15 की उम्र में ब्याही, ससुराल वाले दहेज़ के लिए प्रताड़ित करते, पति ने दोनों हाथ काट दिए
न्याय के लिए इस तरह संघर्ष कर रही हैं मंजू.
राजस्थान के उदयपुर जिले में एक तहसील है मावली. वहां एक गांव है थामला. बहुत ही छोटा सा गांव है. वहां रहती है मंजू. अभी 38 साल की है. 10वीं तक पढ़ाई की है, और महिला आधिकारिता विभाग में काम करती है. दिन के 105 रुपए कमाती है. यानी महीने के 3300 रुपए. इतने पैसों में उसे खुद को और अपने एक बेटे को पालना होता है. उसका बेटा 20 साल का है और बीए फाइनल ईयर में है. मंजू अपने बेटे को पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है.
आप सोच रहे होंगे, कि मंजू के बारे में हम क्यों बात कर रहे हैं? आपके मन में सवाल आ रहा होगा, कि ऐसी तो बहुत सी औरतें हैं, जो दिन-रात मेहनत करके, अपने बच्चों का पेट पाल रही हैं, तो मंजू की ही बात क्यों? क्योंकि मंजू की स्थिति बहुत अलग है. उसके दोनों हाथ कटे हुए हैं. 16 साल पहले, उसके पति ने ही उसके हाथ काट दिए थे. तब से लेकर आज तक मंजू इंसाफ के लिए इधर-उधर भटक रही है. लेकिन आरोपी पति खुलेआम घूम रहा है.
हाथ कटने के बाद भी मंजू ने पढ़ाई की. फोटो- ऑडनारी
क्या है मंजू की कहानी? जानते हैं-
मंजू जब 15 साल की थी, तब उसके माता-पिता ने उसकी शादी करा दी थी. उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिए ताना मारा करते थे. लेकिन मंजू अपने घर पर कुछ नहीं बताती. चुपचाप सब सहन करते जाती. हमने मंजू से बात की. उसने बताया, 'शादी के वक्त मेरे मां-बाप ने मेरे ससुराल वालों को पैसे दिए थे. जो आज भी उनके पास ही हैं. मेरे माता-पिता अनपढ़ हैं. बहुत सीधे हैं.'
मंजू का पति गुजरात के अहमदाबाद में रहता था. कुछ साल बाद मंजू भी पति के पास रहने चली गई. घर पर चार पैसे ज्यादा आ जाएं, इसलिए वो वहां दूसरों के घरों में जाकर झाड़ू-पोंछा करती. एक दिन मंजू ऐसे ही अपने काम पर गई हुई थी. उस दिन ज्यादा काम नहीं था, इसलिए घर जल्दी लौट गई. घर लौटने पर देखा कि उसका पति, किसी दूसरी औरत के साथ था. मंजू ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में देखा. विरोध किया, तो पति ने उसे जमकर पीटा.
मंजू का पति उसे घर के अंदर लेकर गया. उसकी पिटाई की. उसके दोनों हाथ काट दिए. मंजू बेहोश हो गई. पति और उसकी प्रेमिका को लगा कि मंजू मर गई. इसलिए उसे उठाकर पास बने रेलवे ट्रेक पर फेंक दिया. ट्रेक पर बेहोश मंजू को पड़ा देख, किसी ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया. मंजू बच गई, लेकिन उसके दोनों हाथ कट चुके थे. मंजू की जिंदगी पूरी तरह बदल गई. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी.
ये घटना, यानी मंजू के हाथ काटने की घटना साल 2002 में हुई थी. उस वक्त मंजू का बेटा 2 साल का था. हाथ चले जाने के बाद मंजू ने फैसला किया, कि वो अपने पति को सजा दिलवाकर रहेगी. अपने बेटे के लिए जिएगी और लड़ेगी.
मंजू पिछले 17 साल से इंसाफ के लिए लड़ रही है. फोटो- ऑडनारी
शादी के पहले तक मंजू ने केवल 6वीं तक पढ़ाई की थी. हाथ कट जाने के बाद मंजू ने किसी तरह 10वीं कर डाली. 2007 में महिला आधिकारिता विभाग से जुड़कर मंजू ने ग्राम पंचायत के लिए काम करना शुरू किया. अभी मंजू हर सप्ताह रिपोर्ट लिखती है. कटे हुए हाथों से लिखती है. पैरों से भी लिखती है.
मंजू दहेज हत्या, कन्या भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर औरतों को जागरुक करती है. मंजू कहती है कि वो अपने बेटे के लिए जी रही है. वो चाहती है कि उसका बेटा कुछ करे, उसका भविष्य अच्छा रहे. मंजू पिछले 17 साल से इंसाफ की मांग कर रही है.
वो बताती है कि आरोपी आज भी खुला घूम रहा है. हमने मंजू से बात की. उसने कहा, 'मैं कई साल से इंसाफ के लिए लड़ रही हूं. मेरे पास पैसे नहीं है, लेकिन किसी तरह मैं लड़ रही हूं. मैं इंसाफ चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि जिस आदमी ने मेरी जिंदगी बर्बाद की है, उसे सजा मिले.'
मंजू का केस इस वक्त जोधपुर हाई कोर्ट में है. वकील अश्विनी स्वामी इस केस को लड़ रहे हैं. हमने उनसे बात की. स्टेटस जानना चाहा. तब पता चला कि हाथ काटने के मामले में मंजू के पति को निचली अदालत ने एक साल की सजा सुनाई थी, जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. अब केस हाईकोर्ट में है. और विचाराधीन है. अश्विनी ने जानकारी दी कि उन्होंने इस केस पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने के लिए याचिका डाल दी है.
भले ही मंजू ने किसी तरह जीना सीख लिया है, लेकिन उसकी जिंदगी में आज भी परेशानियां कम नहीं हैं. हाथ कट जाने के बाद भी वो दिन-रात मेहनत कर रही है. दिन के 105 रुपए कमाती है. अपने बेटे को पढ़ा रही है. इंसाफ के लिए लड़ रही है. ऑडनारी की टीम मंजू के जज्बे को सलाम करती है. और चाहती है कि मंजू को जल्द से जल्द इंसाफ मिले.
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