निकाह हलाला के विरोध में कोर्ट जाने वाली औरत पर तेजाब फेंका जाना कोई नया वाकया नहीं है
इससे पहले दूसरी याचिकाकर्ता पर जानलेवा हमला हुआ था.
हक के लिए लड़ाई लड़ने वालों का रास्ता आसान नहीं होता है, जिसकी आवाज सालों से दबाई जा रही हो, अगर वह अचानक से अपने अधिकारों के लिए बोलना शुरू कर दे, तो ये उन लोगों को बहुत खटकता है जो आवाज दबाने का काम करते हैं. यूपी के बुलंदशहर में नजमा (परिवर्तित नाम) को भी कुछ लोगों ने निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ आवाज उठाने की सजा देने की कोशिश की, उसके ऊपर एसिड फेंक दिया गया.
13 सितंबर को जब नजमा एसएसपी से मिलने जा रही थीं, तब उनके ऊपर एसिड अटैक हुआ. रिपोर्ट्स के मुताबिक नजमा के देवर ने ही उसके ऊपर ये हमला किया था. पीड़िता इस वक्त जिला अस्पताल में भर्ती है. नजमा उन महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं के खिलाफ याचिका दायर की हैं. नजमा खुद तीन तलाक पीड़िता हैं, वह दिल्ली की रहने वाली हैं और 2010 में उनकी शादी हुई. उनका ससुराल बुलंदशहर के अगौता थाना क्षेत्र के जौलीगढ़ में है.
शादी के बाद उनके तीन बच्चे हुए और कुछ सालों बाद उनके पति ने उन्हें तीन तलाक दे दिया, फिर उनके ऊपर देवर के साथ हलाला करने का दबाव बनाया जाने लगा. नजमा हलाला के विरोध में हैं और बहुविवाह के भी. उन्होंने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाया, उसके बाद से ही उन्हें धमकियां मिलने लगीं. पति और देवर उन्हें धमकाते थे. रिपोर्ट्स हैं कि बुधवार की शाम उनके ससुराल वालों ने उनकी पिटाई की थी, इसी की शिकायत करने नजमा गुरुवार को अपने बच्चों के साथ एसएसपी से मिलने जा रही थीं, तभी उनके ऊपर हमला हुआ.
जिस निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, उसके बारे में भी जरा जान लीजिए-
शरीयत के मुताबिक अगर कोई महिला और उसके शौहर के बीच तलाक हो जाता है और वो दोनों फिर से शादी करना चाहते हैं, तो उसके पहले महिला को निकाह हलाला करना होता है, यानी किसी दूसरे मर्द से शादी और फिर तलाक. दूसरे मर्द को तलाक देने के बाद ही वह अपने पहले पति से शादी कर सकती है. वहीं शरीयत में मुस्लिम पुरुषों को चार शादियां करने की आजादी है, लेकिन सभी शादियां पत्नी की मर्जी के साथ ही होनी चाहिए. खैर, यहां पत्नी की इजाजत तो केवल कहने की बात है, असल में इसे फॉलो किया जाता है या नहीं, ये हर कोई समझ सकता है. कुछ मुस्लिम औरतें इसी निकाह हलाला और बहुविवाह का विरोध कर रही हैं.
2016 में तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कोर्ट बहुविवाह और निकाह हलाला पर बहस नहीं करेगा, फिलहाल तीन तलाक पर ही बहस होगी और पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक जैसी पुरानी प्रथा को खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. उसके बाद कुछ मुस्लिम महिलाएं, जो निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं से पीड़ित हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना शुरू किया. इन दोनों प्रथाओं को चुनौती देने वाली बहुत सी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पहुंची, कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इस साल 26 मार्च को 5 सदस्यों वाली संवैधानिक बेंच का गठन किया. केंद्र ने भी कोर्ट को बताया कि वह निकाह हलाला का विरोध करेगा और अभी फिलहाल इन दोनों ही प्रथाओं के मामले सुप्रीम कोर्ट में हैं.
मामला भले ही कोर्ट में है, लेकिन याचिकाकर्ता और पीड़ित महिलाएं तो कोर्ट के बाहर हैं. ऐसे में उनकी जान के ऊपर हर समय खतरे का साया मंडराता रहता है. नजमा के पहले निकाह हलाला की एक दूसरी याचिकाकर्ता फरहीन (परिवर्तित नाम) के ऊपर जानलेवा हमला हुआ था. उसे कई दिनों से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं और 8 सितंबर के दिन सिकंदराबाद में याचिकाकर्ता और उसके भाई के ऊपर चाकू से हमला भी हो गया. याचिकाकर्ता के भाई की हालत गंभीर है. फहरीन ने अपनी याचिका में मांग की थी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ, जिसे शरीयत भी कहते हैं, उसकी धारा-दो को असंवैधानिक करार दे दिया जाए. धारा-दो में ही निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता मिली हुई है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद जब फरहीन को धमकियां मिलनी शुरू हुईं, तब उन्होंने पुलिस में मामले की शिकायत कर दी थी. पुलिस ने फरहीन के ससुर और पति को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन उनके पति को 7 अगस्त को जमानत मिल गई थी.
एक और याचिकाकर्ता ऐसी हैं, जिन्हें धमकाया जा रहा है. उन्हें बालात्कार करने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 3 सितंबर को एक और याचिका में सुनवाई करने के लिए हामी भरी है. इस याचिका में एक मुस्लिम महिला ने शरिया अदालतों के गठन को असंवैधानिक, यानी अवैध करार देने की मांग की है. खैर, अब अगर इन महिलाओं ने अपने हक के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है, तो इन्हें कोई भी नहीं रोक सकता, क्योंकि हमने देखा है कि भले ही कितनी ही मुश्किलें क्यों ने आएं, लेकिन इंसाफ के हकदार को इंसाफ मिलता है. और जब न्याय मांगने वाली महिलाएं हैं, तो इन्हें कोई भी ताकत झुका नहीं सकती.
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