मार्गरेट हैमिल्टनः वो महिला जिसके बनाए सॉफ्टवेयर से चांद पर कदम रख पाया इंसान

NASA में किए काम के लिए अमेरिका ने इन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया है.

कुसुम लता कुसुम लता
जुलाई 14, 2019
हैमिल्टन को अमेरिका का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान मिल चुका है.

चांद सी महबूबा. चांद सी गोल रोटी बनाने वाली महबूबा. देखकर चांद भी शरमा जाए. इतनी उजली कि गली में चांद के निकलने का आभास हो. बचपन से हमने ऐसा ही सुना है, औरतों का चांद से कनेक्शन.

लेकिन क्या आप जानते हैं? कि चांद पर इंसान का पहली बार कदम रखना भी एक महिला की वजह से ही संभव हो पाया था.

नील आर्मस्ट्रॉन्ग का नाम सुना होगा आपने. वो चांद पर कदम रखने वाले पहले शख्स थे. जुलाई, 1969. नासा का अपोलो 11 मिशन. नील ने चांद पर कदम रखा और इतिहास में उनका नाम दर्ज हो गया. उनकी इस सक्सेस के पीछे कई और नाम थे, मार्गरेट हैमिल्टन भी उन्हीं में से एक थीं. उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण थी. वो 83 साल की हैं. उन्होंने NASA के अपोलो मिशन के लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाली टीम को लीड किया था.

अपोलो मिशन के दौरान हैमिल्टन, फोटो- नासाअपोलो मिशन के दौरान हैमिल्टन, फोटो- नासा

आइये जान लेते हैं उनके बारे में :

मार्गरेट का जन्म अगस्त, 1936 में इंडियाना में हुआ था. उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी से 1955 में गणित में बीए की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने एक हाईस्कूल में गणित और फ्रेंच पढ़ाना शुरू किया. अमेरिकन वुमन ऑफ साइंस, टिफनी के वायने की लिखी एक किताब है. इसके मुताबिक, वह एब्स्ट्रैक्ट मैथमैटिक्स की पढ़ाई करना चाहती थीं. इसके लिए वह 1958 में बोस्टन शिफ्ट हुईं. हालांकि, किस्मत उन्हें नासा के MIT लैब ले गई. यहां उन्हें प्रोग्रामर की जॉब मिली थी. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था-

हमारे एस्ट्रोनॉट्स के पास बहुत अधिक टाइम नहीं होता. शुक्र है कि उनके पास मार्गरेट हैमिल्टन थीं.

टेक्निकल इनोवेशन इन अमेरिकन हिस्ट्री. एक एनसाइक्लोपीडिया है. इसके मुताबिक, नवंबर 1959 में मार्गरेट की बेटी लॉरेन का जन्म हुआ. उस दौर में बच्चे होने के बाद बहुत कम महिलाएं काम पर जाती थीं और उनकी फील्ड में काम करने वाली महिलाएं तो और भी कम थीं. कई बार मार्गरेट लॉरेन को अपने साथ लैब लेकर आती थीं. लॉरेन को वहीं जमीन पर सुलाकर मार्गरेट काम करती थीं.

मार्गरेट को SAGE प्रोजेक्ट के लिए चुना गया था. इसमें उन्हें एक ऐसा सिस्टम डेवलप करने की जिम्मेदारी दी गई थी जिससे मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सके. इस SAGE प्रोजेक्ट को बाद में अमेरिकी सेना के लिए डेवलप किया गया. इसकी मदद से सेना सोवियत की तरफ से संभावित एयर स्ट्राइक से बचने और उन्हें रोकने में सफल हुई. ये प्रोजेक्ट इतना सफल हुआ कि अपोलो मिशन के लीड डेवलपर पोस्ट के लिए हैमिल्टन से बेहतर उम्मीदवार नासा के पास नहीं था.

हैमिल्टन ने इस काम के लिए पहले खुद कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग सीखी और MIT के सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग डिविजन की डायरेक्टर बनीं. अपोलो 11 मिशन के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करते वक्त वह 100 लोगों की टीम को लीड कर रही थीं. इसमें कई गणितज्ञ, इंजीनियर, टेक्निकल राइटर और प्रोग्रामर शामिल थे.

गलती की गुंजाइश को ध्यान में रखकर तैयार किया सॉफ्टवेयर.

गार्डियन को दिए एक इंटरव्यू में हैमिल्टन ने बताया कि अपोलो मिशन के दौरान उनकी बेटी लॉरेन बेहद छोटी थी. लॉरेन कई बार उनके साथ लैब आती थी. वह अपनी मां को कॉपी करती थी. इसी दौरान लॉरेन ने कुछ बटन दबा दिए. उसने वो प्रोग्राम रन किया था जो लॉन्च से ठीक पहले रन किया जाना था. इसके बाद उसने कोई दूसरा बटन दबा दिया जिससे प्रोग्राम में एरर आ गया. तब हैमिल्टन को लगा कि ऐसी दिक्कत तो असल मिशन के दौरान भी आ सकती है. एस्ट्रोनॉट्स से भी गलती हो सकती है. उन्होंने प्रोग्राम बदलने की बात कही लेकिन नासा की सीनियर अथॉरिटी इसके लिए तैयार नहीं हुई. उनका कहना था कि एस्ट्रोनॉट्स को परफेक्शन के लिए तैयार किया जाता है, उनसे कोई गलती नहीं हो सकती.

इसके बाद अपोलो 8 मिशन लॉन्च हुआ. यह नासा का चांद के लिए पहला ऑर्बिट मिशन था जिसमें एस्ट्रोनॉट गए थे. मिशन के बीच में एक एट्रोनॉट ने एक्सीडेंटली गलत बटन दबा दिया. जो परेशानी आई उसे ठीक करने में उन्हें करीब 9 घंटे का वक्त लगा. इसके बाद नासा ने मार्गरेट को प्रोग्राम बदलने की अनुमति दे दी.

कम्प्यूटर हिस्ट्री म्यूजियम के एक यू-ट्यूब वीडियो का स्क्रीन ग्रैबकम्प्यूटर हिस्ट्री म्यूजियम के एक यू-ट्यूब वीडियो का स्क्रीन ग्रैब

हैमिल्टन ने इस इंटरव्यू में बताया कि जब अपोलो 11 मिशन लॉन्च हुआ तब चांद पर लैंडिंग से ठीक पहले इमरजेंसी का अलार्म बजने लगा. कम्प्यूटर पर डेटा ओवरलोड हो गया. लेकिन नए सॉफ्टवेयर की बदौलत मार्गरेट को रियल टाइम में पता चल रहा था कि क्या हो रहा है. एक रडार स्विच गलत पोजिशन पर था, उसकी वजह से परेशानी आ रही थी. लेकिन उस वक्त पर भी सॉफ्टवेयर हार्डवेयर की गड़बड़ी को बताने के साथ-साथ उसे कॉम्पेंसेट कर रहा था. आखिर में सॉफ्टवेयर ने अपना काम ठीक से किया और सभी एस्ट्रोनॉट सुरक्षित थे.

अब क्या कर रही हैं मार्गरेट?

नासा छोड़ने के बाद 1977 में मार्गरेट ने अपने एक पूर्व सहकर्मी के साथ एक कंपनी शुरू की. इसका नाम रखा हायर ऑर्डर Inc. उन्होंने 1985 में हायर ऑर्डर छोड़ दिया. 1986 में उन्होंने कैम्ब्रिज में हेमिल्टन टेक्नोलॉजीस नाम की कंपनी शुरू की. फिलहाल वह इस कंपनी की सीईओ हैं.

अमेरिका का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान मिल चुका है

साल 2016 में मार्गरेट को बराक ओबामा ने प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया है. यह अमेरिका में नागरिकों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है. जैसे हमारे यहां भारत रत्न होता है, वैसे ही.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हैमिल्टनपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हैमिल्टन

साल 2003 में मार्गरेट को NASA का एक्सेप्शनल स्पेस एक्ट अवॉर्ड मिला. इस अवॉर्ड के साथ उन्हें 37,200 डॉलर भी मिले. जो कि नासा की तरफ से किसी एक व्यक्ति को दी गई सबसे बड़ी प्राइज मनी है.

इनके अलावा भी मार्गरेट को कई बड़े अवॉर्ड्स मिले हैं. लेकिन ये दोनों मेन हैं.

वैसे एक इंटरेस्टिंग जानकारी ये भी है कि ‘सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग’. इस शब्द को पॉपुलराइज करने यानी चर्चित करने का क्रेडिट भी मार्गरेट हैमिल्टन को जाता है.

तो आज जब चांद पर इंसान को कदम रखे 50 साल पूरे हो रहे हैं, तब ऑडनारी उस महिला को सलाम करती है जिसकी वजह से यह संभव हो पाया. और इससे बड़ा संयोग क्या होगा कि भारत ने भी चांद की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए हैं, और इसमें महिलाएं सबसे आगे चल रही हैं.

 

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