अगर प्यार पाने के लिए तुम्हें वज़न घटाना पड़ रहा है तो तुम गलत रिश्ते की ओर बढ़ रही हो
कभी सामने से, कभी शक्कर में लपेटकर वो तुमसे कहेंगे कि दुबली हो जाओ. पर तुम मत सुनना.
मेरी एक सहेली है रुचि. उम्र है 24 साल.
प्यारा सा चेहरा. तीखे नैन नक्श. दुनिया की नज़र में जिसे ‘खूबसूरत’ कहा जाए, ऐसा चेहरा है उसका. लेकिन बॉयफ्रेंड हमेशा उसके वज़न के पीछे पड़ा रहता था. कभी सीधे शब्दों में तो कभी किसी और के कहे का बहाना बनाकर वो उसे अहसास दिलाता कि वो मोटी है. कि वो उसके मोटापे के साथ एडजस्ट कर रहा है.
रुचि रोती. परेशान होती. हर दूसरे दिन डाइटिंग पर जाती. लेकिन अपने बॉयफ्रेंड के ताने सुनकर भी चुप रहती.
कई लड़कियां हैं जिनको खुद उनके घरवाले कहते हैं कि वजन बढ़ गया तो अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा. ज़रा सा चेहरा भर आए तो कहते हैं, खाना पीना कम करो. सीधे-सीधे नहीं कह पाते तो कह देते हैं, शरीर फूला हुआ लग रहा है. ध्यान दो.
लड़की थोड़ा और सिमट जाती है. थोड़ा और झुक जाती है. प्लेट से रोटी निकाल देती है. दिन भर पानी पीकर निकालने का प्रण लेती है. कार की बैकसीट पर बैठने से कतराती है. चुपचाप आगे बैठ जाती है. तस्वीरों में कॉर्नर में खड़े होने से डरती है कि चौड़ी न दिखे. काले कपड़े पहनकर संतोष पाती है कि इसमें तो पतली लग रही होगी. कपड़ों का साइज बढ़ता जाता है. और उसका सेल्फ एस्टीम घटता जाता है.
टीवी सीरियल माही वे में दिखाया गया था कि एक 'मोटी' लड़की की जिंदगी कैसी होती है.
पहली नज़र का प्यार इंची टेप लेकर साथ घूमता होगा शायद
होने को तो ये होना चाहिए था कि उससे ताल ठोंककर कोई कह देता, कि खुद पर भरोसा रखो. खुद से प्यार करो. कि इन सबसे कुछ नहीं होता.
होना तो ये चाहिए था कि उसके लिए कोई प्रेम पत्र लिखता, कोई अपने सभी काम छोड़ उससे मिलने आता, कोई उसके माथे पे अंगुलियां फेर उसे सुला देता, कोई उसकी डांट से डरने का नाटक करता, कोई उसके लिए गीत गाता, कविताएं कहता.
मगर महाकवियों और चित्रकारों के प्रेम और दीवानगी छरहरी लड़कियों के लिए आरक्षित थे. काली, मोटी, नाटी लड़कियां 'अरेंज मैरिज' का इंतज़ार करती रहीं और अनजान व्यक्तियों से प्रेम में पड़ने के पहले उनके बच्चे अपनी कोख में पालना शुरू कर चुकी थीं.
लैला के बारे में कहते हैं कि दिखने में बड़ी ‘साधारण’ थी. अब इस साधारण शब्द की परिभाषा क्या हो, इस पर चर्चा हो सकती है, लेकिन उसमें वक़्त जाया न करके बस ये समझ लेते हैं कि समाज जिसे ‘अनिन्द्य सुंदरी’ माने, वो नहीं थी. पर मजनू उसके पीछे पागल था. उनकी प्रेम कहानी के बारे में लोग आज भी गाते हैं. बात करते हैं. फिल्में बनाते हैं. लेकिन पहली नजर का प्यार आम तौर पर जैसा हमें दिखाया जाता है, वो ‘परफेक्ट लड़की’ पर ही जाकर टिकता है.
पहली नज़र का प्यार इंची टेप लेकर साथ घूमता होगा शायद. इसीलिए शाहरुख़ की हीरोइन कभी तुम्हारी और मेरी तरह नहीं दिखती थी. वो आसमान से उतरी परी की तरह दिखती थी. उसके पास गिरती हुई बर्फ में बिना बाजू का ब्लाउज पहनकर नाचने का सुपरपावर था.
फिल्म नूर में सोनाक्षी सिन्हा का किरदार नूर बॉडी इमेज इशूज से जूझ रहा होता है. पर वो भी मज़ाक बन कर रह गया है.
ऐसा नहीं है कि नायिकाएं भरे बदन की नहीं होती थीं. लेकिन अगर तब उनके वेट लॉस की कहानी किसी मैगज़ीन की कवर स्टोरी बन सकती तो शायद वे भी पतली हो जातीं.
नायिकाओं ने नायिकाएं बनने के पहले कई किलो घटा लिए. प्रेग्नेंसी के बाद भी चर्बी गायब करने में 6 महीने नहीं लगे. हमें बताया गया कि बड़ी वर्जिश और योग लगे ऐसा बदन पाने में. कितना प्रेरक है ये. वजन घटाने की कहानी कब सक्सेस स्टोरीज बनने लगीं, पता ही नहीं चला.
सक्सेस स्टोरी तो हम और तुम भी बन सकते हैं पर न तुम्हारे पास पर्सनल जिम है न मेरे पास. हमारे पास पर्सनल कोच और डाइट एक्सपर्ट नहीं हैं. हमारे पास कॉस्मेटिक सर्जरी की सुविधा नहीं है. जिसका जिक्र नायिकाएं कभी नहीं करतीं.
नायिकाएं तुमसे कहेंगी कि तुम घी खाने से ग्लो करोगी. ऑलिव ऑइल में पका खाना खाने से छरहरी हो जाओगी. पपीता लगाकर उनके जैसी हो जाओगी. योग करने से 35 की उम्र में 25 की दिखोगी.
शुभचिंतक तुमसे कहेंगे कि बस शादी के पहले घटा लो. शादी के समय स्टेज पर सही दिखने के लिए. डॉक्टर से बुखार की दवाई लेने जाओगी तो भी वो कहेंगे कि वज़न घटा लो, सब ठीक हो जाएगा. घरवाले कहेंगे कि आने वाले बच्चे के लिए सही रहेगा.
बॉयफ्रेंड कहेगा कि मैं तुमसे 'हर हाल' में प्यार करूंगा और तुम थोड़ी और कृतज्ञ हो जाओगी. थोड़ी और ऋणी. खुद को थोड़ा और छोटा महसूस करोगी.
पति को देखकर याद करोगी कि शादी के समय कैसी परफेक्ट थी. अब फसक के बोरी हो गई हो. डरोगी कि शादी नीरस हो जाएगी. सोचोगी कि पति प्यार करना बंद तो नहीं कर देगा.
कभी सामने से, कभी शक्कर में लपेटकर वो तुमसे कहेंगे कि दुबली हो जाओ.
जिस दिन तुम्हारा मोटापा तुम्हारे स्वास्थ्य पर असर डालने लगे, तुम बेशक दुबली हो जाना. मगर जो तुम्हारे 'भले के लिए' वज़न घटाने को कहें, जहां 'भले' का अर्थ किसी ड्रेस में फिट होकर 'खूबसूरत' दिखने का हो, तुम मत सुनना. क्योंकि कोई फैशन ब्रांड तुम्हारे स्वाभिमान का साइज़ तय नहीं करेगा.
और जो प्रेम, जो रिश्ते तुम्हारे शरीर और चेहरे से तय होते हैं. उनपर थूकना. बार-बार.
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