जिस लड़की के स्कूल में 45% आते थे, वो आज दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों में से एक है
फिर एक दिन गीता गोपीनाथ ने फैसला लिया कि वो पढ़ाई में मन लगाएंगी.
कहा जाता है कि 'पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं'. यानी किसी इंसान का भविष्य कैसा होगा, ये उसके बचपन के लक्षणों से ही पता चल जाता है. लेकिन हर किसी के साथ ऐसा नहीं होता. क्योंकि अगर ऐसा होता, तो आज गीता गोपीनाथ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) की चीफ इकोनॉमिस्ट की बजाए एथलीट होतीं.
गीता ने हाल ही में आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट की पोस्ट संभाली है. और वो इस पोस्ट पर कब्जा करने वाली पहली महिला हैं. इससे पहले कोई भी महिला आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट नहीं बनी थी. गीता ने भले ही ये पोस्ट कुछ दिन पहले संभाली है, लेकिन इस पोस्ट के लिए उनके नाम का ऐलान 1 अक्टूबर 2018 को ही हो गया था. आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड ने गीता के नाम की घोषणा की थी. उन्होंने गीता को दुनिया के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक कहा था. 47 साल की गीता अब आईएमएफ की 11वीं चीफ इकोनॉमिस्ट हैं. उनसे पहले इस पोस्ट पर मौरिस आब्स्टफेल्ड थे. गीता हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रही हैं.
गीता गोपीनाथ. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट
वो आज उस बड़े ऑर्गेनाइजेशन की मुख्य अर्थशास्त्री बन चुकी हैं, जो दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नजर रखता है. वो आज जो कुछ भी हैं, अपने फैसलों की वजह से हैं. अगर बचपन में वो स्पोर्ट्स छोड़ने का फैसला नहीं लेतीं, तो आज शायद वो एक शानदार इकोनॉमिस्ट की बजाए बेहतरीन खिलाड़ी होतीं.
गीता की जिंदगी से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए. तो चलिए जानते हैं उन्हीं अनसुने किस्से और फैसलों के बारे में, जिन्होंने गीता को गीता गोपीनाथ बनाया.-
- जन्म कोलकाता में हुआ था. 8 दिसंबर 1971 के दिन. 1980 में उनका परिवार मैसूर आ गया. तब गीता 9 साल की थीं. पैरेंट्स ने निर्मला कॉन्वेंट स्कूल में उनका दाखिला कराया. शुरू में गीता को स्पोर्ट्स बहुत पसंद था. लेकिन एक दिन गीता ने स्पोर्ट्स की प्रैक्टिस में जाना छोड़ दिया. अपने पिता गोपीनाथ से कहा कि वो अब स्पोर्ट्स नहीं खेलेंगी, पढ़ाई पर ध्यान देंगी.
गीता गोपीनाथ. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट
- 11th और 12th में गीता ने साइंस सब्जेक्ट चुना. पैरेंट्स चाहते थे कि गीता या तो इंजीनियरिंग करें, या फिर मेडिकल की फील्ड में जाएं. लेकिन गीता ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने इकोनॉमिक्स में बीए करने का फैसला लिया. दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में उन्हें एडमिशन मिल गया. ग्रेजुएशन के तीनों साल गीता ने क्लास में टॉप किया.
- अगर आप सोच रहे हैं, कि कॉलेज में टॉप करके गोल्ड मेडल जीतने वाली गीता, बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही होंगी, तो आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. सातवीं क्लास तक गीता के केवल 45 फीसदी नंबर ही आते थे. वो फर्स्ट डिविजन में भी पास नहीं हो पाती थीं. लेकिन सातवीं के बाद सब बदल गया. उन्होंने पढ़ाई में ध्यान दिया और उनके 90 फीसदी अंक आने लगे.
गीता गोपीनाथ. फोटो- ट्विटर
- गीता आईएएस अधिकारी बनने का सपना लेकर दिल्ली आई थीं. ग्रेजुएशन तक यही सपना था, लेकिन ग्रेजुएशन के बाद एक और कड़ा फैसला लिया. क्या? इस सपने को छोड़ने का फैसला. उन्होंने इकोनॉमिक्स की फील्ड में ही आगे जाने का ठाना. दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एडमिशन लिया. वहां से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री ली. उसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में एडमिशन लिया. वहां से भी उन्होंने एमए किया. उसके बाद 2001 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की. फिर शिकागो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया. उसके बाद साल 2005 में गीता पहुंची हार्वर्ड यूनिवर्सिटी.
- गीता ने 1999 में इकबाल सिंह से शादी की. दोनों की मुलाकात दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में हुई थी. इकबाल ने 1996 के सिविल सर्विसेज एग्जाम में टॉप किया था, और वो तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी थे.
गीता गोपीनाथ. फोटो- ट्विटर
- प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद, गीता 2001 में भारत लौटना चाहती थीं. लेकिन गीता के मेंटर्स उन्हें यूएस में ही रोकने के पक्ष में थे. गीता ने कहा कि उनके पति इंडिया में हैं, इसलिए वो वापस वहीं जाना चाहती हैं. उसके बाद गीता के मेंटर्स ने इकबाल को प्रिंसटन में ही एक स्कॉलरशिप ऑफर की. इकबाल ने जॉब छोड़ दी और यूएस चले गए. उसके बाद से गीता ने कभी पलटकर नहीं देखा. वो समय-समय पर भारत आती रहती हैं, अपने माता-पिता से मिलने के लिए.
- आज गीता गोपीनाथ, भारत की हर उस औरत के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो कुछ बड़ा करने का सपना देखती है. गीता लाखों औरतों के लिए एक रोल मॉडल हैं.
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