मरी हुई मां के लिए कंधा मांगने गया तो 'नीची जात' कहकर दुत्कार दिया

कोई बेटा नहीं चाहेगा कि उसकी मां को इतने दयनीय तरीके से विदा करना पड़े

मां का शव ले जाता बेटा. फोटो- ऑडनारी (रिपोर्टर- मोहम्मद सुफियान)

ओडिशा में एक जिला है झारसुगुड़ा. वहां एक गांव है कर्पबहाल. बहुत छोटा सा गांव है. इस गांव से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे सुनकर आपको दुख भी होगा, गुस्सा भी आएगा, और दया भी आएगी. हुआ ये कि, दो-तीन दिन पहले इस गांव में 45 साल की एक औरत की मौत हो गई. उसकी मौत के बाद, गांव का कोई भी व्यक्ति उसे कंधा देने के लिए आगे नहीं आया. उसका अंतिम संस्कार करने के लिए सामने नहीं आया.

saroj_750x500_011819042223.jpgफोटो- ऑडनारी (रिपोर्टर- मोहम्मद सुफियान)

औरत के परिवार के नाम पर केवल एक बेटा था. 17 साल का. नाम है सरोज. सरोज को अकेले ही अपनी मां की अर्थी उठानी पड़ी. उसने साइकिल पर अपनी मां के शव को बांधा. अच्छे से उसे कवर किया. और साइकिल खींचता हुआ, वो जंगल की तरफ निकल पड़ा. उसने गांव से कुछ किलोमीटर दूर एक जंगल में, अपनी मां के शव को गाड़ दिया. अकेला था, इसलिए अंतिम संस्कार करने के लिए जो प्रक्रिया की जाती है, वो नहीं कर सका.

saroj-1_750x500_011819042236.jpgफोटो- ऑडनारी (रिपोर्टर- मोहम्मद सुफियान)

सबसे बड़ा सवाल, गांव का कोई व्यक्ति लड़के की मदद के लिए, उसकी मां के अंतिम संस्कार के लिए आगे क्यों नहीं आया? कारण है कास्ट. वो औरत और उसका बेटा, 'नीच जात' के थे. इसलिए गांव के हाईफाई और ऊंची जात के लोग, उस औरत का अंतिम संस्कार कैसे कर सकते थे. अरे, अगर उस औरत को छूते, तो हाथ गल जाते न उन लोगों के. इसलिए सोचा कि मदद ही न करो उस लड़के की. औरत का नाम था जानकी सिंहानिया. वो पानी भरने के लिए गई थी, जहां वो अचानक जमीन पर गिरी और उसकी मौत हो गई. उसके पति की पहले ही मौत हो चुकी थी.

सरोज जब मां का शव साइकिल पर लादकर ले जा रहा था, कच्ची गलियों से गुज़र रहा था, उस वक्त कुछ लोगों ने उससे पूछा कि उसकी साइकिल में क्या लदा है. वो बहुत ही शांत तरीके से जवाब देता- 'मेरी मां'.

saroj-3_750x500_011819042249.jpgफोटो- ऑडनारी (रिपोर्टर- मोहम्मद सुफियान)

कितनी अजीब बात है न, कि आज भी हमारे देश के कई इलाकों में जात-पात को लेकर छुआछूत होती है. ये सोचकर भी कितना अजीब लगता है, कि जहां एक तरफ लोग इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, कि हमारा देश बढ़ रहा है, प्रगति कर रहा है, विकास कर रहा है, लोगों की सोच बदल रही है, उसी देश में आज भी जात-पात, छुआछूत हो रही है. ऐसी घटनाओं से ये साबित हो जाता है कि जातपात खत्म होने में अभी बहुत समय लगेगा. और अभी भी लोगों को 'नीच जात' में पैदा होने का अंजाम भुगतना ही पड़ेगा. एक और बात, इस मामले में अभी तक पुलिस में कोई शिकायत नहीं हुई है.

saroj-2_750x500_011819045359.jpgफोटो- ऑडनारी (रिपोर्टर- मोहम्मद सुफियान)

ओडिशा के महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं, प्रफुल्ल समाल. हमने इस घटना के बारे में इनसे बात की. समाल ने इस घटना को बहुत ही हल्के में लेते हुए कहा, 'ऐसी घटनाएं बहुत कम होती हैं. हमने कलेक्टर्स से कहा है कि वो नजर रखें, ध्यान रखें कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.' इसके अलावा समाल ने गांव वालों के खिलाफ एक्शन लेने की कोई बात तक नहीं कही.

वहीं इस मामले में, कांग्रेस प्रवक्ता सत्य प्रकाश नायक ने ओडिशा की बीजेडी सरकार की आलोचना की. कहा कि सामाजिक सुरक्षा जैसी कोई चीज ही नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने समाल के बयान के विरोध में बयान दिया. कहा कि ऐसी घटनाएं रोज ही होती हैं, लेकिन फर्क सिर्फ इतना है, कि ढेर सारी ऐसी घटनाएं मीडिया की नजर में नहीं आतीं.

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