ब्रेस्टफीड कराती औरत की तस्वीर लोगों को अश्लील लगी, जज बोले- फूहड़ता आंखों में होगी
मां अपने बच्चे को दूध पिला रही है, इसमें अश्लील क्या है?
कहते हैं खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है. केरल हाई कोर्ट ने भी यही कहा और साथ में ये भी जोड़ा कि इसीलिए फूहड़ता भी देखने वाले की आंखों में ही होती होगी. दरअसल कोर्ट में एक मैगजीन के कवर फोटो को लेकर सुनवाई हो रही थी. जिसे अश्लील और नैतिक मूल्यों को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए याचिका दायर हुई थी.
गृहलक्ष्मी नाम की एक मलयालम मैगजीन है. इस साल उसके मार्च के एडिशन में जो कवर फोटो छपी, उस पर विवाद हो गया. इसमें एक मां को दूध पिलाते हुए दिखाया गया था. कैप्शन था 'घूरो मत, हमें स्तनपान कराना जरूरी है.' ये ओपन ब्रेस्टफीडिंग के लिए एक कैंपेन का हिस्सा था.
इस कवर फोटो से कुछ लोगों की भावनाएं आहत हो गईं. ये तस्वीर कई लोगों को अश्लील और फूहड़ लगी. कुछ लोगों के सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पतन होने लगा. फिर इसे लेकर कोर्ट में केस कर दिया गया. दावा किया गया कि इस कवर फोटो से जुवैनाइल जस्टिस एक्ट, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस एक्ट, इन्डीसन्ट रेप्रीज़ेन्टेशन ऑफ विमन (प्रोहिबिशन) एक्ट, 1986 और संविधान की कुछ धाराओं का उल्लंघन हुआ है.
जज ने कहा कि उन्होंने इस कवर फोटो को उन्हीं आंखों से देखा, जिन आंखों से वो राजा रवि वर्मा जैसे कलाकारों की पेंटिंग्स देखते हैं. सुनवाई के दौरान अजंता की पेंटिग्स पर भी चर्चा हुई. कोर्ट ने कहा कि भारतीय कला ने सदियों से मानव शरीर की खूबसूरती का जश्न मनाया है.
गृहलक्ष्मी के मार्च वाले अंक में स्तनपान कराती मां की तस्वीर में एक नवजात है, मां का पोज़ गिलु जोसेफ नाम की मॉडल ने दिया था. इस तस्वीर पर हंगामा करने वालों के मुताबिक यहां नवजात को व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया गया. नवजात के स्वास्थ्य और अधिकारों का हनन हुआ. मातृत्व और स्तनपान को व्यावसायिक बनाने से किसी नवजात का जीवन खतरे में पड़ सकता है.
जजों ने कहा कि शिकायत करने वाले लोगों का पक्ष ये साबित नहीं कर पाया कि ये तस्वीर अश्लील है या इससे समाज के नैतिकता पर कोई असर पड़ता है. इस मामले में मैगजीन के प्रकाशक, मॉडल गिलु जोसेफ और नवजात के मां-बाप के खिलाफ याचिका डाली गई थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
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