11 साल की बच्ची ने अपनी मां की सिखाई हुई ट्रिक से अपना अपहरण होने से बचा लिया

आप भी ये ट्रिक अपने बच्चे को ज़रूर सिखाइए.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
नवंबर 19, 2018
हिंदुस्तान में हर साल 40,000 बच्चे किडनैप होते हैं. फ़ोटो कर्टसी: Pixabay

हम अक्सर ये बोलते रहते हैं कि ‘ज़माना बड़ा ख़राब है.’ किसी का भरोसा नहीं कर सकते. सही बात है. पर क्या इस ज़माने से ख़ुद को बचाकर रखने के लिए हम अपने बच्चों को कोई टिप्स दे रहे हैं. हां, मां-बाप बच्चों को ये ज़रूर सिखाते हैं कि किसी अनजान आदमी से बात मत करना. कुछ खाने को दे तो मत लेना. पर क्या कभी ये सिखाते है कि अगर कोई अनहोनी हो रही है तब उस वक़्त क्या करना चाहिए. मसलन अगर कोई उन्होंने ज़बरदस्ती उठाकर लेके जा रहा हो तो क्या करना चाहिए?

हम ऐसे ख़याल सोचना भी नहीं चाहते. पर एक प्लान होना ज़रूरी है. ताकि आपका बच्चा उस समय ख़ुद को बचा पाए. कुछ समय पहले अमरीका में रहने वाली एक 11 साल की बच्ची को एक आदमी ने अगवा करने की कोशिश की. पर उस बच्ची ने ख़ुद को बचाया. पता है कैसे? अपने मां-बाप के सिखाए हुए एक मेथड की बदौलत.

ये ख़बर हम आप तक इसलिए ला रहे हैं कि क्योंकि ये टिप वाकई कारगर है. क्या आपको पता है कि हिंदुस्तान में हर साल 40,000 बच्चे किडनैप होते हैं. आप भी अपने बच्चों को ऐसी ही ऐसी परिस्थतियों के लिए तैयार कर सकते हैं.

child-1_111918012732.jpgये ख़बर हम आप तक इसलिए ला रहे हैं कि क्योंकि ये टिप वाकई कारगर है. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

हुआ कुछ यूं. सात नवंबर को 11 साल की मैडीसन रैम्स किडनैप होते-होते बची. वो अपनी एक दोस्त के साथ पार्क के बाहर खेल रही थी. तभी एक आदमी सफ़ेद रंग की गाड़ी में उनके पास रुका. उसने मैडीसन से कहा कि उसके भाई का एक्सीडेंट हो गया है. उसे साथ चलना होगा.

किडनैप करते समय अक्सर बच्चों को यही कहानी सुनाई जाती है. वो मान भी जाते हैं. मैडीसन भी गाड़ी में बैठ जाती अगर उसकी मां उसे एक ‘कोड वर्ड’ के बारे में न बताया होता. मैडीसन ने उस आदमी से पूछा कि क्या उसे उसके माता-पिता ने भेजा है? आदमी ने हां कहा. तो मैडीसन ने कहा कि तब तो उसे ‘कोड वर्ड’ भी पता होगा. आदमी कुछ समझ नहीं पाया. मैडीसन समझ गई को वहां किस इरादे से आया है और भाग गई.

दरअसल ‘कोड वर्ड’ एक तरीका है ये जांचने का कि सामने वाला कौन है. मां-बाप अपने बच्चों को पहले से बताकर रखें कि ऐसा कुछ हो सकता है. साथ ही एक ‘कोड वर्ड’ तय कर लें. जो सिर्फ़ उन्हें और बच्चे को पता हो. जब भी ऐसी कोई परिस्थिति आए, तो बच्चा सामने वाले शख्स से वो ‘कोड वर्ड’ पूछे. ज़ाहिर सी बात है उसे नहीं पता होगा. तो अंदाज़ा लगा ले कि कुछ गड़बड़ है और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को ध्यान अपनी तरफ़ खींचने की कोशिश करे.

इसी ‘कोड वर्ड’ ने मैडीसन की जान बचाई. अब सब उसकी मां को शाबाशी दे रहे हैं कि उनकी समझदारी की वजह से उनकी बेटी बची. इसलिए ज़रूरी है कि हर मां-बाप एक प्लान तैयार रखें. क्योंकि अनहोनी बताकर नहीं आती.

 

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