इंडिया के 'मंगल मिशन' की असली महिला साइंटिस्ट, जिन्हें पोस्टर पर अक्षय कुमार ने किनारे कर दिया है

असली हिरोइन्स, जिनके किरदार अब फ़िल्मी हिरोइन्स निभाएंगी.

लालिमा लालिमा
जुलाई 10, 2019
ये तस्वीर 'मिशन मंगल' की स्टारकास्ट ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की है.

एक फिल्म आ रही है 'मिशन मंगल'. 15 अगस्त के दिन रिलीज हो रही है. इस फिल्म का पोस्टर और टीज़र आ गया है. दोनों ही जगहों पर अक्षय कुमार और अक्षय कुमार ही ज्यादा दिखे हैं. हालांकि पांच एक्ट्रेसेज़ भी दिखी हैं, लेकिन पलक झपकने जितने समय के लिए. ये सारी एक्ट्रेसेज़ इस फिल्म में उन महिला वैज्ञानिकों का रोल निभा रही हैं, जिन्होंने मिशन मंगलयान में बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी.

अब मिशन मंगलयान क्या है, पहले वो जान लेते है.

इसे मार्स ऑर्बिटिंग मिशन, यानी MOM (मॉम) भी कहते हैं. ये एक स्पेसक्राफ्ट है. ISRO/इसरो (इंडियन स्पेस रीसर्च आर्गेनाइजेशन) ने मंगलयान को 5 नवंबर 2013 के दिन लॉन्च किया था. यानी अंतरिक्ष में छोड़ा था. ग्रहों के बीच पहुंचने वाला ये भारत का पहला मिशन था.

मंगलयान की लॉन्चिंग के साथ ही, इसरो मार्स पर पहुंचने वाली चौथी स्पेस एजेंसी बन गई थी. इससे पहले रोस्कोस्मोस, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ही मंगल ग्रह तक पहुंच पाई थी. इस पूरे प्रोजेक्ट में बाकी स्पेसक्राफ्ट के मुकाबले बहुत कम खर्चा आया था. 450 करोड़ रुपए में ये प्रोजेक्ट पूरा किया गया था. इसरो के 500 वैज्ञानिकों की टीम ने इस प्रोजेक्ट में काम किया था.

मिशन मंगलयान में महिला वैज्ञानिकों ने पहले के मुकाबले भारी संख्या में काम किया था. करीब 27 फीसद अहम पद महिला वैज्ञानिकों ने संभाला था.

mission-mangal-2_071019025525.webp'मिशन मंगल' का पोस्टर. फोटो- ट्विटर

अब इसी प्रोजेक्ट पर 'मिशन मंगल' फिल्म बनी है. फिल्म में विद्या बालन, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, कीर्ति कुल्हारी और नित्या मेनन 'मुख्य' भूमिका में हैं. अगर अक्षय कुमार के बाद कुछ 'मुख्य' बचेगा, तो. ये सारी एक्ट्रेसेज़ महिला वैज्ञानिक बनी हैं.

इसलिए हम आपको असली मंगलयान मिशन में शामिल कुछ महिला वैज्ञानिकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पूरे प्रोजेक्ट में काफी अहम काम किया था.

मीनल संपत- वैज्ञानिक और सिस्टम इंजीनियर हैं. मॉम में दो साल तक काम किया. दिन के 18-18 घंटे तक इन्हें बिना खिड़की वाले बंद कमरे में काम करना पड़ता था. इन्होंने 'निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' से ग्रेजुएशन किया, उसके बाद इसरो से जुड़ी थीं. 

minal-sampath_750_071019025147.jpgमीनल को बिना खिड़की वाले कमरे में घंटों काम करना पड़ता था. फोटो- ट्विटर

अनुराधा टीके- इसरो में प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. जब छोटी थीं, तब नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने इन्हें इंस्पायर किया. नील ने जब पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा था, तभी अनुराधा ने फैसला कर लिया था कि वो अब स्पेस साइंटिस्ट ही बनेंगी.

रितू करिधल- मॉम में डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर थीं. इसरो के साथ ही काम करती हैं. अभी इसरो के चंद्रयान-2 मिशन को डायरेक्टर कर रही हैं.

नंदिनी हरिनाथ- इसरो में रॉकेट साइंटिस्ट हैं. इसरो के बेंगलुरू स्थित सेटेलाइट सेंटर में काम करती हैं. 20 साल से इसरो से जुड़ी हुई हैं. 14 मिशन्स में काम कर चुकी हैं. मॉम में अहम भूमिका निभाई थी.

ritu-karidhal--anuradha-tk-and-nandini-harinath_750_071019025636.jpgरितू करिधल-अनुराधा टीके-नंदिनी हरिनाथ. फोटो- ट्विटर

मौमिता दत्ता- इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC)में साइंटिस्ट/इंजीनियर के तौर पर काम कर रही हैं. मॉम की टीम का हिस्सा थीं. कोलकाता में जन्म हुआ. छोटी थीं, तब चंद्रयान मिशन के बारे में सुना और पढ़ा था. तब सोचा था कि वो लोग कितने लकी होते हैं, जो इन सारे मिशन का हिस्सा होते हैं. तभी से अंतरिक्ष में दिलचस्पी बढ़ गई थी.

moumita-dutta_750_071019025728.jpgमौमिता दत्ता को बचपन से अंतरिक्ष के बारे में जानना था. फोटो- ट्विटर

अब मंगलयान मिशन पर फिल्म आ रही है. फिल्म ने इन महिला वैज्ञानिकों के साथ कितना न्याय किया है, ये तो 15 अगस्त को ही पता चलेगा.

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