लड़की के साथ रेप की कोशिश, शिकायत लिखाने और मेडिकल कराने गई तो दंग रह गई

'उसने मुझे कमर से पकड़ रखा था और मेरा रेप करने की कोशिश कर रहा था.'

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
सितंबर 24, 2018
पुलिस ने महिला के साथ बेहत खराब बर्ताव किया. सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

‘उसने मुझे कमर से पकड़ा और पीछे की ओर खींचने लगा. पार्क का गेट सीधा नहीं है. जैसे दिल्ली के ज़्यादातर पार्क्स में गेट होते हैं, एस शेप में वैसा ही गेट था वो. मैं बाहर की ओर जा रही थी तब ही मुझे एहसास हुआ कि कोई मुझे पीछे की ओर खींच रहा है. जब तक मैं कुछ समझ पाती तब तक मैं पार्क के अंदर थी. वो आदमी खींचकर मुझे पार्क के अंदर ले गया. पार्क में कोई नहीं था. वहां कोई लाइट भी नहीं थी. बहुत ज़्यादा अंधेरा था. उसने मुझे कमर से पकड़ रखा था. वो मेरा रेप करने की कोशिश कर रहा था. मैंने चीखना शुरू किया. उस आदमी को पीछे धकेला. उसका चेहरा देखने की कोशिश की. मैं उस पर चीखती रही. उसे पीछे हटने के लिए बोला. उसने मुझे ज़मीन पर गिरा दिया. मैंने फोन का टॉर्च चालू किया. उसे लगा कि मैं हार नहीं मानने वाली हूं. मैं लगातार उस पर चीख रही थी. मैं ऊपर उठी और उसे कॉलर से पकड़ा. फ्लैशलाइट उसके चेहरे पर मारी और उसे ज़ोर से थप्पड़ मारा. उसने मुझे धक्का दिया और भागने लगा. मैंने उसका पीछा किया पर वो पार्क की दीवार फांद कर भाग निकला. मैंने उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन वो भाग गया. भला हो कि मैं रोई और डरी नहीं. मैंने खुद को रेप से बचा लिया. मैं लगातार उस आदमी पर चीखती रही. उसे मारा. खुद को बचाने की कोशिश की.’

ये बताया है दिल्ली में रहने वाली एक वकील ने. 21 सितंबर को किए फेसबुक पोस्ट में उन्होंने अपने साथ हुई इस दुर्घटना का ज़िक्र किया. एक आदमी ने कॉलोनी में बने पार्क में उनके साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की लेकिन जो इसके बाद हुआ वो इससे कम बुरा नहीं था. महिला वकील ने हिम्मत से काम लेते हुए खुद को बचाया. इस घटना के बाद पार्क से बाहर आईं. ऑटो किया और सीधे पुलिस स्टेशन गईं.

फोटो क्रेडिट- Reuters फोटो क्रेडिट- Reuters

ये घटना है कैलाश कॉलोनी के पार्क की. महिला वकील अपनी शिकायत दर्ज़ कराने अमर कॉलोनी पुलिस स्टेशन पहुंची. पुलिस ने उनकी शिकायत नहीं लिखी. उन्हें घंटो तक बिठाए रखा. घटना करीब शाम 7 बजे की है. महिला 7:30 के लगभग पुलिस स्टेशन पहुंच गई थीं. वो महिला डेस्क पर गईं. उन्होंने एफआईआर करने और मेडिकल कराने के लिए कहा लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. उन्हें मेडिकल कराने के लिए इंतज़ार करने को कहा. उनकी शिकायत भी नहीं लिखी. उन्हें सादे कागज़ पर शिकायत लिखने को कहा. महिला ने मना कर दिया.

महिला ने ही पुलिस को उस जगह पर जाने के लिए कहा जहां उनके साथ ये सबकुछ हुआ था. पुलिस उनके साथ पार्क तक गई. तब तक पार्क बंद हो चुका था. ताला लग चुका था. ताले की चाबी मंगवाई गई. जब पार्क खुला तो महिला के साथ पास में रहने वाली दो आंटी अंदर गईं. पुलिस अभी भी बाहर ही खड़ी रही. जब वो लोग अंदर गए तो उन्हें वो आदमी वहीं दिखा. महिला ने तुरंत पुलिस को बताया. उसे वहां से पकड़ कर पुलिस ले आई मगर अभी तक महिला की कोई शिकायत दर्ज़ नहीं की गई थी.

करीब 10 बजे उन्हें मेडिकल के लिए एम्स ले जाया गया. जहां के हालत बहुत ही खराब थे. उन्होंने एम्स की टॉयलेट और बाकी जगह की फोटो भी फेसबुक पर शेयर की है. लगभग 11:30 बजे वो लोग वापस. महिला ने एसएचओ को जाकर पूरी बात बताई. तब उनकी एफआईआर लिखी गई. उन्हें पीछे के समय में मतलब कि बैक टाइम में एफआईआर लिखने को कहा. महिला ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने सही समय पर एफआईआर लिखी यानि जिस समय वो लिख रही थीं, वही समय एफआईआर पर लिखा. बहुत कहने के बाद उन्हें अरेस्ट मेमो दिया गया. इतनी रात में उन्हें घर छोड़ने के लिए भी पुलिस तैयार नहीं हुई. जब उन्होंने पुलिस पर चिल्लाया तब जाकर उन्हें घर छोड़ा गया. महिला ने सारी बात फेसबुक पर लिखी.

फोटो क्रेडिट- Reuters फोटो क्रेडिट- Reuters

अगले दिन पुलिस ने अरेस्ट मेमो और घटना का स्थान ही बदल दिया. किसी और ऑफिसर को ये केस दे दिया गया जिसे घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इस सबके बाद आरोपी को न्यायायिक हिरासत में भेजा. महिला ने मजिस्ट्रेट को अपना बयान दिया. एसएचओ का ट्रांसफर कर दिया गया. महिला के केस को देखने वाले इनवेस्टिगेटिंग ऑफिसर को बदल दिया गया. महिला को कहा गया कि जो सब इंस्पेक्टर पहले केस को देख रहे थे उसके खिलाफ डिपार्टमेंटल कार्रवाई की जाएगी.    

वकील महिला ने सोशल मीडिया पर अपनी कहानी बताई. उन्होंने ये भी लिखा कि मैं वकील हूं. मुझे तो यहां की कार्रवाई कैसे होती है पता था. मैं रोई नहीं. हिम्मत रखी. जो औरतें इस तरह की घटना से डर जाती हैं उनके साथ पुलिस उनके साथ भी इस ही तरह का बर्ताव करती है. ये मानसिक प्रताड़ना है. 

 

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