जब एक पुरुष ने एक औरत को बच्चा पैदा करते हुए देखा

मां दर्द से अधमरी होती है, फिर भी सबसे पहले यही पूछती है कि उसका बच्चा कैसा है.

फोटो कर्टसी : रॉयटर्स

 ‘तो मैंने पिछले मंगलवार को पहली बार सी-सेक्शन डिलीवरी होते हुए देखा. और सच बताऊं इस अनुभव ने औरतों के प्रति मेरी इज़्जत को बढ़ा दिया है. डिलीवरी के बारे में इसके पहले मैंने बहुत पढ़ा और सुना था. मैं सोचता था कि ये बहुत ही पवित्र प्रक्रिया होगी. लेकिन यह दिल को इस कदर छुएगा, इसका बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था.

ओबी और गायनी (obs & gyanes) में बिताए मेरे दो हफ्ते ने औरतों के प्रति मेरे पूरे नज़रीये को बदल दिया है. अब मैं मिलने वाली हर औरत की मज़बूती को देखकर हैरान रह जाता हूं.एक साधारण आदमी के नॉलेज में तो, सी-सेक्शन डिलीवरी के दौरान महिलाओं को स्पेशल बेहोशी की दवा दे दी जाती है. जिससे की उनके कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो जाता है. पर असल में वो बेहोश नहीं होती. जैसे ही उन्हें इसका एहसास होता है कि बच्चे का जन्म हो चुका है. बावजूद सारी बेहोशी, दर्द, असहजता ,डिलीवरी के दौरान हुई सारी खींच-तान और थकान के, जो एक चीज़ उनके दिमाग में चल रही होती है, वो ये कि उनका बच्चा सही –सलामत है या नहीं.

फोटो कर्टसी - रॉयटर्स फोटो कर्टसी - रॉयटर्स

इस ख़ूबसूरत दृश्य का जब मैं पहली बार गवाह बन रहा था. उस व़क्त जैसे ही सर्जन ने बच्चे मां के भ्रूण से निकाला (उसके के रोने की आवाज़) से अधमरी सी हालत में हो चुकी वो महिला, सर्जन की तरफ़ देखती है(जहां मैं भी खड़ा था) और पूछती है- क्या मेरा बच्चा ठीक है? इस पूरे दृश्य के बाद मेरे आंखों से ख़ुद-ब-ख़ुद आंसू गिरने लगे. इसके बाद बड़ी ही मुश्किल से मैंने ख़ुद को कंट्रोल करते हुए दूसरी तरफ़ देखा. और फिर महिला को बच्चे के सही- सलामत होने का भरोसा दिया. हम में से ज़्यादातर लोगों को इस बात का एहसास नहीं होता कि महिलाएं असल में क्या कुछ करने की हिम्मत रखती हैं. वो वाक़ई सबकुछ संभालती हैं. और इसके बाद भी उनमें इस चमत्कार को अंजाम देने की क्षमता रहती है.

अंत में बस मैं मैक्सवेल के एक गाने ‘दिस वुमेन्स वर्क’ (जिसे हाल ही दो हफ्ते पहले काल्पनिक अमेरीका में महिलाओं के दमन पर बने एक शो(दी हैंडमेड्स टेबल)में फीचर किया गया था, उसकी कुछ लाइन यहां कोट करना चाहता हूं.

मैं जानता हूं कि तुम में अब छोटी सी ज़िंदगी बची है

मैं जानता हूं कि तुम में अभी बहुत हिम्मत बची है ’

ये गाना बच्चे के जन्म, इस प्रक्रिया के दौरान होने वाले दर्द और इसके बावजूद महिलाओं का मज़बूती से इसे अंजाम देने पर ही आधारीत है. प्लीज़ इस गाने को सुनने का थोड़ा व़क्त लगेगा. ये औरतों को सम्मान देने, समझने और इस चमत्कार को अंजाम देने की क्षमता को समर्पित.

(P.S इस पोस्ट का मकसद ये बिल्कुल भी नहीं है कि औरतें केवल बच्चे बनाने वाली मशीन हैं और केवल मां ही सम्मान की हक़दार है. ये केवल एक ऐसा मौका था जिसने मुझे यह एहसास कराया कि एक औरत सहानुभूति, विनम्रता और मज़बूती की कितनी क्षमता रखती है. महिलाएं आगे भी ऐसी कई और चीज़ों को करने की क्षमता बरकारार रखेंगी.')

दाएं तरफ वाले शब्बीर मुस्तफ़ा हैं. फोटो कर्टसी- फेसबुक दाएं तरफ वाले शब्बीर मुस्तफ़ा हैं. फोटो कर्टसी- फेसबुक
ये एक फेसबुक पोस्ट है. जिसे लिखा है पाकिस्तान के रहने वाले शब्बीर मुस्तफ़ा ने. 23 साल के शब्बीर पाकिस्तान के ही ‘अगा ख़ान यूनिवर्सिटी’ से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. और अभी चौथे इयर में हैं.

शब्बीर ने हाल ही अपनी पढ़ाई के दौरान (ओबी और गॉयनी) वॉर्ड में दो हफ़्ते बिताया है. इस दौरान उन्होंने ‘सी-सेक्शन डिलीवरी’ ऑपरेशन को क़रीब से होते हुए देखा. एक बच्चे के जन्म की इस पूरी प्रक्रिया को देखने के बाद शब्बीर ने अपने अनुभव को फेसबुक पोस्ट के ज़रीए साझा की.

उनकी ये पोस्ट भले ही 6 मई को लिखी गई हो पर इसे देखकर साफ ज़ाहिर होता है कि इस पूरी प्रक्रिया ने उन पर कितना गहरा प्रभाव छोड़ा है. एक पॉज़िटीव और लाइफ़ चेंजिंग प्रभाव. उनका ये अनुभव हमारे लिए इतना सुखद और प्रभावशाली था कि हम ने इसे आपके साथ साझा करने की सोची. शब्बीर ने जो पेस्ट फेसबुक पर लिखी, वो अंग्रेज़ी में थी. जिसका हमने हिंदी अनुवाद किया है.

 

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