कंगना रनौत की बहन ने दीपिका पर जो कमेंट किया है उसकी माफी नहीं हो सकती

कंगना की बहन रंगोली ने दीपिका पादुकोण का मज़ाक उड़ाया है.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
अप्रैल 23, 2019
(फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

आजकल शायद एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब सुर्ख़ियों में कंगना रनौत या उनकी बहन रंगोली चंदेल का नाम न आता हो. कंगना की फ़िल्म ‘मेंटल है क्या’ विवादों के घेरे में है. ‘इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी’ ने इस फ़िल्म के टाइटल और पोस्टर पर ऐतराज़ जताया था. उनका कहना था कि टाइटल और पोस्टर मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों का अपमान कर रहा है. कंगना कि तरफ़ से इस पर सफ़ाई भी आई थी.

कंगना की बहन रंगोली चंदेल के ट्विटर अकाउंट से एक स्टेटमेंट जारी किया गया है. इसमें लिखा है-

“मैं कंगना की तरफ़ से ये कहना चाहती हूं कि ‘मेंटल है क्या’ जिस विषय पर बनी है, उसे देखने के बाद लोग आपत्ति जताने के बदले फ़िल्म पर गर्व करेंगे. मानसिक रोगों को लेकर हमारे आसपास जो गलत धारणा बनी है, ये फ़िल्म उसे दूर करेगी.”

पर बात यहां ख़त्म नहीं हुई. रंगोली ने इस बवाल में दीपिका पादुकोण को भी खींच लिया. दरअसल, हुआ ये था कि दीपिका ने 2015 में एक एनजीओ कि शुरुआत की थी. उसका नाम है ‘द लिव लव लाफ़’ फाउंडेशन. इस फाउंडेशन का काम मानसिक रोगों के ग्रसित लोगों की मदद करना है. साथ ही मानसिक बीमारियों को लेकर जो गलतफहमियां हमारी सोसाइटी में फैली हैं, इस फाउंडेशन का काम उनसे भी पर्दा उठाना है.

दीपिका ने 2015 में बताया था कि वो डिप्रेशन से ग्रसित थीं. जिससे उबरने में उनको काफ़ी वक़्त लगा. उस वक़्त उन्हें एहसास हुआ था कि मानसिक बीमारियों के बारे में खुलकर बात करना कितना ज़रूरी है. क्योंकी समाज में अभी भी इससे जुड़ी ज़रूरी जानकारी लोगों को नहीं है. इसके बाद दीपिका ने ‘द लिव लव लाफ़’ फाउंडेशन कि शुरुआत की थी. तब से लेकर अभी तक इस फाउंडेशन ने मानसिक रोगों से ग्रसित लोगों के लिए काफ़ी काम किया है.

जब ‘मेंटल है क्या’ फ़िल्म के टाइटल को लेकर बवाल उठा तो ‘द लिव लव लाफ़’ फाउंडेशन ने भी इसपर ऐतराज़ जताया था. उन्होंने ट्विटर पर लिखा:

“वक़्त है कि हम ऐसे शब्द, तस्वीरें, या एक्टिंग पर रोक लगाए जो दिमागी बीमारियों से जुड़ी हुई ग़लत धारणाओं को बढ़ावा देते हैं. हिंदुस्तान में करोड़ों लोग किसी न किसी तरह की दिमागी बीमारी से ग्रसित हैं. उन्हें अलग निगाह से देखा जाता है. इसलिए ज़रूरी है कि हम ऐसे लोगों की तरफ़ थोड़ा सेंसिटिव रहें.”

 ये बात कंगना कि बहन रंगोली को चुभ गई. उन्होंने जवाब में ट्विटर पर लिखा:

“कंगना रनौत को तीन नेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं. वो काफ़ी रेस्पोंसिबल हैं. इसलिए पहले से फ़िल्म के बारे में धारणा न बनाएं. हम इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग आपके लिए भी कर सकते हैं. हम फ़िल्म की स्टोरी नहीं बता सकते. पर हम फिल्म रिलीज़ करने से पहले सारे ज़रूरी सर्टिफिकेट लेंगे. शायद फ़िल्म देखने के बाद आप दीपिका पादुकोण को अपना ब्रांड एम्बेसडर की पोज़ीशन से हटा देंगे. और कंगना को रख लेंगे. उनकी कोशिश देखकर. जो उन्होंने इस फ़िल्म में मानसिक रोगों से जुड़ी ग़लत धारणाओं को हटाने के लिए की हैं.”

अब बात यहां खत्म नहीं हुई. आगे जो रंगोली ने लिखा वो काफ़ी ग़लत है.

“दीपिका काफ़ी साल पहले डिप्रेस्ड थीं. वो भी अपने ब्रेकअप की वजह से. अब तो उनकी शादी हो गई है. वो ख़ुश हैं. अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी एन्जॉय कर रही हैं. पर कंगना को लोग ‘मेंटल’ बुलाते हैं. वो शर्मिंदा नहीं होतीं. उनकी दिमागी हालत का लोग मज़ाक उड़ाते हैं...”

रंगोली ने अपनी बहन का बचाव किया, इसमें कुछ ग़लत नहीं है. ये भी बात सही है कि कंगना पर हमेशा निशाना साधा गया है. उनकी फ़िल्म और पर्सनल लाइफ को लेकर उनकी दिमागी हालत पर सवाल भी उठाए गए हैं. पर दीपिका के डिप्रेशन पर सवाल उठाना और उनकी कंडीशन को नकार देना ग़लत है. ये तो वही काम हुआ जिसके खिलाफ़ कंगना अपनी फ़िल्म के ज़रिए पहल करने कि कोशिश कर रही हैं. कम से कम रंगोली की बातों से तो ऐसा ही लगता है. ये मेंटल हेल्थ का मज़ाक उड़ाना नहीं हुआ तो क्या है?

डिप्रेशन की कई वजहें हो सकती हैं. ये एक कंडीशन है. इसको मात्र दुख से कंफ्यूज़ करना ग़लत है. ये कहना कि दीपिका डिप्रेशन में अपने ब्रेकअप के कारण थीं और अब ख़ुश हैं, काफ़ी इंसेंसिटिव बात है. साथ ही शायद रंगोली को ये नहीं पता कि दीपिका फाउंडेशन कि ब्रांड एम्बेसडर नहीं, फाउंडर हैं. अगली बार किसी की दिमागी हालत पर सवाल उठाने से पहले, रंगोली को अपना होमवर्क कर लेना चाहिए.

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