35 साल में लड़कियों के लॉन्जरी खरीदने का तरीका कितना बदल गया?

सफेद, काले और स्किन कलर से रंगबिरंगे कैसे हो गए महिलाओं के अंडरगार्मेंट्स.

हर शहर में एक खास बाजार होता है. वो बाजार जो लड़कियों के प्रोडक्ट के लिए फेमस होता है. इन बाजारों में गली के दोनों तरफ छोटी-छोटी दुकानें होती हैं. जिनमें लड़कियों से रिलेटेड हर सामान मिलता है. नेल पॉलिश, झुमके, मेकअप से लेकर रंगबिरंगी अलग-अलग डिजाइन की लॉन्जरी तक सबकुछ.

हमारी साथी वेबसाइट 'द लल्लनटॉप' की की टीम इस वक्त चुनावी यात्रा पर है. इस टीम की रिपोर्टर प्रतीक्षा पांडेय लखनऊ के अमीनाबाद एरिया के गड़बड़झाला नाम के मार्केट में पहुंची. ये मार्केट महिलाओं के सामान आर्टीफिशियल जूलरी, कॉस्मेटिक, अंडरगार्मेंट्स का है.

उन्होंने यहां एक दुकानदार से बात की, जो 35 साल से इस बिजनेस में हैं. उन्होंने पूछा कि 35 साल में लॉन्जरी के ट्रेंड में कितना फर्क आया? ये ट्रेंड कब बदला? महिलाओं का लॉन्जरी खरीदने के तरीका कितना बदल गया? वगैरह.

दुकानदार ने बताया, 'पहले औरतें, लड़कियां आती थीं. डब्बे निकालकर झट से रख लेती थीं और चली जाती थीं. अब वो आती हैं तो उन्हें सामान दिखाते-दिखाते पूरा दिन बीत जाता है. वो अब डिजाइनर, फैंसी अंडरगार्मेंट्स की मांग करती हैं.'

वहीं दुकान में काम करने वाली लड़की ने बताया कि कुछ लड़कियां मोबाइल में लॉन्जरी की फोटो लेकर आती हैं. वो दिखाती हैं कि उन्हें वैसी ही लॉन्जरी चाहिए.

आप भी देख सकते हैं कि दुकानदार ने और क्या-क्या बताया...

 

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