झारखंड में 55,000 महिलाएं रानी बन गई हैं, मगर कैसे?

पुरुषों की तुलना में बेहतर काम कर रही हैं

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
दिसंबर 16, 2018
15 लाख से भी ज़्यादा टॉयलेट्स बनाए हैं रानी मिस्त्रियों ने. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

झारखंड की ये महिलाएं रानी बन गई हैं. ये इनको विरासत में मिला पद नहीं है बल्कि ये अपनी मेहनत से यहां तक पहुंची हैं. रानी बिटिया या राजा-रानी वाली रानी नहीं, बल्कि 'रानी मिस्त्री'. रानी मिस्त्री यानी वो महिला जो इमारत बनाने के काम में माहिर हो.

'द हिन्दू' के मुताबिक रांची के पास डुबालिया गांव की प्रीति कुमारी झारखंड राज्य की उन 55,000 महिलाओं में से एक हैं जिन्हें पिछले एक साल में सरकार ने रानी मिस्त्री बनने की ट्रेनिंग दी. ये ट्रेनिंग इसलिए थी ताकि झारखंड को खुले में शौच करने से मुक्त राज्य बनाया जा सके. ये ट्रेनिंग 'स्वस्थ भारत मिशन' के तहत हुई. इन महिलाओं को टॉयलेट बनाने की ट्रेनिंग दी गई. रानी मिस्त्रियों की मदद से झारखंड ने एक साल से भी कम समय में 15 लाख से ज़्यादा टॉयलेट्स बना लिए हैं. 15 नवंबर 2018 को झारखंड ने अपने आप को खुले में शौच से मुक्त राज्य घोषित किया.

dxglgalvqaao0ss_750_121618073339.jpgरानी मिस्त्री यानी वो महिला जो इमारत बनाने के काम में माहिर हो. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

राज्य में सभी के लिए शौलाचय बनाने का दबाव था. स्वस्थ भारत मिशन के तहत सभी के घर में शौलाचय हो ये मिशन पूरे देश में है. झारखंड में काम हो तो रहा था पर बहुत ही धीरे गति से. राज्य में लगभग 50,000 राज मिस्त्री हैं पर वो टॉयलेट नहीं बनाना चाहते थे. गांव की एक महिला के सुझाव पर महिलाओं को इसके लिए ट्रेनिंग दी गई और फिर तो पूरे राज्य में महिलाएं इसके लिए आगे आईं. राज मिस्त्री की तर्ज पर इन्हें रानी मिस्त्री बनने की ट्रेनिंग दी गई. साथ ही उनके बराबर मजदूरी भी, यानी हर दिन 400 रुपए. महिलाओं के द्वारा किया गया काम पुरुषों से काफी बेहतर रहा.

dzore9_u0aacef1_750_121618073432.jpgगांव की एक महिला के सुझाव पर महिलाओं को इसके लिए ट्रेनिंग दी गई. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

महिलाओं को ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट्स भी दिए गए. झारखंड सरकार की ये पहल सराहनीय है-

झारखंड में महिलाओं ने रूढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए मजदूरी कर 15 लाख से ज़्यादा टॉयलेट्स बनाने का काम कर लिया. ये अब आगे भी इस ही तरह काम करते रहना चाहती हैं. ये महिलाएं पहले भी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी थीं. इस स्कीम के चलते इन्हें काम भी मिला और काम को पहचान भी.

dzorbyluqaafbfv_750_121618073358.jpgये महिलाएं पहले भी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी थीं. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

जून 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इनसे बातचीत की थी. साथ ही इनके काम की तारीफ भी की थी. प्रधानमंत्री ने झारखंड सरकार की सराहना करते हुए कहा था कि राज मिस्त्री की तर्ज पर महिलाओं को रानी मिस्त्री बनाया जा रहा है. ये शौचालयों का निर्माण कर रही हैं. प्रधानमंत्री आवास बनाने का भी काम कर रही हैं.

dzorgrvu8au7-ep_750_121618073413.jpgराज मिस्त्री की तर्ज पर महिलाओं को रानी मिस्त्री बनाया गया. फोटो क्रेडिट- ट्विटर

भले ही असल में रानियों वाली ठाठ इन महिलाओं को न मिले पर आत्मनिर्भर बना राज्य सरकार ने इनकी बहुत मदद की है. इन्हें काम भी सिखाया गया और काम के लिए उचित दाम भी दिया गया. कई जगह देखने में आता है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी दी जाती है. झारखंड सरकार ने इस भेदभाव को मिटाते हुए इन महिलाओं को इनके काम की सही मजदूरी दी. इनके लिए तो ये रानी होने से कम नहीं होगा.

 

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