11 बार प्रेगनेंट होने की कोशिश, 5 गर्भपात, मां बनने का ऐसा क्या जुनून?

क्या संतान को जन्म देने की खातिर अपनी सेहत भूल जाएंगी?

जेसिका हेप्बर्न. फोटो क्रेडिट: @JessicaPursuit

47 साल की जेसिका हेप्बर्न ने आज भी अपने उस 9 हफ्ते के भ्रूण की स्कैन तस्वीर ज्वैलरी बॉक्स में रखी है, जिसका मिस्कैरिज हो गया था. अपने सभी प्रेग्नेंसी टेस्ट जो पॉजिटिव थे, उन्हें संभाल कर रखा है. किसी प्रेगनेंट औरत को देख कर उन्हें खुद के मां ना बन पाने का दुःख होता है. इस बात की तकलीफ होती है कि वो और उनके पति को अपने बच्चे होने का सुख नहीं मिलेगा. किसी बच्चे में उन्हें अपना अंश नहीं दिखेगा. 

जेसिका 34 साल की थीं, जब उन्होंने मां बनने का फैसला किया. लेकिन अब वो कहती हैं, ये सच है, मैं कभी नहीं कह पाऊंगी कि मैं प्रेगनेंट हूं. इस 'कभी नहीं' के साथ मुझे अपनी पूरी जिंदगी जीनी है. मां बनने के लिए जेसिका ने क्या कुछ नहीं किया. अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ किया. अपनी जिंदगी तक दांव पर लगा दी. क्या मां बनना इतना जरूरी है?

मां बनना ही एक औरत को संपूर्ण क्यों बनाता है? मां बनना ही एक औरत को संपूर्ण क्यों बनाता है?
एक औरत को खुद में संपूर्ण होने का एहसास तब होता है, जब वो मां बनती है. इस दुनिया की हर महिला को यही बताया जाता है. सभी की तरह जेसिका हेप्बर्न का भी यही मानना था. अपने करियर में व्यस्त जेसिका हेप्बर्न ने साल 2004 में मां बनने के बारे में सोचा. उन्हें लगता था कि अपने बिज़ी जिंदगी में बच्चे को जन्म देने का फैसला थोड़ा मुश्किल है. लेकिन जब एक साल तक कोशिश के बाद उन्हें पता चला कि वो मां नहीं बन सकतीं. तब जेसिका पर मां बनने का जुनून सवार हो गया. जेसिका खुद को एक औरत के तौर पर हारा हुआ मान रही थीं.

अपने स्तनों को देखकर वो सोचतीं कि इनका क्या फायदा जब वो एक बच्चे को ब्रेस्टफीड नहीं कर सकतीं. उन्हें कभी अपने गर्भ में बच्चे की किक का अनुभव नहीं हो सकता. आठ साल तक जेसिका ने 11 बार IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) प्रोसेस के जरिए मां बनने की कोशिश की. वो पांच बार गर्भवती भी हुईं, लेकिन भ्रूण जीवत नहीं रह पाए यानी मिस्कैरिज हो गया. IVF प्रोसेस में एग और स्पर्म को शरीर के बाहर कंबाइन कराया जाता है. दो से 6 दिनों के बाद फर्टिलाइज्ड एग को महिला के यूटरस में ट्रांसफर किया जाता है.

पांचवीं बार प्रेग्नेंसी के वक्त जेसिका की जान पर भी खतरा आ गया था. चार घंटे की इमरजेंसी सर्जरी ने उनकी जान बचाई. इतना दर्द और तकलीफ सहने के बाद जेसिका ने आखिरकार ये बात स्वीकार कर ली कि उनके खुद के बच्चे नहीं हो सकते. जेसिका के लिए अपने शरीर के इस जैविक सच को स्वीकारने में इतने साल लग गए.

जेसिका के मुताबिक आईवीएफ प्रोसेस के दौरान उन्हें उम्मीद रहती थी कि उनके मां बनने का सपना पूरा हो जाएगा. जेसिका बताती हैं कि वो आसानी से हार नहीं मानती, लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी मां न बन पाने के बाद वो अपने आप में टूट रही थीं. इसका असर उनके रिश्ते पर भी पड़ रहा था.

जेसिका बताती हैं वो मां बनना चाहती थी, लेकिन अपनी प्रोफेशनल लाइफ में व्यस्त रहते हुए ये उनका सपना नहीं था. लेकिन अचानक उन पर मां बनने का जुनून सवार हो गया. जेसिका के मुताबिक एक साल की कोशिश के बाद प्रेगनेंट न हो पाने पर मेडिकल हेल्प ली. पता चला कि वो मां नहीं बन सकती. फिर जेसिका ने इस समस्या का समाधान पैसों से करना चाहा. उन्होंने करीब 64 लाख रुपये खर्च कर दिए. उन्हें बैंक और रिश्तेदारों से कर्ज लेना पड़ा. लेकिन मां नहीं बन पाई.

जेसिका fertilityfest.com की डायरेक्टर हैं. फर्टिलिटी फेस्ट इस दुनिया का पहला आर्ट फेस्टिवल है, जहां फर्टिलिटी, बांझपन और बच्चों के जन्म से जुड़े तमाम मसलों पर लोगों को जागरूक किया जाता है. फर्टिलिटी फेस्ट में ऐसे लोगों को इमोशनल सपोर्ट दिया जाता है, जिन्हें कंसीव करने में कोई दिक्कत आती है. जेसिका ने अपने मां न बन पाने के अनुभवों पर एक बुक लिखी है, जिसका नाम है, The Pursuit of Motherhood. उनकी नई बुक है, 1 Miles: Swimming in search of the meaning of motherhood.

जेसिका की नई बुक. फोटो क्रेडिट: @JessicaPursuit जेसिका की नई बुक. फोटो क्रेडिट: @JessicaPursuit

इंसान के शरीर की कोई भी अक्षमता उसे संपूर्ण होने से नहीं रोक सकती. शरीर है, तो बीमारी है. कभी किसी का कोई अंग काम नहीं कर पाता, तो उसका इलाज कराते हैं. कभी इलाज संभव होता है, कभी नहीं. मां बनना संसार में सृजन का आधार है. किसी नए जीवन को जन्म देने का एहसास सुकून देता है. लेकिन यही अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकता. कम से कम किसी औरत का मां न बन पाना उसका अधूरापन तो बिल्कुल नहीं हो सकता.

 

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