आयुष्मान का अपनी पत्नी के लिए व्रत रखना क्यूट नहीं, खतरनाक है
आयुष्मान ने अपनी पत्नी ताहिरा के साथ एक तस्वीर शेयर की.
ये आर्टिकल अंग्रेजी में डेली ओ पर छपा था. वेबसाइट की इजाज़त से हम इसका हिंदी तर्जुमा आपको पढ़वा रहे हैं. अंग्रेजी में ये आर्टिकल नैरीता मुखर्जी ने लिखा है.
किसी शायर ने कहा है, 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता.'
मगर हमें ये बात समझ में नहीं आती. मसला धर्म का हो, तब तो बिलकुल ही नहीं.
शनिवार, 27 अक्टूबर को अय्श्मन खुराना ने ट्वीट किया कि करवाचौथ है तो इस वजह से वो अपनी अप्तनी ताहिरा कश्यप के लिए उपवास रख रहे हैं. उन्होंने कहा की 'वो इस बार व्रत नहीं रख सकती. इसलिए मैं रख रहा हूं. उसकी अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए.'
Fasting for you is fun. #KarvaChauth pic.twitter.com/AiYIqDyGaG
— Ayushmann Khurrana (@ayushmannk) October 27, 2018
यहां एक बात बताना जरूरी है. ताहिरा का हाल ही में ब्रेस्ट-ट्रीटमेंट हुआ है. उनके स्तनों की जांच में ऐसे सेल पाए गए थे जो कैंसर की ओर बढ़ रहे थे. उन्होंने एक बड़े ही मजेदार तरीके से अपने दर्द को इन्स्टाग्राम पर बयान किया था. 'मैं एंजलीना जोली का आधा-इंडियन रूप बन गई हूं. मेरा एक ही स्तन गया है न. मैंने तो अपने डॉक्टर से कह दिया कि (ब्रेस्ट सर्जरी के मामले में) कार्देशियन परिवार को चुनौती देने का वक़्त आ गया है. और इसी के साथ मेरी पीठ से टिशू निकालकर मेरे ब्रेस्ट में लगाया गया.'
तो अपनी सेहत के चलते ताहिरा ने करवाचौथ नहीं मनाया--न व्रत रखा, न बाकी टीम-टाम किया. मगर ये बीड़ा उठाया आयुष्मान ने.
उन्होंने ट्वीट किया, 'तुम्हारे लिए व्रत रखना सुखद है.' और ट्विटर ख़ुशी से बमबम हो गया. सबने कहा, 'ये होता है असली मर्द.'
सबको लगा इससे क्यूट कुछ नहीं हो सकता. लोगों ने कहा, 'एक पुरुष औरत के लिए व्रत क्यों नहीं रख सकता?' भई सही बात है. अगर दिनभर खुद को भूखा रखने, खाने की इच्छा मारने का लक्ष्य अपने पार्टनर के लिए लंबी उम्र और अच्चा स्वास्थ्य पाना है, तो औरतें क्यों पुरुष से कम हों?
लेकिन, लेकिन, लेकिन. एक बात बताइए. जो काम पत्नी कर रही थी, उसे ख़त्म करने के बजाय वही काम पुरुष भी करने लगे, तो कौन सी बराबरी मिल जाएगी हमें?
सिर्फ आयुष्मान ही नहीं हैं जो अपनी पत्नी के लिए व्रत रखकर हमें बराबरी की रेस में पीछे कर रहे हैं. अभिषेक बच्चन ने भी ऐसा ही किया है. और साथ ही दूसरे पुरुष जो चिप्स का एक बड़ा पैकेट खोलकर टीवी के सामने पसरने वाले थे, को भी संदेश दिया है कि वे भी ऐसा ही करें.
#KarvaChauth, good luck ladies.... And the dutiful husbands who should also be fasting with their wives! I do.
— Abhishek Bachchan (@juniorbachchan) October 27, 2018
पर हम मर्दों को भी क्या ही दोष दें. बॉलीवुड ने हमेशा, बार-बार, करवाचौथ को ऐसे दिखाया है, जैसे यही प्रेम का पर्याय हो. सिमरन की शादी नहीं हुई है फिर भी वो व्रत रखती है. क्योंकि, भाई साब, प्यार. अब राज प्यार का जवाब प्यार से कैसे न दे. तो दोनों एक ही थाली से खाते हैं, बारी-बारी एक दूसरे को खिलाते हुए.
क्योंकि अगर आपने इस तरह प्रेम नहीं किया, तो क्या ख़ाक प्रेम किया!
हमें जाने कितने दशक ये समझने में लगेंगे कि करवाचौथ रोमैंटिक नहीं है. आप भूखी रहकर किसी मरते हुए पुरुष को नहीं बचा सकतीं, जिस तरह वीरवती ने बचाया था. बल्कि आपको पति को ले जाने के लिए कोई यमराज है ही नहीं. यमराज नहीं है, जैस सांता क्लॉज नहीं है. फिर हम, आखिर क्यों, एक ऐसी रस्म को पहले महिलाओं और फिर पुरुषों से व्रत रखवाकर जीवित रखना चाहते हैं, जिसकी जड़ें रूढ़िवाद में हैं.
सती भी तो हमारी परंपरा थी, तो क्या उसको ख़त्म करने के बजाय हमें विधुर हुए पुरुषों को पत्नी की चिता के साथ जलाना शुरू कर देना चाहए था?
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