एमबीबीएस टॉपर, कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं, फिर सब छोड़ संन्यासी बन गईं

पर ऐसा क्यों किया हिना हिन्डग ने?

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
जुलाई 19, 2018
हिना सबकुछ छोड़कर साध्वी बनना चाहती थीं. फोटो क्रेडिट- ट्विटर/एएनआई

हम अक्सर इस भसड़ भरी ज़िन्दगी को छोड़ कर भाग जाना चाहते हैं. मगर कभी कर नहीं पाते. पर गुजरात की डॉक्टर हिना हिंडग ने कर दिया. 18 जुलाई 2018 को हिना ने सांसरिक सुखों को छोड़कर संन्यास अपना लिया है.

एएनआई ने ट्वीट कर इस की जानकारी दी-

हिना एमबीबीएस टॉपर रह चुकी हैं. अपने कॉलेज में हिना गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं. पिछले तीन सालों से वो मेडिकल प्रेक्टिस कर रही हैं. हिना बचपन से ही आध्यत्मिक दुनिया की तरफ आकर्षित हो गई थीं. हिना सबकुछ छोड़कर साध्वी बनना चाहती थीं. 12 सालों से वो अपने परिवार को इसके लिए मनाने की कोशिश कर रही हैं. अब जाकर वो संन्यास ले पाई हैं. हालांकि अभी भी उनका परिवार इससे खुश नहीं है. अपने परिवार में हिना सबसे बड़ी हैं. उनसे छोटी उनकी पांच बहने हैं.

हिना ने सूरत में आध्यात्मिक गुरू आचार्य विजय यशोवर्मा सुरेश्वरजी महाराज से दीक्षा ली. जैन धर्म के रीति-रिवाज़ों के अनुसार हिना ने संन्यास की सभी रस्में पूरी कीं. सन्यास धारण करने के लिए उन्हें 48 दिनों का ध्यान रखना था. जिसे उन्होंने पूरे विधि-विधान के साथ पूरा किया. अब हिना को साध्वी श्री विशारदमाला के नाम से जाना जाएगा.  

हिना साध्वी श्री विशारदमाला के नाम से जानी जाएंगी. फोटो क्रेडिट- ट्विटर/एएनआई हिना साध्वी श्री विशारदमाला के नाम से जानी जाएंगी. फोटो क्रेडिट- ट्विटर/एएनआई

आचार्य विजय के मुताबिक हिना ने अपने पिछले जन्मों में किए गए ध्यान और श्रद्धा की वजह से जैन धर्म की दीक्षा लेना स्वीकार किया है. हिना का मानना है कि सांसारिक सुख त्याग कर संन्यास लेना हर किसी के बस की बात नहीं है.

गुजरात के बहुत से लोगों ने जैन धर्म की दीक्षा लेकर संन्यास अपनाया है. गुजरात बोर्ड के बारहवीं क्लास के टॉपर वर्षील शाह ने भी जून 2017 में संन्यास ले लिया था. अप्रेल 2018 में 12 साल के भव्य शाह भी जैन भिक्षु बन गए थे. इससे पहले 2014 में उनकी बहन प्रियांशी भी संन्यास ले चुकी हैं.

 

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