किसी को दीवानगी से चाहना प्यार नहीं, दिमागी बीमारी है

जानिए हद से ज्यादा प्यार करने की बीमारी को क्या कहते हैं डॉक्टर.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
जनवरी 14, 2019
रिश्ते में हद से ज़्यादा जलन होना एक ख़तरे का साइन हैं. फ़ोटो कर्टसी: YouTube (सांकेतिक तस्वीर)

लड़कियों के खिलाफ दो घिनौने क्राइम के उदाहरण, जो पूरे देश ने देखे.

1. एक लड़की है. सुंदर सी. खुश है. अपने मंगेतर के साथ. मगर एक और लड़का है. पागल सा. लड़की के पीछे पड़ जाता है. उसके हॉस्टल के कमरे में घुस जाता है. जगह जगह अपने मैसेज छोड़ता है. सबको बताता है.

आखिरी में लड़का मर जाता है. नहीं मरता तो आईपीसी धारा 354 डी के तेहत जेल की हवा खा रहा होता. क्योंकि किसी लड़की का पीछा करना यानी स्टॉक करना कानूनन एक जुर्म है.

2. एक लड़की है. ये भी सुंदर सी. खुश है. अपनी सहेलियों के साथ. बगल के मोहल्ले का एक लड़का है. उससे प्यार करता है. इकतरफा. लड़की का पीछा करता है. कंधा पकड़ता है. थप्पड़ खाता है. फिर भी पीछा नहीं छोड़ता.

आखिरी में लड़का मर जाता है. नहीं मरता तो आप समझ ही गए होंगे क्या होता.

ओह, हमने आपको ऊपर के दो उदाहरणों में लड़का लड़की के नाम और केस का बरस तो बताया ही नहीं.

पहला चर्चित मामला था 1993 का. लड़के का नाम था राहुल, लड़की का नाम था किरण.

दूसरा मामला था, 2013. लड़के का नाम था कुंदन, लड़की का नाम था जोया.

ये फिल्मी कहानी थी, डर और रांझणा की. जिसमें स्टॉकिंग पर पब्लिक ने ताली पीटी. इन प्रेमियों को सराहा. क्योंकि प्रेमी सच्चे थे.

obsession-1_011419050055.jpgकुंदन रांझणा फ़िल्म में ज़ोया के पीछे हाथ धोकर पड़ा होता है. फ़ोटो कर्टसी: Pixabay

मगर इन फिल्मों को देखने वाले दर्शक कैसे होते हैं. कच्चे या फिर कमीने. तो वे भी पीछा करते हैं, अपनी किरण या जोया का. और वो नहीं मानतीं तो सिर्फ थप्पड़ खाकर चुप नहीं होते.

एसिड फेंक देते हैं. या फिर दोस्तों से रेप करवा देते हैं.

ये क्रिमिनल हैं. और बीमार भी, दिमागी रूप से.

इनकी बीमारी का नाम है- ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर.

इसके बारे में और जानने के लिए हमने डॉक्टर अजीत दुबे से बात की. ये मैक्स हॉस्पिटल, मलाड, मुंबई में साईकीएटट्रस्ट हैं. साथ ही हमने वंदना सक्सेना से बात की. ये दिल्ली में एक काउंसलर हैं. सफ़दरजंग में होलिस्टिक वेलबीइंग नाम की क्लिनिक चलाती हैं.

तो सबसे पहले...

ये ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर आख़िर होता क्या है?

डॉक्टर अजीत दुबे कहते हैं:

“ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर एक तरह की कंडीशन होती है. फ़र्ज़ कीजिए एक लड़का है कबीर. और लड़की है प्रिया. कबीर प्रिया को लेकर एकदम जुनूनी हो जाता है. इसे वो प्यार का नाम देता है. कबीर को लगता है कि उसे प्रिया को हर चीज़ से बचाकर रखना है. इस हद तक कि वो प्रिया कि छोटी से छोटी हरकत को भी कंट्रोल करने की कोशिश करे. भूल जाए कि प्रिया इंसान है. उसे अपना कोई समान समझे.”

obsession-2_011419050333.jpgप्यार और ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर में एक बहुत पतली लाइन होती है. फ़ोटो कर्टसी: YouTube

कैसे पता चलेगा कि आपको ओब्सेसिव लव डिसऑर्डर है?

इसके कुछ लक्षण होते हैं. वंदना सक्सेना ने हमें तो बताए.

1. किसी इंसान की तरफ़ हद से ज़्यादा लगाव.

2. उसी के बारे में हर वक़्त सोचना.

3. उस इंसान को हर चीज़ से बचाकर रखना. इतना कि इंसान का दम घुटने लगे.

4. अगर वो किसी से बात करे या दोस्ती करे तो हद से ज़्यादा जलन महसूस करना.

5. अपने बारे में बहुत छोटी राय रखना.

पर सिर्फ़ इतना ही नहीं है. प्यार और ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर में एक बहुत पतली लाइन होती है. डॉक्टर दुबे कहते हैं कि अगर कोई ये पांच चीज़ें करता है तो उसे मानसिक मदद की ज़रुरत है.

-हर वक़्त फ़ोन, ईमेल, या मैसेज करते रहना.

-सामने वाले की तरफ़ से हर वक़्त प्यार का इज़हार चाहना.

-बाकी दोस्तों या परिवार वालों से रिश्ता बनाए रखने में मुश्किल होना. क्योंकि हर वक़्त दिमाग में एक ही इंसान का ख़याल होता है.

-उसकी हर एक्टिविटी पर नज़र रखना.

-वो कहां जाता है, किससे मिलता है, हर चीज़ अपने मुताबिक करवाना या उसपर कंट्रोल रखना.

ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर क्यों होता है?

डॉक्टर दुबे कहते हैं:

“इसकी कोई एक वजह नहीं होती. एक बाकी मेंटल डिसऑर्डर की तरह ही होता है. ये उन लोगों में बहुत आम है जिन्हें किसी तरह का मेंटल डिसऑर्डर होता है. ख़ासतौर पर ओसीडी. किसी एक ख़याल का दिमाग पर हावी हो जाना. बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों में भी ये बहुत आम है.”

इसका क्या इलाज है?

अव्वल तो ख़ुशी की बात ये है कि ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर का इलाज मुमकिन है. बाकी मेंटल हेल्थ प्रोब्लम्स की तरह. वैसे हर केस अलग होता है. इसलिए इसका इलाज भी अलग होता है. पर ज़्यादातर ये दवाइयों और साइकोथेरेपी से ठीक हो सकता है.

दवाइयों की मदद से ब्रेन में हो रहे केमिकल लोचे पर कंट्रोल किया जा सकता है. और ये इमोशंस पर लगाम लगता है.

आपको कौन सी दवा दी जाती है, ये आपके डॉक्टर और केस पर निर्भर करता है. पर हां. डॉक्टर की मदद लेना ज़रूरी है.

प्यार और सनक में फ़र्क होता है. प्यार जेल में रहने का नाम नहीं है. अगर ऐसा है तो यकीन मानिए ये प्यार नहीं है.

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देखिए:

 

 

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