क्या केरल मिशनरीज़ रेप आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बचाने की कोशिश कर रही है?
आवाज उठाने वाली 4 नन्स को ट्रांसफर का फरमान क्यों?
ट्रांसफर. केरल के बाहर. क्यों? क्योंकि बिशप फ्रैंको मुलक्कल के विरोध में पीड़ित नन का समर्थन किया. जिन चार नन्स ने केरल रेप केस में पीड़ित नन का समर्थन किया और बिशप फ्रैंको मुलक्कल के विरोध में प्रदर्शन किया. उन्हें केरल की मिशनरीज़ ऑफ जीसस कॉन्ग्रेगेशन ने चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में बताया गया है कि उन्हें वापस जहां से वो आई हैं वहां भेजा जा रहा है. मतलब कि उन्हें केरल से जाना होगा. चारों को अलग-अलग जगह.
ये चारों नन हैं- सिस्टर एल्फी पल्लास्सेरिल, अनुपमा केलामंगलाथुवेलियिल, जॉसेफिन विल्लून्निक्कल और अंचिता ऊरुम्बिल. इन्होंने केरल के कोट्टायम (जहां वो रहती हैं) के कॉन्वेंट को छोड़ने से मना कर दिया है. उनका आरोप है कि ये उनकी ताकत को तोड़ने की कोशिश है. बिशप मुलक्कल के खिलाफ जलंधर अदालत में जो केस चल रहा है उसे कमज़ोर करने के लिए ही ये किया जा रहा है.
सिस्टर अनुपमा का कहना है-
'भले ही कॉन्वेंट में हमें अलग-थलग कर दिया गया है, फिर भी हम इसे छोड़कर नहीं जाना चाहते. ये एक सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है, हम सबको अलग कर केस को कमज़ोर करने की कोशिश है. कॉन्वेंट के अधिकारियों ने हमें बहुत परेशान कर रखा है फिर भी हम अपनी नन साथी का साथ नहीं छोड़ेंगे और केस में पूरी तरह उनका साथ देंगे. हम सबको अलग कर केस को कमज़ोर करने की बहुत कोशिशें की गई हैं, ये उन्हीं में से एक है. हम कॉन्वेंट में ही रहेंगे और नन (पीड़ित) का साथ देंगे.'
उन्होंने बताया कि उनके साथ तीनों नन्स को भी ऐसी चिट्ठी मिली है.
नन्स ने पीड़ित नन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया था. फोटो क्रेडिट- Reuters
इन चारों नन्स के साथ सिस्टर नीना रोज़ भी बिशप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थीं. उन्हें ऐसी कोई चिट्ठी नहीं मिली है.
जून, 2018 में बिशप मुलक्क्ल पर उनकी चर्च की नन ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. नन ने पुलिस को बताया कि मई 2014 में बिशप ने उनका रेप किया था. उसके बाद दो सालों तक बार-बार वो नन का रेप करता रहा. उन्होंने चर्च में शिकायत भी की, पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. आखिर में उन्हें पुलिस के पास आना पड़ा. इसके एक हफ्ते बाद पांच नन्स ने पीड़ित नन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया था. ये प्रदर्शन कोच्चि में बिशप को गिरफ्तार करने के लिए किया गया था. गिरफ्तार होने के तीन हफ्तों बाद ही बिशप को ज़मानत मिल गई थी. उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है.
कॉन्ग्रेगेशन की 3 जनवरी को लिखी चिट्ठी में, सुपीरियर जनरल ऑफ 'मिसनरीज़ ऑफ जीसस', रेजिना कदम्थोट्टू ने सिस्टर अनुपमा को तुरंत कॉन्वेंट खाली करने का आदेश दिया था. चिट्ठी में लिखा था-
'आपने कुराविलांगड़ पुलिस स्टेशन में दर्ज़ केस 746/2018 को समर्थन करने का निर्णय लिया है. हमारी कॉन्ग्रेगेशन कानूनी प्रक्रिया में कोई दखल नहीं देना चाहती. आप केस लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं. निवेदन है कि आप अपनी कानूनी ज़िम्मेदारी के कारण धर्म और सामुदायिक जीवन के सिद्धांतों से समझौता करने के लिए बहाना न बनाएं.'
सिस्टर रेजिना ने दिसंबर 2018 में पुलिस को भी एक चिट्ठी लिखकर कहा था, कि कॉन्वेंट पीड़ित नन और उनका साथ देने वाली पांचों नन्स की सुरक्षा नहीं कर सकता है. और पुलिस को उन्हें सुरक्षा देते हुए सरकारी आवास में रखना चाहिए.
गिरफ्तार होने के तीन हफ्तों बाद ही बिशप को ज़मानत मिल गई थी. फोटो क्रेडिट- Reuters
ये केस उलझता ही जा रहा है. जिस दिन इस केस के मुख्य आरोपी मुलक्कल को ज़मानत मिली उस के कुछ ही दिनों में मुख्य गवाह फादर कट्टूहारा की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनकी हत्या हुई है.
सिस्टर अनुपमा को पंजाब के चमियारी समुदाय वापस जाने के लिए कहा गया है. तो वहीं सिस्टर अंचिता को कन्नूर के परियारम, सिस्टर एल्फी को बिहार की पकरतला और सिस्टर जॉसेफिन पर झारखंड के लालमटिया समुदाय को छोड़ने का आरोप लगाकर वापस जाने का आदेश दिया गया है.
एएनआई से बात करते हुए भी सिस्टर अनुपमा ने वही बात कही है कि उन्हें अलग कर केस को कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने सवाल किया -
'क्या भरोसा है कि जो लोग हमें यहां सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं. वो हमें दूसरी जगहों पर सुरक्षा दे पाएंगे?'
Sister Anupama (one of four Nuns who protested against Bishop Franco Mulakkal) on transfer order against them: Attempt to split us and destabilize us emotionally. No guarantee that people who aren't protecting us here will give us protection at other places like Bihar or Punjab. pic.twitter.com/PXK2ZMpv5w
— ANI (@ANI) January 17, 2019
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