जेसिका लाल हत्याकांड: भरे बार में चली गोली, लेकिन देखने वालों ने देखकर भी मना कर दिया

एक ऐसा हत्याकांड जिसमें मरने वाली लड़की के लिए पूरा देश उठ खड़ा हुआ!

जेसिका लाल हत्याकांड आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है.

जेसिका लाल हत्याकांड में अपराधी सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ़ मनु शर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी लगाई है कि उसे जल्दी रिहा कर देना चाहिए. उसने अपनी अर्जी में कहा है कि उसने 20 सालों तक जेल में रहकर सजा निभाई है. उनका खुद का कंडक्ट भी अच्छा रहा है. इस आधार पर उसे जल्द रिहाई दे दी जानी चाहिए.एक महीने पहले कोर्ट ने सुशील कुमार शर्मा को रिहा किया था. वो भी नैना साहनी हत्याकांड का अपराधी था. 

लेकिन आखिर हुआ था था जेसिका के साथ? कैसे बन गया ये इतना बड़ा मामला? पढ़िए पूरी कहानी.

शराब पीने वाली लड़कियां गन्दी होती हैं. ऐसा हमेशा से लोगों से सुना. शराब परोसने वाली लड़कियां छिनाल होती हैं,कैरेक्टरलेस होती हैं. ये सब भी हर बार घर पर सुना. दोस्तों से सुना. सबने कहा ऐसी लड़कियां भरोसे के लायक नहीं होतीं. एक लड़की जो मॉडल थी, साउथ दिल्ली के बार में एक पार्टी में बार टेंडिंग कर रही थी, सबके सामने मार दी गई. इस बार देश उसकी साइड खड़ा था.

उस भरे बार में, सबने देखा दो गोलियां चलीं. एक गोली छत की तरफ. एक गोली लड़की के माथे में लगी. वो उलट गई. तब तक उसके पास का लड़का चीखते हुए भागा, “किसी ने जेसिका को गोली मार दी है”. जब मामला कोर्ट में गया. तो पता चला कि किसी ने लड़की को गोली नहीं मारी थी. सभी आरोपी बरी हो गए.

आप पढ़ रहे हैं हमारी स्पेशल सीरीज- हत्या. इस सीरीज में हम कवर करेंगे देश के उन सभी हाई प्रोफाइल मामलों को जिन्होंने देश और कानून की जड़ें हिला कर रख दीं. इन मामलों में किसी न किसी औरत की हत्या की गई. मुक़दमे चले. मुजरिमों को कई बार सजा हुई, कई बार वो छूट निकले. कई बार न्याय के लिए जनता सड़क पर उतरी. आज इस सीरीज में पढ़िए जेसिका लाल की हत्या के बारे में.

 

लड़की थी जेसिका लाल. एक मॉडल. सेलेब्रिटी बारटेंडर. जिसे किसी ने नहीं मारा था. फिर भी वो मरी. और उसके बाद देश में ऐसा तूफ़ान खड़ा कर गई कि लोग सड़कों पर उतर आये. उसी मॉडल के लिए. जिसे इसलिए मार दिया गया था क्योंकि उसने एक बड़े बाप के बेटे को कह दिया था, शराब खत्म हो गई है, और नहीं मिलेगी.

बीना रमानी नाम की सोशलाईट थीं एक. 29 एप्रिल 1999 को क़ुतुब कोलोनेड के टैमरिंड कोर्ट रेस्त्रां में पार्टी हो रही थी उनकी. शराब वगैरह चल रही थी, जैसे इन पार्टियों में चलती है. हमारे तरफ ऐसी पार्टियों को हाई-फाई पार्टी कहते हैं. उसी पार्टी में जेसिका लाल शराब के बार के पीछे थी. पार्टी में आये लोगों को शराब सर्व कर रही थी. 11.30 के आस पास शराब खत्म हो गई वहां पर. बारह बजे के आस पास मनु शर्मा उर्फ़ सिद्धार्थ वशिष्ठ आया. उसके साथ उसके तीन दोस्त भी थे. अमरदीप सिंह गिल, आलोक खन्ना, और विकास यादव. मनु अन्दर आया और शराब मांगी. जेसिका ने मना कर दिया. मनु शर्मा ने उससे दुबारा कहा, और हज़ार रुपये तक देने की भी बात की. लेकिन जेसिका ने मना कर दिया. शराब थी ही नहीं. वैसे भी साढ़े बारह बजे तक रेस्त्रां बंद हो जाता. जेसिका के मना करने पर मनु ने अपनी .22 कैलिबर की पिस्टल निकाली और हवा में एक फायर किया. वो गोली छत को जा लगी. जेसिका तब भी नहीं डरी और शराब देने से मना कर दिया. इस बार मनु की पिस्टल नीचे आई, और दूसरी गोली धड़ाक से सीधे जेसिका के सिर में लगी.

उसके पास खड़ा लड़का शायन मुंशी जोर से चीखा, “किसी ने जेसिका को गोली मार दी”. भाग दौड़ का फायदा उठा कर मनु शर्मा और उसके दोस्त वहां से निकल गए. इसके बाद जेसिका को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे डेड बता दिया गया. केस दर्ज हुआ. लेकिन एक दिक्कत थी. जिन लोगों पर केस दर्ज हुआ, सब बड़े बाप की औलाद थे. दिल्ली की लैंग्वेज में कहें तो वो जानते हैं न, ‘तू जानता है मेरा बाप कौन है’ टाइप. मनु शर्मा के पापा विनोद शर्मा सेंटर में मिनिस्टर रह चुके थे. ट्रायल के समय हरियाणा में मिनिस्टर थे. विकास यादव के पापा धरमपाल यादव उत्तर प्रदेश के जाने माने माफिया डॉन थे. नेता भी थे. अब समझ लो आप. ऐसा था केस.

जो गवाह झुके नहीं. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव जो गवाह झुके नहीं. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव

बहुत गंद मची इस केस में.

जब गवाह पेश होने शुरू हुए, एक-एक करके वो सभी लोग जो वहां के विटनेस थे, अपने बयान से मुकरते गए. मुकर गए मतलब पहले कुछ कहा, फिर कुछ और कहा. जिस आदमी शायन मुंशी ने जेसिका के साथ शराब सर्व की थी उस रात, उस ने कहा कि उसको हिंदी आती ही नहीं. उसने अंग्रेजी में बयान दिया था. और उसकी गवाही हिंदी में फाइल हुई थी. उसने ये भी बोला कि उस रात बार के काउंटर पर दो लोग थे जिन्होंने गोली चलाई. यानी दो गोलियां दो अलग-अलग लोगों ने चलाई. यू टर्न के बापों का बाप निकला ये लड़का. वही नहीं, एक एक करके उस रात मौजूद लोगों में जो आई विटनेस थे, तीन चार लोगों को छोड़कर सबने मनु को पहचानने से इनकार कर दिया. जिन्होंने मनु को अदालत के सामने पहचाना, वो थे:

बीना रमानी- जिनकी पार्टी थी

मालिनी रमानी- बीना रमानी की बेटी

जॉर्ज मेलहॉट – बीना रमानी के कैनेडियन पति.

विकास यादव, जिसके पापा रसूख वाले थे. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव विकास यादव, जिसके पापा रसूख वाले थे. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव

इसके बाद शायन मुंशी ने जो रायता फैलाया था ये बोल कर कि दो लोगों ने गोलियां चलाई थीं, उसकी वजह से लोअर कोर्ट में अच्छा ख़ासा तमाशा हो गया. बैलिस्टिक रिपोर्ट, यानी गोली की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ हुई, और पुलिस ये साबित करने में नाकाम रही कि दोनों गोलियां एक ही पिस्टल से चली थीं. एक तरफ दबदबा था, रसूख था. दूसरी तरफ सिर्फ आशा कि न्याय मिलेगा. मनु शर्मा का केस राम जेठमलानी ने लड़ा था. वही जो सारे हाई प्रोफाइल केस लड़ते हैं. सुप्रीम कोर्ट में बड़े दबदबे वाले वकील हैं. मेरे भैय्या बता रहे थे, एक हियरिंग के कई-कई लाख लेते हैं.

मामले में गाज तो बीना रमानी पर भी गिरी. मालूम हुआ कि उनका बार इल्लीगल था. लाइसेंस नहीं था उनके पास शराब सर्व करने का. लेकिन पैसा बहुत था तो चल रहा था सब कुछ जब तक ये केस नहीं हो गया.लोअर कोर्ट में जज एस. एल. भयाना ने मनु शर्मा को बरी कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में अगले दिन‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने छापा: नो वन किल्ड जेसिका.

जेसिका के पिता. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव जेसिका के पिता. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव

बट देन, हू किल्ड जेसिका?

2006 में ट्रायल कोर्ट ने सबको बरी किया. इस पर बवाल हुआ.

शायन मुंशी ने कोर्ट के सामने कहा था कि उसे हिंदी नहीं आती थी. तहलका के दो रिपोर्टर उसके पास पहुंचे. स्टिंग ऑपरेशन किया. स्टिंग ऑपरेशन वही जिसमें छुपे हुए कैमरे से बातें रिकॉर्ड कर लेते हैं. ये दो रिपोर्टर उसके पास गए हॉलीवुड के एजेंट बनके. कहा बड़ा प्रोजेक्ट लेके आये हैं उसके लिए. स्ट्रगलिंग एक्टर था शायन. उसे लगा अच्छा मौका है. लेकिन उनकी एक शर्त थी. उनको देखना था कि शायन को हिंदी ढंग से आती भी है या नहीं. क्योंकि प्रोजेक्ट यहीं का होना था. उनके सामने शायन के असली रंग खुल गए. उसने लपक कर दिखा दिया कि उसको हिंदी समझ में भी आती है. बोलनी भी. लिखनी भी. पढ़नी भी. कोई दिक्कत नहीं. हो गया उसका खेल ख़त्म.इसके बाद और भी ज्यादा बवाल बढ़ गया.

शायन मुंशी: इस लड़के की वजह से केस में काफी मुश्किलें खड़ी  हुईं. फोटो साभार : tumblr शायन मुंशी: इस लड़के की वजह से केस में काफी मुश्किलें खड़ी हुईं. फोटो साभार : tumblr

बवाल से प्रेशर में आकर दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने मनु शर्मा और उसके तीन दोस्तों को दोषी ठहरा दिया. मनु शर्मा को पूरी ज़िन्दगी जेल में बिताने की सजा मिली. पचास हज़ार का जुर्माना भी लगा. इसके बाद मनु शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की. 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सज़ा वही बरकरार रखी.

जेसिका को गोली मारने वाले मनु शर्मा को पूरी ज़िन्दगी जेल में काटने की सजा मिली. एक ऐसा केस जिसमें जनता और मीडिया ने मिलकर दोषी को आखिरकार घसीट ही लिया. और झुकना पड़ा उस सिस्टम को जिसमें आम तौर पर वो लोग छूट जाते हैं जिनके पास पैसा होता है. रसूख होता है. जिनके बाप बड़े आदमी होते हैं.

लोग जेसिका के समर्थन में उमड़ पड़े थे. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव लोग जेसिका के समर्थन में उमड़ पड़े थे. फोटो साभार: इंडिया टुडे आर्काइव

एक लड़की मर गई, लेकिन ‘तू जानता है मेरा बाप कौन है’? पूछने वालों को उनकी असली औकात दिखा गई.

 

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