फैक्ट्री में काम करने वाली दो औरतों को एक-दूसरे से प्यार हुआ इसलिए मरना पड़ा

वो लोग, जिनके अधिकार न चुनावों का मुद्दा होते हैं न फिल्मों का.

नदी की दीवार पर लिखा सुसाइड नोट. फोटो क्रेडिट- ऑडनारी/गोपी मनियार

राधा-कृष्ण के प्रेम को सम्मान के साथ देखा जाता है. लोग उनकी पूजा करते हैं. कृष्ण की पत्नी रुकमणी हैं फिर भी पूजा राधा-कृष्ण की ही होती है. हमारी पीढ़ी में प्यार हौवा नहीं है. लोग प्यार को समझने और अपनाने लगे हैं. जैसे ही बात आती है कि प्यार करने वाले लोग कौन हैं, यहां हमारी सीमाएं तय हैं. दो प्यार करने वालों का एक धर्म हो, एक जाति हो, समाज में एक जैसा ही रुतबा हो, जीने का स्तर समान हो, एक जगह के हों लेकिन जेंडर अलग होना चाहिए. आप अगर लड़का-लड़की हैं तब उम्मीद है कि तमाम वर्जनाओं के बाद भी शायद लोग आपको अपना लेंगे. लेकिन अगर आप एक ही लिंग हैं से हैं तो समाज के सभी दरवाजे आपके लिए बंद हैं.

इसका उदाहरण हैं गुजरात की दो महिलाएं जिन्होंने 11 जून को साबरमती नदी में कूद कर जान दे दी. ये दोनों महिलाएं लेस्बियन थीं. एक दूसरे से प्यार करना इतना ग़लत हो गया कि इन्हें जान देनी पड़ी. और-तो-और इनमें से एक की बेटी थी, उसे भी इन्होंने मार दिया. ये अपने गांव से शनिवार को अहमदाबाद आ गईं थीं. आत्महत्या करने से पहले इन महिलाओं ने दो सुसाइड नोट लिखे. एक कागज़ की प्लेट पर और दूसरा नदी की दीवार पर. दोनों में एक ही बात लिखी थी-

‘हम यह दुनिया छोड़ कर जा रहे हैं क्योंकि यह हमें कभी एक नहीं होने देगी.’

ये दोनों महिलाएं बवला जिले की एक फैक्टरी में साथ काम करती थीं. अहमदाबाद के महिला पुलिस थाने की इंस्पेक्टर का कहना है– ‘महिलाओं ने रात के समय आत्महत्या की. ऐसा लगता है कि पहले दोनों ने बच्ची को नदी में फेंक दिया फिर खुद पुल से कूद गईं.’ यह जानकारी हमें संवाददाता गोपी मनियार के ज़रिए मिली. पुलिस ने ही सुसाइड नोट मिलने की बात बताई..

इन महिलाओं ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि वो लेस्बियन थीं. यानी उनके होने ने ही उनको मार डाला. 

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group