मिजाज: एक गुजराती फिल्म कैसे बॉलीवुड के लिए एक सबक हो सकती है

गुजराती भाषा नहीं आती तो सबटाइटल के साथ देखियेगा ये फिल्म.

मुझे याद है कि जब हम बच्चे गानों पर डांस करते थे, तो उनमें से एक न एक तो माधुरी दीक्षित का होता ही था. 'अंखियां मिलाऊं कभी अंखियां चुराऊं' से लेकर 'चने के खेत में' तक, सारे गाने ऐसे होते थे कि बिना कुछ कहे ही सब नाचने के लिए उठ जाते थे. आंटी-अंकल के सामने भी डांस करके दिखाना हो तो माधुरी का गाना बज ही जाता था. सब कहते थे, कमाल की डांसर हैं. उनकी जोड़ी का कोई दूसरा नहीं. फिर भी उनके डांसिंग टैलेंट को तब सुपर माना गया जब प्रभुदेवा के साथ उन्होंने के सेरा सेरा गाने पर डांस किया. जिसने भी देखा, कहा, 'भई प्रभुदेवा को मैच कर गई लड़की,आसान बात थोड़े ही है'.

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स्टीरियोटाइप ऐसी चीज़ हैं कि उनको दिमाग से बाहर निकालने के लिए ये ज़रूरी होता है कि उनके होने को पहचाना जाए. कई बातें सिर्फ इसलिए नॉर्मल लगती हैं क्योंकि उन्हें अपना लिया गया है. जैसे लटके-झटकों वाले गाने लड़कियां करेंगी. तगड़ी बीट वाले, उछल-कूद वाले गाने लड़के करेंगे. लड़के मार-धाड़ वाले रोल करेंगे, लड़कियां उन रोल्स को इमोशनल सपोर्ट देने वाले रोल करेंगी. गुस्से में मुंह से फिचकुर छोड़ते हीरो को अपनी घिघियाई आंखों से ताकेंगी. या तो हीरो लड़ाई छोड़ देगा, या सामने वालों की ऐसी-तैसी कर के ही लौटेगा.

एक्शन सीक्वेन्सेज में फिल्म की महिला स्टार्स को वैसे भी एक्सपोजर नहीं मिलता. वो या तो साइड में खड़ी हीरो को निहार कर निहाल हो रही होती हैं, या फिर प्रोग्रेसिव फिल्मकार उन्हें एकाध पंच मारने का मौका दे देते हैं. बात वहीं खत्म हो जाती है. एक्शन सीक्वेंस की परिभाषा फिल्म के हीरोज और हीरोइन्स के लिए काफी अलग होती है. अगर एक्ट्रेसेज से एक्शन सीक्वेंस करवाने की कोशिश भी की गई है तो भी हलके फुल्के सीन्स से काम चला लिया गया है. बॉलीवुड में कैटरीना कैफ एक्शन सीक्वेन्सेज में दिखाई दीं, टाइगर जिन्दा है में उन्होंने गोली बारूद भी इस्तेमाल किया. लेकिन उन सभी सीन्स में एक तरह का बनावटीपन था. जैसे एक्शन सीक्वेंस के लिए ज़रूरी गुस्सा या दम अन्दर से नहीं आ रहा. जो काबिलियत और तेज़ तर्रारी चाहिए, वो थोपी हुई सी है. अन्दर से उग कर चमकी हुई नहीं. दोधारी तलवार लड़कियां तभी तक रह सकती हैं जब तक वो इश्क में हों. उससे बाहर भोथरा हो जाना जैसे उनकी नियति है. लेकिन गुजराती सिनेमा में एक फिल्म का ट्रेलर ऐसा आया है जिसमें एक अच्छा बदलाव देखने को मिल है. मिजाज नाम की इस फिल्म का ट्रेलर में देखा जा सकता है कि तीन दोस्त मिलकर एक लॉज को बचा रहे हैं. जय. जाह्नवी. और योगेश.

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कहानी इतनी सी है कि एक कांट्रेक्टर एक लोकल गुंडे को हायर करता है ताकि वो लॉज खाली करवा दे. वहां के तीन दोस्त, दो लड़का और एक लड़की तय कर लेते हैं कि वो ऐसा होने नहीं देंगे. इसमें जाह्नवी का किरदार निभा रही ईशा कंसारा ने एक्शन सीक्वेंस काफी अच्छे से निभाए हैं, और वो बनावटी भी नहीं लग रहे. ये एक सुखद बदलाव लग रहा है. बिना हाइपर हुए सीधे सीधे ये बात दिमाग में उतर जाती है कि इन तीनों में कोई फर्क नहीं है. स्क्रीन पर आप एक्टर्स को देख रहे हैं. जो अपना काम कर रहे हैं. इसके अलावा कोई अंतर नहीं है. ये एक अच्छी बात है जिसे मेनस्ट्रीम सिनेमा में देखा जाना चाहिए लेकिन अभी तक नहीं देखा गया है.

देखिए इसका ट्रेलर यहां :

 

 

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