माधुरी दीक्षित की वो फिल्म जिसने उन्हें 'असली एक्ट्रेस' बना दिया
'धक-धक गर्ल' से 'दिया श्रीवास्तव' तक की कहानी.
माधुरी दीक्षित. बॉलीवुड की धक धक गर्ल. जिसके एक दो तीन की गिनती पर पूरा देश लहालोट हो गया था. मेरी मामी जी उनकी बहुत बड़ी फैन हैं. कत्थक सीखा, उनको देखकर सीखा. ऐसा बताया था कभी. ये भी कि उनकी स्माइल 1000 वाट की है. सौ वाट का बिजली का बल्ब जले तो कमरा रोशन हो जाए. 1000 वाट में तो मोहल्ला नहा जाएगा. गजब!
उस समय कुछ समझ में आया नहीं. लेकिन उनके डांस को देखकर कमरा बंद कर नाचे खूब. पता तब भी नहीं था कि आखिर माधुरी कि दीवानगी के पीछे राज़ क्या है. थोड़ा सा खुला, जब उदय प्रकाश की किताब ‘पीली छतरी वाली लड़की’ पढ़ी. उसमें जो मेन कैरेक्टर था, राहुल. उसने अपने कमरे की खिड़की पर माधुरी दीक्षित का वो फोटो लगा रखा था जिसमें वो पलट कर सलमान खान को देख रही होती हैं. तब समझ में आया कि माधुरी की 'खूबसूरती' का ऑर्गेनिक होना ही उसकी सबसे बड़ी खासियत है. जो उन्हें थोड़ा असल बना देती है. ‘रियल’ बना देती है.
पर ये बात तो हुई खूबसूरती और स्टाइल और अदा की. माधुरी दीक्षित की खूबसूरती पर किसी को शक कभी नहीं था. लेकिन अगर माधुरी ने कोई फिल्म की जिसने उनको एक एक्ट्रेस की पदवी पर बिठा दिया, वो थी आजा नच ले. क्या इससे पहले माधुरी एक्ट्रेस नहीं थीं? क्या इससे पहले उनकी फिल्में हिट नहीं हुई थी? क्या इससे पहले लोग उन पर जान नहीं देते थे?
ये सब बिलकुल होता था. लेकिन शादी के बाद ब्रेक लेकर सिनेमा से गायब हो गई माधुरी ने पांच साल बाद आजा नच ले से कम बैक किया था. और ऐसी फिल्म चुनी थी जिसमें उनका रोल कॉस्मेटिक नहीं था. जिसमें वो हीरो के गोल को पूरा करने का एक इंस्ट्रूमेंट नहीं थीं. उनका पीछा करता कोई दीवाना नहीं था जिसके चारों तरफ फिल्म घूम रही हो.
इस फिल्म में माधुरी ने दिया श्रीवास्तव के किरदार में वो सब किया जो उनसे एक्सपेक्टेड नहीं था. बॉलीवुड की फिल्मों में जो एक ‘सेवियर’ वाली मेंटलिटी है, वो हमेशा मर्द के हिस्से में आती है. औरतें उस एंड गोल तक पहहुंचने का एक तरीका भर होती हैं. इस फिल्म में एक लड़की घरवालों की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर अपने अमरीकी बॉयफ्रेंड से शादी करती है. विदेश चली जाती है. उसे पता चलता है जिस थियेटर में उसने डांस सीखा, उसे अब गिराया जाने वाला है. वो वापिस आती है. अपने गांव वालों को एकजुट करती है. उनको एक प्लेटफॉर्म पर लाती है. जूझती है. लड़ती है. अपना डांस का स्कूल बचा लेती है. हीरोइन की पदवी से एक कदम ऊपर एक्ट्रेस वाले रोल में पहुंच जाती है. इस फिल्म को फ्लॉप कहा गया. जितनी कमाई इसको करनी चाहिए थी हिट होने के लिए, उतनी नहीं हुई. माधुरी के हिस्से में इससे सफल फिल्में रही हैं. लेकिन जमकर पैसा पीटने वाली फिल्में ही अच्छी हों, ये किसने कहा मुझे याद नहीं. आपको मिले तो बताइयेगा.
एक दोहा है,
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
हमारे हाई स्कूल के हिंदी के टीचर बहुत इस्तेमाल करते थे.कॉन्टेक्स्ट चाहे कुछ भी हो. लेकिन यहां पर फिट बैठता है. माधुरी को जिसने देखा, अपनी अलग नज़र से देखा. लड़कियों के लिए माधुरी एक डीवा रहीं. जो श्रीदेवी ने 80 के दशक में किया, वो शायद माधुरी ने 90 के दशक में ज़िंदा रखा. पहले जब किसी लड़की को खूबसूरत कहना होता था, लोग कहते थे, ‘एकदम श्रीदेवी जैसी लगती है’. 90 के दशक में माधुरी दीक्षित ने वो स्टैण्डर्ड दुबारा डिफाइन कर दिया.
उनका हेयरकट लड़कियों का पसंदीदा हेयरकट. उनके पहने सूट लेटेस्ट ट्रेंड. लड़कों के लिए माधुरी सपनों की राजकुमारी थीं. उस जैसी लड़की जो सूट पहन कर क्लास में आये तो दिल धक् से रह जाए. और माधुरी ने ‘आजा नच ले’ से ये भी साबित कर दिया कि वो एक्ट्रेस कमाल की हैं. कम लोग कर पाते हैं. माधुरी ने किया.
तभी तो आज भी उनके दीवाने एक तारे को उनका नाम दे देते हैं. उनके जन्मदिन को नेशनल हॉलिडे बनवाने की दरख्वास्त भेजते हैं. उनके जन्मदिन के दिन से नया साल शुरू करने की रिक्वेस्ट करते हैं. जिनके नाम पर फिल्म बनती है, ‘ मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं’. एम एफ हुसैन जिनकी फिल्म 67 बार देखते हैं. ऐसी माधुरी, सिर्फ एक ही हो सकती हैं. और उनकी फिल्म 'आजा नच ले' भी अपने आप में खासमखास.
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