'औरत की पहचान बीवी भर है', ऐसा सोचने वालों को वकील इंदिरा जयसिंह ने मुंहतोड़ जवाब दिया

इंदिरा जयसिंह काफ़ी नामी-गिरामी वकील हैं.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
मार्च 09, 2019
इंदिरा जयसिंह (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

बचपन में जब भी कोई शादी का कार्ड देखते थे तो एक बात समझ में नहीं आती थी. सबके ऊपर लिखा होता था मिस्टर एंड मिसेज शर्मा, या वर्मा, या कपूर. कहने का मतलब है कि एक ही नाम में दो लोग निपट जाते थे. औरत का कहीं नाम नहीं होता था. पति का सरनेम उसकी पहचान के लिए काफ़ी होता था. भई, हमें इस बात से बड़ी खीज होती थी. अपनी शादी के बाद नाम नहीं बदला. ताकि लोग मुझे अलग इंसान समझे. इसलिए हाल-फिलहाल में मशहूर वकील इंदिरा जयसिंह के साथ जो हुआ वो हम अच्छे से समझ सकते हैं.

जो नहीं जानते इंदिरा कौन हैं. हम बताते हैं.

इंदिरा काफ़ी नामी-गिरामी वकील हैं. उन्होंने अपने करियर में ह्यूमन राइट्स यानी मानव अधिकारों के लिए काफ़ी काम किया है. जो लोग कानूनी फ़ीस नहीं अफोर्ड कर सकते, इंदिरा उनके लिए भी काम करती हैं. वकीलों के एक ग्रुप के साथ. यही नहीं. वो महिलाओं के हक़ में भी लड़ती हैं. काफ़ी बड़े मामले लड़े हैं. अब जिस औरत ने अपनी ज़िन्दगी में इतना कुछ किया है. उसे मात्र किसी की बीवी बोलकर संबोधित किया जाए तो ये एक बड़ी नाइंसाफी है.

तो हुआ कुछ यूं.

सात मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सेशन चल रहा था. बेंच पर जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा बैठे थे. सीनियर काउंसल आनंद ग्रोवर इंदिरा जयसिंह की तरफ से कोर्ट में लड़ रहे थे. एक छोटी सी इनफार्मेशन. आनंद ग्रोवर इंदिरा के पति हैं. और वो भी पेशे से वकील हैं.

anand-grover-1_030919125011.jpgआनंद ग्रोवर (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

जस्टिस मिश्रा ने आनंद ग्रोवर से पूछा वो किसकी तरफ से केस लड़ रहे हैं.

आनंद ग्रोवर ने जवाब दिया:

“मिस जयसिंह.”

जस्टिस मिश्रा ने फिर पूछा:

“इंदिरा जयसिंह नहीं.”

आनंद ग्रोवर ने कहा:

“हां. इंदिरा जयसिंह.”

इस मौके पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी वहां मौजूद थे. उन्होंने कहा:

“आनंद ग्रोवर आपको कहना चाहिए आप अपनी बीवी की तरफ़ से लड़ रहे हैं.”

इस पर इंदिरा जयसिंह ने बहुत ही सटीक बात बोली. उन्होंने कहा:

“मिस्टर अटॉर्नी जनरल आपको अपनी बात वापस लेनी चाहिए. मैं अपने आप में एक अलग इंसान हूं.”

indira-1_030919125113.jpgइंदिरा काफ़ी नाम-गिरामी वकील हैं. फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर

कुछ मिनट बाद इंदिरा ने फिर कहा:

“मुझे माफ़ करिएगा. मुझे गुस्सा आ गया था. पर मैं और मेरे पति ख़ुद को अलग-अलग वकील के रूप में देखते हैं. हमें किसी का पति या पत्नी कहकर संबोधित नहीं करना चाहिए. हम चाहते हैं हमें अलग-अलग इंसानों के रूप में देखा जाए. इसलिए हमने अपने नाम भी नहीं बदले.”

कोर्ट को तो इंदिरा की बात समझ में आ गई. काश समाज को भी समझ में आ जाए.

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