दिल्ली का ये अस्पताल कुछ ऐसा कर रहा है जो हर हॉस्पिटल को करना चाहिए
कौन कहता है कि अस्पताल में दुखी रहना चाहिए
अस्पताल जाना किसे ही अच्छा लगता होगा. बीमार लोग वहां सेहत ढूंढने आते हैं. सेहतमंद अपनी सेहत बनाए रखने के लिए कभी-कभी चक्कर लगा जाते हैं. लेकिन वैसे मुर्दनी का माहौल ही रहता है. इस वजह से अस्पताल का माहौल बड़ा बोझिल हो जाता है.
इसी से डील करने के लिए दिल्ली के एक अस्पताल ने बड़ा यूनिक काम किया. मामला दिल्ली के जीटीबी अस्पताल का है. यहां के मैटरनिटी वार्ड में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन आए हुए थे विजिट के लिए. वहां पर अस्पताल की नर्सों ने बॉलीवुड के गाने बजाने शुरू कर दिए. गाने बजे, और इसी के साथ नर्सेज, डॉक्टर्स, मेडिकल स्टूडेंट्स सभी डांस करने लग गए.
गुरु तेग बहादुर अस्पताल, दिल्ली. तस्वीर: दिल्ली सरकार
उनको डांस करते हुए देखकर सत्येन्द्र जैन ने भी डांस करना शुरू कर दिया. गोद में एक नन्हे से बच्चे को लेकर भी डांस किया. सब लोग इतने खुश हो गए कि जो मरीज बिस्तर पर थे वो वहीं बैठे हिलने-डुलने लगे. डांस में साथ देने लगे. गाना बजा था- मैंने पायल है छनकाई. फाल्गुनी पाठक का गाना है, बहुत मजेदार है. सुन कर मूड अच्छा हो जाए टाइप.
असल में ये पूरा जो मामला है, वो ये है कि दिल्ली सरकार ने अस्पतालों ने हैपीनेस थेरपी शुरू करने की पहल की है. इसी वजह से सबसे पहले जीटीबी अस्पताल में इसे ट्राई किया गया. इस थेरपी में होगा ये कि रोज़ दस-पंद्रह मिनट के लिए म्यूजिक सिस्टम पर गाने बजेंगे. उन पर लोग थोड़ा रिलैक्स करेंगे. मूड हल्का होगा उनका. ICU और इमरजेंसी वार्ड को छोड़कर बाकी जगहों पर इसका इस्तेमाल किया जाएगा.
तस्वीर: ट्विटर
शुरुआत तो अच्छी है, इसके अमेरिका और ब्राज़ील में अच्छे रिजल्ट्स भी देखने को मिले हैं. यहां कितनी जगहों पर इसे इस्तेमाल में लाया जाता है, ये देखने की बात है. इसी तरह का एक्सपेरिमेंट दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी हो रहा है. पिछले साल जुलाई में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हैपीनेस पीरियड शुरू किया गया था. इसमें नर्सरी से आठवीं क्लास तक के बच्चे रोज़ 45 मिनट की एक क्लास अटेंड करते हैं जिनमें उनको कहानियां सुनाई जाएंगी, एक्टिविटीज़ कराई जाएंगी. ताकि वो एक बेहतर और समझदार नागरिक बन सकें. सेंसिटिव हो सकें. इस कदम के बाद अस्पतालों में भी हैपीनेस थेरेपी चलाना काबिल-ए-तारीफ है.
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