कंगना भद्दे रेप जोक पर खिलखिला रही हैं, कहां गए उनके नारीवाद के वादे?
जब ऐसी ही बात सलमान खान ने कही थीं, कंगना ने उनकी बात को घृणित और निंदनीय कहा था.
डियर कंगना रनौत, आप भी बॉलीवुड के उसी घिनौने चेहरे का हिस्सा हैं.
एक वीडियो वायरल हो रही है. उस वीडियो में दो लोग खड़े दिख रहे हैं. एक हैं जिम सरभ. वो जो सोनम कपूर वाली फिल्म नीरजा में विलेन टेररिस्ट बने थे. और उनपर वेबसाइटों ने खूब आर्टिकल छापे थे. उसके बाद संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत में मलिक काफूर बने थे जो खिलजी के प्यार में पड़ा होता है. वही जिम सरभ.
दूसरी इंसान कंगना रनौत. वही जो क्वीन, तनु वेड्स मनु जैसी फिल्मों से एकदम छा गईं बॉलीवुड पर. उनका क्या परिचय दें. कतई फेमिनिस्ट हैं. बोलती हैं तो बखिया उधेड़ कर रख देती हैं. लोग अलबला जाते हैं उनके बयान पढ़कर- सुनकर. वही कंगना रनौत.
हमें भी लगता था ऐसा. फिर हमने ये वीडियो देखा. आप देखिये पहले.
इस विडियो में जिम सरभ कह रहे हैं, ‘मैं 12 प्रॉस्टीट्यूट्स (वेश्याओं) से रेप किया जाना पसंद करूंगा, अल्कोहल (शराब) छूने के बजाए. और पंजाबी लोग कहेंगे- अरे मैं भी. मुझे तो पता ही नहीं था कि ये आप्शन भी है.’
इस जोक पर कंगना हंस रही हैं. ठट्टा मार कर हंस रही हैं. झेंप कर नहीं. उस हंसी में इस जोक पर खुल कर हंसने की हिम्मत साफ़ दिख रही है. और ये एक ऐसा जोक है जिसपर कंगना को तो बिलकुल हंसना नहीं चाहिए. क्यों? क्या पब्लिक फिगर हो जाने से उनके हंसने रोने पर भी हमारा कंट्रोल हो जाएगा? हमारे बोलने से कंगना खायेंगी पियेंगी चलेंगी बोलेंगी? कतई नहीं.
इस पर कंगना को क्यों नहीं हंसना चाहिए. क्योंकि सलमान ने अपनी फिल्म सुलतान के प्रोमोशन के समय एक बयान दिया था. कहा कि प्रैक्टिस के बाद वो रेप की शिकार औरत की तरह फील करते थे, उसके जवाब में कंगना ने कहा था, ‘इस तरह की सोच के लिए हम सब ज़िम्मेदार हैं’.
आज जिम सरभ के इस विडियो में फिर से रेप को एक मज़ाक के तौर पर इस्तेमाल कर लिया गया है. और कंगना को इसमें कोई खराबी नज़र नहीं आ रही है. इस रेप वाले रिमार्क से कोई एक दिक्कत नहीं है. दिक्कत सिर्फ इस बात से नहीं है कि इसमें रेप को एक मज़ाक की चीज़ की तरह इस्तेमाल किया गया है. दिक्कत इस बात से भी है कि इसमें औरतों द्वारा रेप किये जाने को मजे लेने वाली चीज़ कहा गया है. कहा है कि अगर औरतें/वेश्याएं रेप करेंगी तो लोग ख़ुशी ख़ुशी रेप करवाने को तैयार हो जायेंगे.
रेप ना हुआ बॉडी मसाज हो गया. लोग ख़ुशी-ख़ुशी करवाने कूदे जा रहे हैं. ये भी कोई बात होती है मज़ाक करने की. जिम सरभ, क्या आपने कभी रेप को झेला है? मैं नास्तिक हूँ लेकिन अगर दुनिया में कोई भगवान् है तो मैं उससे कहूँगी कि ऐसा कभी ना हो कि आपको रेप की तकलीफ से गुज़रना पड़े. कंगना रनौत, आपने तो इतना तगड़ा स्टैंड लिया है हैरेसमेंट और रेप के खिलाफ. आप कैसे हंस सकती हैं इस जोक पर. आप इसे जोक मान भी कैसे सकती हैं?
जोक हंसी मज़ाक में बोलने के लिए होते हैं. उनसे मन हल्का होता है. लोगों को सुनकर अच्छा लगता है. कई बार थोड़ा पॉलिटिकली इनकरेक्ट भी हो जाता है. उतना चलता है सब. लेकिन रेप जैसे सब्जेक्ट को जिससे डील करने में इस डेढ़ अरब के देश के हाथ पाँव फूले हुए हैं. हर घंटे रेप हो रहे हैं. औरतें, बच्चे मार दिए जा रहे हैं. लाखों लड़कियां रिपोर्ट करने कि हिम्मत नहीं कर पा रहीं. उस हालत में रेप पर जोक मारना और उस पर हंसना एक ऐसी बेवकूफी है जिसे कतई माफ़ नहीं किया जा सकता.
एक्टर के जो रिप्रेजेंटेटिव हैं उन्होंने बोला कि जिम एक प्ले की प्रैक्टिस कर रहे थे और अपने निजी स्पेस में उन्होंने ये बोला. कमेन्ट का मतलब गलत लिया गया है. ‘आउट ऑफ़ कॉन्टेक्स्ट’ लिया गया है. रेप का मज़ाक उड़ाना किस तरह आउट ऑफ़ कॉन्टेक्स्ट हो सकता है. किसी से ज़बरदस्ती सेक्स किया गया. उसकी ना को इग्नोर किया गया. उसपर किसी ने खुद को फ़ोर्स किया. उसकी चीखें दबा दी गईं. उसके शरीर को एक आउटलेट की तरह इस्तेमाल किया गया. उसको उसकी सेल्फ-रिस्पेक्ट छीन ली गई. उसे चोट पहुंचाई गई. शायद उसे मार भी दिया गया.
रेप से जुड़ी कोई भी बात आउट ऑफ़ कॉन्टेक्स्ट कैसे हो सकती है.
मर्डर, लूटपाट, आगजनी, दंगे, सुसाइड- इन सब चीज़ों पर मज़ाक नहीं करते. रेप पर कैसे कर सकते हैं? क्या मर्दों का रेप कोई मज़ाक की बात है? क्या हम ये मानकर चलते हैं कि मर्द तो सेक्स के भूखे जानवर हैं. उनको कहीं से भी सेक्स मिले वो ख़ुशी ख़ुशी वहां से ले लेंगे चाहे वो रेप ही क्यों ना हो?
जाइए कंगना, जाइए जिम सरभ. कोई सफाई क्या ही दीजियेगा.
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