यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद साजिद खान को इतनी 'सख्त' सजा मिली है कि हमें तरस आ रहा है!
औरतों के लिए इतना कुछ. वाह.
यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद भारतीय फिल्म और टेलीविज़न निर्देशक संघ (IFTDA) ने साजिद खान पर एक साल का बैन लगाया है. 'मी टू' मूवमेंट के दौरान एक पत्रकार, एक महिला एक्टर और एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने साजिद खान पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. बिपाशा बसु, दिया मिर्ज़ा और लारा दत्ता ने भी इन आरोपों का समर्थन किया था.
IFTDA के अध्यक्ष अशोक पंडित ने अपने स्टेटमेंट में कहा-
'कमेटी ने 'प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट (POSH) के मद्देनज़र साजिद खान पर लगे आरोपों की जांच की. पीड़ित महिलाओं ने साजिद पर यौन उत्पीड़न, बिना मर्ज़ी के उन्हें छूने की कोशिश, सेक्सुअल फेवर्स की मांग और अपने पद का गलत फायदा उठाने के आरोप लगाए थे.'
स्टेटमेंट में ये भी कहा गया कि साजिद खान को अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया गया था. उन्होंने कोई सफाई नहीं दी है. साजिद पर महिलाओं ने कपड़े उतारने का दबाव बनाने, क्लीवेज दिखाने को कहने, बिना मर्ज़ी के उन्हें छू ने और जबरदस्ती करने के आरोप लगाए. इन सब पर साजिद ने कोई जवाब नहीं दिया है. हालांकि, उन्होंने माना कि उनका व्यवहार असहज करने वाला हो सकता है. वो कई बार अपने साथियों के बीच गालियां दे देते हैं. उन्होंने ये भी मान कि उनके कई लड़कियों के साथ संबंध रहे हैं पर लड़कियों की मर्ज़ी के साथ.
फिल्म शूट के दौरान साजिद. फोटो क्रेडिट- ट्विटर/साजिद खान
IFTDA ने नवंबर में साजिद खान के खिलाफ शो कॉज़ नोटिस जारी किया था. इस नोटिस में कहा गया था- 'आपके अश्लील व्यवहार ने भारतीय फिल्म और टेलीविज़न निर्देशक संघ को अपमानित किया है. हम इसके लिए आपसे नोटिस मिलने के सात दिनों के भीतर जवाब देने की अपेक्षा करते हैं.'
नोटिस के जवाब में साजिद खान ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया था. उन्होंने ट्विटर पर जवाब देते हुए कहा था-
— Sajid Khan (@SimplySajidK) October 12, 2018
साजिद खान की बात सुनने के लिए फिल्म और टेलीविज़न निर्देशक संघ ने एक इंटर्नल कमेटी का गठन किया था. इंटर्नल कंप्लेंट्स कमेटी ने साजिद और आरोप लगाने वाली महिलाओं दोनों की बात सुन कर फैसला दिया है.
अध्यक्ष अशोक पंडित ने मी टू मूवमेंट का समर्थन किया. उन्होंने कहा - 'इस पहल ने महिलाओं को यौन उत्पीड़न के खिलाफ बोलने की हिम्मत दी है. एक शिकायतकर्ता जो इस तरह की घटना को सबके सामने बताने का साहस करता है वो सिर्फ सहानुभूति का हकदार नहीं होता बल्कि सच बोलकर दुनिया को आइना दिखा रहा होता है. अब ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप उन लोगों को सज़ा दें जो किसी भी व्यक्ति का शोषण करता है.'
साजिद खान एक टेलीविज़न शो पर. फोटो क्रेडिट- ट्विटर/साजिद खान
IFTDA के अध्यक्ष का ये बयान उनकी करनी से विपरीत लगता है. साजिद खान पर एक साल का बैन लगना क्या सज़ा के तौर पर काफी है? इतने दिन तो डायरेक्टर्स कई बार ऑफ ले लेते हैं. यानी फिल्म बनाने से छुट्टी ले लेते हैं.
साजिद के ऊपर लगे आरोप गंभीर हैं. क्या इंटरनल समिति गठित कर उनकी जांच करना IFTDA का फर्ज नहीं है? जो सत्ता पर नमूदार लोगों ने कई महिलाओं के करियर खा लिए, उन्हें मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा और आप उन्हें बदले में एक साल का बैन लगाकर सज़ा नहीं तोहफा दे रहे हैं.
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