मिजोरम चुनाव का रिजल्ट लोकतंत्र के लिए एक बुरा दिन माना जाना चाहिए
न्यूज में शायद आपको ये खबर नहीं मिलेगी
विधानसभा चुनावों में अगर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से नज़र थोड़ी हट गई हो तो थोड़ा ध्यान मिजोरम पर ले आइए. यहां पर भी विधानसभा चुनाव हुए पिछले 28 नवम्बर को. रिजल्ट आ गए हैं, और जो 15 महिलाएं चुनावों में खड़ी हुई थीं, सभी हार गई हैं. तकरीबन 209 कैंडिडेट खड़े हुए थे चुनाव में, उनमें से 15 महिला विधायकों की संख्या अब तक की सबसे ज्यादा है.
सांकेतिक तस्वीर: रायटर्स
ये तब का हाल है जब वोटर लिस्ट में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हैं यहां. इसके पीछे की वजह मिज़ोरम में पितृसत्ता का जोर बताया गया है ख़बरों में. लेकिन यही नहीं, एक महत्वपूर्ण कारण ये भी है कि जो मिज़ोरम की मेन पार्टी है जो वहां दबदबा रखती है, उसने महिला कैंडिडेट्स को प्रोमोट नहीं किया. अपनी तरफ से उनको टिकट नहीं दी. मिज़ो नेशनल फ्रंट के टिकट पर एक भी महिला कैंडिडेट ने चुनाव नहीं लड़ा.
इंटरेस्टिंग बात तो ये है कि मिजोरम में सबसे ज्यादा महिला कैंडिडेट्स बीजेपी ने खड़ी कीं. इसके बाद जोरम थार नाम के धार्मिक ग्रुप ने पांच महिला कैंडिडेट्स को टिकट दिया था.
सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर
2013 के असेम्बली चुनावों में भी 6 महिला कैंडिडेट्स खड़ी हुई थीं, लेकिन विधानसभा नहीं पहुंच पाई थीं. कांग्रेस की तरफ से एक ही महिला कैंडिडेट को टिकट दिया गया था वो थीं स्टेट को ऑपरेशन मिनिस्टर वनलालाम्पुई चौन्ग्त्हू. उनको भी इस बार के चुनाव में सफलता नहीं मिली. पूरी15 कैंडिडेट्स को कुल मिलाकर 14,482 वोट मिले जिनमें से हाइएस्ट वोट की संख्या एक कैंडिडेट की चार हज़ार के लगभग ही जा पाई.
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