नवजोत सिंह सिद्धू का मानना है कि कपिल शर्मा ने शादी करके बहुत बड़ी गलती कर दी
ऐसा उन्होंने कहा नहीं. मगर तस्वीर देखकर हमें महसूस हुआ.
'पार्टी मांगो सब. भाई की शादी तय हो गई है'.
'वाह भई. अब तू हमें क्या ही पूछेगा. शायद ये आखिरी पार्टी हो'.
'शादी के बाद दोस्तों का ख्याल किसे ही होता है. एक बार शादी हो गई उसके बाद तो तू भाभी के पल्लू में घुसा रहेगा. कभी निकलने देंगी तो शकल देख लेंगे हम भी'.
'हां यार. हमारा ये दोस्त भी हलाल होने चला अब. बता तेरी तेरहवीं कब रखें'.
ये बातचीत जानी-पहचानी लग रही है? नहीं लग रही हो तो अपने आस पास के किसी भी लड़के से पूछ लें जिसकी शादी हुई हो. या होने वाली हो. वो समझा देंगे.
हाल ही में कपिल शर्मा की शादी हुई. नवजोत सिंह सिद्धू भी गए थे अटेंड करने.फोटो डाली. फोटो सुन्दर थी. मगर कैप्शन में फैला दिया रायता.
'शादी एक ऐसा रोमांस है जिसमें हीरो पहले चैप्टर में मर जाता है. अब से तुम्हारा शुमार जिन्दा शहीदों में आएगा दोस्त.'
शहीद? जंग लड़ने जा रहे हैं कपिल? या इनकी पत्नी हिटलर हैं और कपिल यहूदी? या इनकी पत्नी ने इनसे शादी नहीं की बल्कि इनको ग़ुलाम बनाकर खरीद लिया है और उनसे खेतों में हल चलवाएंगी? क्या ऐसा कुछ कहना चाहते हैं सिद्धू? अगर हां, तो शायद उन्हें अंदाज़ा नहीं है कि शहीद होने के पहले एक फौजी या सिपाही कितना संघर्ष करता है. खैर.
आप लोग कहेंगे कि हमारे पास सेन्स ऑफ ह्यूमर नहीं है. हमने हंसना नहीं आता. हमें मर्दों से नफ़रत है. प्लस 1001 और चीजें.
होल्ड योर हॉर्सेज माई डियर. ऊपर लिखे चुटकुले की तरह ये सारी बातें भी वाहियात हैं जो तब बोली जाती हैं जब कोई तार्किक जवाब नहीं होता. लेकिन हमारे पास तर्क हैं.
1.
शादी होती है, औरत घरबार छोड़ कर दूसरे घर जाती है. पति के घर में फिट होने की कोशिश करती है. ऐसे में उसका इमोशनल, फाइनेंशियल, साइकोलॉजिकल सहारा वो व्यक्ति होता है जिसके भरोसे वो आई है. यानी उसका पति. शादी के बाद बहू से ये अपेक्षा होती है कि वो पति की मां बन जाए. आपने सुना ही होगा, ‘शादी कर दो. लड़का सुधर जाएगा’. यानी लड़की आए, लड़के को सुधारे, सब कुछ हैंडल करे, उसके बाद भी उसे इस तरह से पेश किया जाए कि उसने लड़के की खुशियां छीन ली हैं?
जो लड़की अपने मां-पिता -भाई-बहन छोड़ आई है, वो आपका वक़्त भी नहीं मांग सकती? वो चार मीठी बातें सुनने की अपेक्षा नहीं रख सकती?
शादी से इतनी परेशानी है तो ना करें. किसी ने ज़बरदस्ती थोड़े ही कर रखी है
2.
आजकल कई पत्नियां कमा रही हैं. पर हाउसवाइव्स को कमाऊ लोगों में नहीं गिना जाता. ये भारत की ही नहीं पूरी दुनिया की प्रॉब्लम है. अब उनके हाथ में कैश नहीं है, और वो अगर अपने पति से कुछ खरीदने को कह दें, तो इसे इस तरह ट्रीट किया जाता है कि भई पत्नी तो खून चूस कर बैठी है. पैसे उड़ाती है. साड़ी खरीदती है. हाय लड़के की आज़ादी का क्या.
3.
हमने तो ये सुना है कि फलां लड़की दहेज़ के लिए जिंदा जला दी गई. या किसी और लड़की को पति ने दहेज़ के पी लेकर छोड़ दिया. ऐसा तो नहीं सुना कि पति को पीटा जा रहा है. फिर शादियां पति की शहादत, पति की मौत कैसे हुईं?
4.
हम बड़े होते हैं. पेन्सिल से पेन पकड़ते हैं. स्कूल से कॉलेज आते हैं. अपना काम खुद करना सीखते हैं. कॉलेज से नौकरी करने जाते हैं. रात रात भर पार्टी करना छोड़ सीरियस होने की कोशिश करते हैं. नौकरी में प्रोमोशन होता है तो ज्यादा काम संभालते हैं. खुद आगे बढ़कर प्रोजेक्ट लेते हैं. लोगों से ज़िम्मेदारी संभालने को बोलते हैं. कड़क होकर खुद को भी डिसिप्लिन में ले आते हैं अप्रेजल के पहले. फिर शादी में क्यों बच्चे बने रहना चाहते हैं?
हर जगह उम्र के साथ समझदार होना ज़रूरी है, यहां क्यों नहीं?
इस तरह के फॉरवर्ड आपको अपने व्हाट्सएप में भी मिलते होंगे. जवाब में कभी पूछ के देखिए कि शादी अगर इतना ही बड़ा सरदर्द है तो करते क्यों हैं? अच्छा ख़ासा कमा रहे हैं. सो कॉल्ड शहीद होने की ज़रूरत भी नहीं है. आज़ाद पंछी बनकर घूमना चाहिए. पैसे परिवार पे उड़ाइए. खुद पर खर्च करिए. आज़ादी का मजा लीजिए. बच्चा चाहिए तो अडॉप्ट कर लीजिए. शादी करके क्यों जान सांसत में डाल रहे हैं?
लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिलेगा. हो सकता है आपको चुप रहने की डांट पड़ जाए. लोगों को इस तरह की स्त्री-विरोधी बातें मज़ाक लगती हैं क्योंकि उनके पास वो प्रिविलेज है. जिस औरत को जला दिया गया, उसके पास ये प्रिविलेज नहीं था. बात प्रिविलेज की है. तो मैं आपको औरतों की दुनिया में एंट्री देती हूं. किस्सा सुनिए.
एक लड़का और लड़की डेट पर गए थे. बातें हो रही थीं. लड़की ने लड़के से पूछा, अच्छा किसी भी डेट पर जाते समय तुम्हारा सबसे बड़ा डर क्या होता है?
लड़का: ये कि मैं जिस लड़की से मिलूंगा वो अपनी फोटो जितनी सुन्दर नहीं होगी. तुम्हारा?
लड़की: ये कि कहीं जिससे मैं मिलने जा रही हूं वो मेरा रेप करके मुझे मार ना डाले.
शादी अगर पुरुषों के लिए टेंशन वाला काम ही, तो कभी औरतों से पूछा? उनके लिए भी कभी सोचा कि इसके मायने क्या हैं?
जिस दिन औरतों ने इस तरह के जोक बनाने शुरू कर दिए जिस तरह के मर्द भेजते रहते हैं, शायद उस दिन बहुत से घरों की घटिया सच्चाई सामने निकल कर आ जाएगी. जब औरतें मर्दों की हिंसा का मजाक बनाएंगी. शारीरिक संबंधों में उनकी कमजोरियों पर सवाल उठाएंगी. डेटिंग में उनके रूखे और मतलबी रवैय्ये की पोल खोलेंगी. तब देखेंगे कि इसे मज़ाक कह कर टालने की हिम्मत कितने लोगों में रह जाती है.
उस दिन, सिद्धू जी, हम उन मजाकों के स्क्रीनशॉट आपकी दीवार पर चस्पा करेंगे.
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