जिस बीमारी से मनोहर पर्रिकर की मौत हुई, वो औरतों के लिए कितनी खतरनाक है?

नरगिस की मौत भी पैंक्रियाटिक कैंसर से हुई थी.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
मार्च 18, 2019
(फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

गोवा के चीफ़ मिनिस्टर मनोहर पर्रीकर ने 17 मार्च को अपनी आखिरी सांस ली. वो काफ़ी समय से पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे. पैंक्रियाटिक कैंसर से मरने वाले लोगों में स्टीव जॉब और नरगिस जैसे शख्सियतों का नाम भी शामिल है. हलाकि डॉक्टर्स ये मानते हैं कि पैंक्रियाटिक कैंसर आदमियों में ज्यादा होता है. पर ये औरतों के लिए भी उतना ही खतरनाक है.

आखिर क्या है ये पैंक्रियाटिक कैंसर?

पैंक्रिया पेट के निचले हिस्से के ठीक पीछे पाए जाते हैं. इनका काम होता है एक ऐसा केमिकल निकालना जो खाना पचाने में मदद करता है. साथ ही ब्लड शुगर भी मैनेज करता है. पैंक्रिया के टिश्यू में कैंसर को पैंक्रियाटिक कैंसर कहते हैं. एक बार पैंक्रियाटिक कैंसर हो जाए तो ये आसपास के अंगों में फैलने लगता है.

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पैंक्रिया पेट के निचले हिस्से के ठीक पीछे पाए जाते हैं. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)

पैंक्रियाटिक कैंसर के क्या लक्षण हैं?

ये जानने के लिए हमने डॉक्टर अमित वढ़ेरा से बात की. वो मैक्स हॉस्पिटल मुंबई के ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट में डॉक्टर हैं. उन्होंने हमें पैंक्रियाटिक कैंसर के कुछ आम लक्षण बताए जो आपको इग्नोर नहीं करना चाहिए.

-पेट के निचले हिस्से से दर्द उठते हुए पीठ तक जाए

-भूख न लगना

-वेट लॉस होना

-डिप्रेशन

-डाईबीटीज़

-खून के थक्के बनना

-थकान रहना

-खाल और आंखों का पीला पड़ना

क्यों होता है पैंक्रियाटिक कैंसर?

डॉक्टर अमित वढ़ेरा कहते हैं:

“पैंक्रिया लगभग छह इंच लंबे होते हैं. इनमें सेल्स होते हैं. जब सेल्स में खराबी आ जाती है वो एब्नार्मल स्पीड से बढ़ने लगते हैं. इस दौरान नॉर्मल सेल्स मर जाते हैं. खराब सेल्स की वजह से ट्यूमर बन जाता है. अगर ये ठीक नहीं हुआ तो ये आसपास के अंगों और खून तक पहुंच जाता है.”

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खराब सेल्स की वजह से ट्यूमर बन जाता है. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)

किन वजहों से पैंक्रियाटिक कैंसर हो सकता है?

- पैंक्रिया में बहुत ज़्यादा सूजन आ जाना

-डाईबीटीज़

-अगर परिवार में किसी को पैंक्रियाटिक कैंसर रहा है

-सिगरेट पीने से

-ओबीज़ होना (यानी हद से ज़्यादा वेट गेन करना)

-बढ़ती उम्र. ज़्यादातर ये 65 की उम्र के बाद होता है.

पैंक्रियाटिक कैंसर से क्या-क्या दिक्कतें आती हैं?

-वज़न काफ़ी तेज़ी से घट जाता है

-जौंडिस हो जाता है

-पेट के निचले हिस्से में हद से ज़्यादा दर्द रहता है

-खाना हज़म होने में और स्टूल (मल) बनने में दिक्कत होती है

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पेट में काफ़ी दर्द रहता है. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)

कैसे बच सकते हैं पैंक्रियाटिक कैंसर से?

-अगर सिगरेट पीती हैं तो छोड़ दीजिए.

-अपने वज़न पर कंट्रोल रखिए. अगर लूज़ करने की कोशिश कर रही हैं तो 0.5 से 1 केजी हर हफ़्ते लूज़ करिए. उससे ज्यादा नहीं.

-हेल्दी खाना खाइए. जैसे फल और हरी सब्जियां.

पैंक्रियाटिक कैंसर का क्या इलाज है?

पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज मुमकिन है. आमतौर पर तीन तरह की सर्जरी होती हैं

पहली: इस सर्जरी में पैंक्रिया का सर और कभी-कभी उसका बाकी शरीर ऑपरेशन की मदद से हटा दिया जाता है.

दूसरी: इस सर्जरी में पैंक्रिया का सर नहीं हटाया जाता. बल्कि उसकी पूछ हटाई जाती है.

तीसरी: इस सर्जरी में पूरा का पूरा पैंक्रिया हटा दिया जाता है.

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