भोपाल में साध्वी प्रज्ञा को भयंकर लीड मिलने के पीछे वजह क्या है?

26/11 हमले के शहीद हेमंत करकरे और गोडसे पर प्रज्ञा ने दिये थे विवादित बयान.

लोकसभा चुनाव 2019. मध्य प्रदेश. भोपाल. हाई प्रोफाइल सीट है. मुकाबला है बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा उर्फ़ प्रज्ञा ठाकुर और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के बीच. दिग्विजय राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस सीट को हाई प्रोफाइल बनाने की रही सही कसर प्रज्ञा ठाकुर ने अपने बयानों से पूरी कर दी. रुझान आ गए हैं.

पिछले दिनों प्रज्ञा ने जिस तरह के बयान दिए थे, उस हिसाब से लोगों को लग रहा था कि उनका भोपाल में जीतना मुश्किल होगा. लेकिन खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार प्रज्ञा इस चुनाव में 1,36,968 मतों से आगे चल रही हैं. ये एक कम्फर्टेबल लीड कही जाएगी. यानी इसमें कांटे की टक्कर नहीं है. प्रज्ञा जीत की तरफ बढ़ रही हैं.

pragya-1_750x500_052319024558.jpgतस्वीर: ट्विटर

लेकिन ये हुआ कैसे?

ये जानने के लिए हमने भोपाल के विशेष संवाददाता रवीश पाल सिंह से बात की. उन्होंने हमें बताया,

‘जो वोटिंग हुई है यहां पर वो सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी के नाम पर हुई है. राष्ट्रवाद, नरेंद्र मोदी और सर्जिकल स्ट्राइक, इन बातों को आगे रखकर वोटिंग हुई है. इनके अलावा कोई फैक्टर नहीं था यहां. इसके अलावा जो एक्स्ट्रा फैक्टर था वो था हिंदुत्व. साध्वी हार्ड हिंदुत्व की लाइन के साथ आई. उनके बयानों से नुकसान हुआ, लेकिन उस नुकसान को राष्ट्रवाद और मोदी की लहर ने पूरा कर दिया. नुकसान तो बिल्कुल हुआ. महाराष्ट्रियन समाज के लोग गुस्सा हुए. दिग्विजय ने काफी कोशिश की खुद को बड़ा हिन्दू बताने की, बहुत सारे मंदिर गए. वो जो दस साल सीएम रहे, उस समय जो स्थितियां थीं, बहुत ज्यादा लाईट जाती थी, सड़कें खराब थीं , बहुत से एम्प्लाइज को नौकरी से निकाला गया था, इन सब चीज़ों को लेकर लोगों का गुस्सा अब तक बना हुआ है. माना जा रहा था कि 15 साल बहुत लम्बा वक़्त होता है. और 15 सालों के बाद दिग्विजय सिंह आए हैं पॉलिटिक्स में तो ये माना जा रहा था कि लोग भूल गए होंगे. क्योंकि एक बड़ा वोट बैंक होता है यूथ का. जो यूथ अब वोट करने लायक हुआ है वो इस स्थिति में था नहीं कि पॉलिटिकल सिचुएशन समझ पाता. एक तो नरेंद्र मोदी, दूसरा हिंदुत्व, इन दो चीज़ों ने साध्वी को भोपाल सीट पर आगे रखा.'

राकेश मालवीय स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनसे जब पूछा गया कि भोपाल में इस पॉलिटिकल डेवलपमेंट के क्या मायने हैं तो उन्होंने भी यही बात कही. उन्होंने कहा-

‘साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयानों को बिसरा कर ​लोगों ने मोदी को ही वोट दिया. दिग्विजय सिंह का चुनावी मैनेजमेंट निश्वित ही प्रज्ञा से भारी था, उन्होंने अपनी छवि के विपरीत ऐसा कोई बयान नहीं दिया इसके बावजूद वह जीत नहीं पाए. कारण साफ है, मोदी पर लोगों का भरोसा बरकरार है’.

pragya-2_750x500_052319024626.jpgतस्वीर: ट्विटर

अपराजिता* मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से हैं. उनसे जब पूछा हमने कि दिग्विजय सिंह की लीडरशिप को लेकर क्या दिक्कत थी एक आम आदमी को, तो उन्होंने बताया,

‘जब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब मैं बहुत छोटी थी. लेकिन मुझे अच्छे से याद है कि हमें पानी की बहुत दिक्कत होती थी. घर पर कई बार तीन-तीन दिन तक पानी नहीं आता था. सरकारी नल में भी दिन में एक बार पानी आता था, वो भी केवल आधे घंटे के लिए. पूरा मोहल्ला उसी समय में, उस एक नल से पीने का पानी भरता था. घर की टंकियां खाली रहती थी. इसके अलावा बिजली की भी बहुत दिक्कत थी. अच्छी तरह से याद है कि कई बार दिन में सात-सात घंटे तक लाइट नहीं रहती थी.'

तो जहां एमपी में मोदी का असर और हिंदुत्व का जोर चल रहा था. वहीं, दिग्विजय सिंह का ट्रैक रिकॉर्ड जिससे लोग नाखुश थे वो भी पिक्चर में रहा. लेकिन कुल मिलाकर साध्वी प्रज्ञा की जीत के पीछे बीजेपी और नरेंद्र मोदी के असर का बहुत बड़ा रोल है, उनके अपने कैंडिडेचर से ज्यादा. आतंक के मामले में आरोपी होने से भी ज्यादा.

diggi_750x500_052319024653.jpgतस्वीर: ट्विटर

मालेगांव धमाका क्या था जिसमें साध्वी प्रज्ञा का नाम आया?

महाराष्ट्र में एक जिला है नासिक. यहां मालेगांव नाम की एक जगह है. इसी जगह पर 29 सितम्बर, 2008 को एक मोटरबाइक में बम विस्फोट हुआ. इस बम विस्फोट में 7 लोगों की जान चली गई. कई लोग घायल भी हुए. यह धमाका रमजान के महीने में किया गया था, जब काफी लोग नमाज पढ़ने के लिए जा रहे थे. इस धमाके में कुछ हिंदू संगठनों के होने की बात सामने आई थी. क्योंकि जिस बाइक में बम फिट किया गया था. वो बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम पर रजिस्टर्ड थी. इसी वजह से पुलिस का शक प्रज्ञा पर गया और उन्हें शक के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. इसमें अन्य लोगों के होने की भी बात सामने आई थी. 2017 में प्रज्ञा के साथ-साथ 7 आरोपियों को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली. प्रज्ञा को ये जमानत 5 लाख रुपए का बॉन्ड देने पर मिली थी.

*गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं.

 

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