#MeToo मूवमेंट का असर: जम्मू-कश्मीर में औरतों पर ताकत का इस्तेमाल करने वालों को सज़ा होगी
ये कानून हिंदुस्तान के बाकी हिस्सों में भी लागू होना चाहिए.
पिछले कुछ महीनों में हमने बहुत मी टू स्टोरीज़ सुनीं. उन सब में एक चीज़ कॉमन थी. शोषण करने वाला इंसान एक पावरफुल पोज़ीशन में था. शोषित होने वाली महिला के पास उस समय चुप रहने के अलावा कोई चारा नहीं था. ये इसलिए भी होता रहा क्योंकि हिंदुस्तान में इसपर कोई कड़ा कानून नहीं बना था. पर 14 दिसंबर को जम्मू एंड कश्मीर वो पहला राज्य बना जिसमें इसपर एक लॉ बना है. हमने प्रज्ञा सिंह से बात की. वो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकील हैं. जब हमने उनसे इस लॉ के बारे में पूछा तो उन्होंने हमें इस कानून को सरल शब्दों में समझाया. आप भी समझ लीजिए. अब कोई भी इंसान जो कि एक पब्लिक सर्वेंट है या किसी को नौकरी या पैसा देने की पोज़ीशन में है, वो उसका फ़ायदा उठाकर किसी का यौन शोषण करता है तो उसे सज़ा होगी.
प्रज्ञा कहती हैं:
'जस्टिस गीता मित्तल चीफ़ जस्टिस ऑफ़ जम्मू एंड कश्मीर हैं. उन्होंने औरतों के हक़ के लिए बहुत अच्छा फ़ैसला लिया है. पहले सेक्शुअल हरासमेंट को लेकर गाइडलाइन ज़रूर थी पर इसपर कोई कानून नहीं था. इसलिए औरतें खुलकर सामने नहीं आती थीं. ख़ासतौर पर जब इंसान उसका बॉस या कोई पावरफुल आदमी होता था. सालों चुप रहतीं. उसके बाद हिम्मत करके जब बोलतीं तब तक बहुत वक़्त निकाल जाता और लिमिटेशन एक्ट के तहत वो केस ख़ारिज कर दिया जाता. पर अब ऐसा नहीं होगा.'
सरल शब्दों में समझें तो किसी काम के बदले सेक्स या किसी और तरह का सेक्सुअल फ़ेवर मांगना. फ़ोटो कर्टसी: Reuters
अगर किसी औरत के साथ पॉवर में रहकर कोई आदमी यौन शोषण करता है तो उसके लिए ख़ास कानून बन गया है. उसे तीन से पांच साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही उसपर जुर्माना भी लगेगा. ये जुर्म नॉन-बेलएबल है. यानी जुर्म करने वाले इंसान को बेल नहीं होगी.
अब क्या चीज़ें इस कानून के तहत जुर्म मानी जाएंगी?
सरल शब्दों में समझें तो किसी काम के बदले सेक्स या किसी और तरह का सेक्शुअल फ़ेवर मांगना. अपनी पोज़ीशन का ग़लत इस्तेमाल करना-ये सब इस लॉ के तहत आते हैं.
अगर जम्मू एंड कश्मीर में ऐसा किसी महिला के साथ होता है तो वो पुलिस के पास जाकर शिकायत दर्ज कर सकती है. पुलिस प्रॉपर तहकीकात के बाद उस आदमी को गिरफ़्तार कर सकती है.
प्रज्ञा कहती हैं कि ये मी टू मूवमेंट की वजह से ही हुआ है. कोई माने या न माने, पर इस मूवमेंट ने आम औरतों की बहुत मदद की है.
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