया.
चर्च ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उन्हें बचाने का ही काम किया. फोटो क्रेडिट- Reuters
'सीएनएन' वेबसाइट के मुताबिक पेंसिल्वेनिया के लोगों में कोर्ट के इस आदेश के प्रति गुस्सा है. हालांकि, जिन 11 पादरियों का नाम उजागर करने के लिए कोर्ट ने मना किया है उनका कहना है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है. अगस्त में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 300 पादरी 1000 से भी ज़्यादा बच्चों का उत्पीड़न करने के आरोपी थे. ये रिपोर्ट 2 साल की जांच पड़ताल के बाद बनाई गई थी. पादरी सालों तक छोटे बच्चों का बलात्कार करते रहे और चर्च ने उनके खिलाफ कुछ नहीं किया. उल्टा उन्हें बचाने का ही काम किया.
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