ये होटल संडे को महिला से काम करवाता था, देना पड़ा 150 करोड़ का मुआवजा

महिला बर्तन धोने का काम करती थी.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
जनवरी 21, 2019
मैरी जीन अमरीका की रहने वाली हैं और एक होटल में काम करती हैं. फ़ोटो कर्टसी: YouTube

फ़र्ज़ कीजिए आज फ्राइडे नाईट है. वाह! सुनकर ही फ़ील आ गई. और कल वीकेंड. यानि सैटरडे, संडे. आपने पहले से प्लांस बना रखे हैं. पर आप जैसे ही ऑफिस से निकल रही हों, बॉस बुला लें. कहें. इस संडे तुम काम करोगी. और सिर्फ़ इसी संडे नहीं. अगले 10 सालों तक लगातार हर संडे तुम्हारी शिफ्ट! आप शायद उसी समय अपना इस्तीफ़ा ही पकड़ा दें. पर हर कोई इतना ख़ुशकिस्मत नहीं होता.

सोशल मीडिया पर आजकल एक औरत की कहानी बहुत धूम मचा रही है. औरत का नाम है मैरी जीन. अमरीका में मयामी की रहने वाली हैं. वहां के ही एक काफ़ी पॉपुलर होटल में काम करती हैं. हिल्टन. काम बर्तन धोने का है. ये वो पिछले 10 सालों से कर रही हैं. जब मैरी ने होटल में काम करना शुरू किया था तो उनकी एक ही दरख़ास्त थी. उनको संडे की शिफ्ट न दी जाए. इसलिए नहीं क्योंकि उन्हें दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाना था. या देर तक सोना था. वो इसलिए क्योंकि हर संडे उन्हें चर्च जाना होता था.

मैरी ने अप्रैल 2006 में ये नौकरी शुरू की थी. उस समय उन्होंने होटल को अपनी दिक्कत के बारे में बताया था. कुछ दिनों तक मैरी को संडे शिफ्ट नहीं दी गई. एक दिन होटल के किचन मैनेजर ने फ़ैसला लिया. मैरी को संडे को काम पर बुलाना शुरू कर दिया. मैरी ने अपनी धार्मिक मजबूरी बताते हुए एक ख़त भी लिखा. पर मैनेजर ने उनकी एक नहीं सुनी.

मैरी के टीम के लोग उनके साथ थे. वो उनसे संडे को अपनी शिफ्ट बदल लेते. ऐसा मार्च 2016 तक चला. 2016 में मैरी को नौकरी से निकाल दिया गया. ये कहकर कि वो अपने काम से नदारद रहती थीं. मैरी काफ़ी दुखी हुईं. 10 सालों तक ईमानदारी से नौकरी करने के बावजूद मैरी को काम से निकाल दिया गया. इससे दुखी होकर मैरी ने होटल के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की. मुद्दा था कि कोई भी कंपनी धर्म के बेसिस पर अपने एम्प्लोयी से भेदभाव नहीं कर सकती.

बात कोर्ट तक गई. मुकदमा भी चला. पिछले हफ़्ते फ़ैसला आया. और इसी फ़ैसले ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचाया हुआ है. जूरी ने फ़ैसला सुनाया कि मैरी के साथ गलत हुआ. उनको नौकरी से नहीं निकालना चाहिए था. साथ ही संडे को ज़बरदस्ती काम भी नहीं करवाना चाहिए था. नतीजन अब कंपनी को उनको 21.5 मिलियन डॉलर बतौर जुर्माना देना है. यानी 149 करोड़. यही नहीं. 36,000 डॉलर यानि 25.5 लाख कम्पंसेशन के तौर पर भी मिला है. यहां भी खत्म नहीं हुआ. 500,000 मिलियन डॉलर और मिलने की बात हुई. यानि 3.5 करोड़ रुपए मानसिक तकलीफ़ के लिए.

जूरी के इस फ़ैसले के बाद होटल के वकील बहुत नाराज़ हैं. वो ये फ़ैसला मानने के लिए तैयार नहीं हैं. आगे और अपील होगी.

इस पूरे मुद्दे ने सोशल मीडिया पर लोगों को बांट दिया है. कई लोगों को लगता है कि धर्म को काम की जगह से दूर रखना चाहिए. कईयों को लगता है कि कंपनियों को अपने एम्प्लोयीज़ की तरफ़ संवेदनशील होना चाहिए. इसलिए होटल के साथ सही हुआ. आपका क्या ख़याल है?

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