ये बिक गई है...फ्लिपकार्ट, लेकिन किसको?
इस डील से भारत में कई लाख नौकरियां आएंगी.
दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स डील.
वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट के 77 फीसदी शेयर खरीद लिए हैं. ये टोटल खरीदारी 16 अरब डॉलर में हुई. ये दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स डील मानी जा रही है. सही भी है, एक तो बिलियन, ऊपर से डॉलर. सोचो कितने हज़ार-करोड़ रुपये होंगे. 9 मई को डॉलर रेट था 67.28 रुपये, इस हिसाब से 1,07,648 करोड़ रुपये.
क्या है वॉलमार्ट?
वॉलमार्ट एक अमेरिकन रिटेल कंपनी है. इस कंपनी को अमेरिका की वाल्टन फैमिली चलाती है. वॉलमार्ट की शुरुआत 1950 में हुई थी.
दो कमरों के मकान में था फ्लिपकार्ट का पहला ऑफिस
सचिन बंसल और बिन्नी बंसल. हिसार के ओपी जिंदल स्कूल में दोनों ने स्कूलिंग की. फिर साथ में दोनों ने आईआईटी की पढ़ाई. फिर ऐमजॉन में साथ में इंटर्नशिप करी. इन दोनों ने ऐमजॉन छोड़ा, और सोचा कि चल यार हम अपना बिन्नेस शुरू करते हैं. और इसी तरह से इन दोनों ने फ्लिपकार्ट कंपनी का ऑफिस 2 कमरों में शुरू किया.
खूब सारी जॉब आएंगी
उदारता की भी हद होती है. जी, वॉलमार्ट के चीफ ने कहा कि इस डील से इंडिया का फायदा होगा. क्योंकि ये बहुत सी जॉब लाने में मदद करेगा. उनके हिसाब से देश में इस डील के बाद कई लाख नौकरियां आएंगी.
घबरा गए हैं भारतीय सेलर्स
वॉलमार्ट का इतिहास रहा है कि ये जहां जाता है, वहां से छोटी कंपनियों को खत्म कर देता है. क्योंकि ये अपनी साथ वाली कंपनियों के साथ बहुत तगड़ा कॉम्पटिशन रखता है.
ऑनलाइन बुक स्टोर से हुई थी फ्लिपकार्ट की शुरुआत
फ्लिपकार्ट की शुरुआत करने वाले सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने ऐमजॉन से ट्रेनिंग ली. और ऐमजॉन की ही तरह अपने बिज़नस की शुरुआत ऑनलाइन बुक स्टोर से की.
नहीं बदलेगा नाम
फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट की डील के बाद हो सकता है कि फ्लिपकार्ट का नाम बदल कर हो जाएगा 'WALKART'. ऐसा कुछ सुनने में आ रहा था. मगर वॉलमार्ट के सीईओ डग मैकमिलिन ने इस बात से मना कर दिया है. उन्होंने कहा कि कंपनी अपने असल नाम से बिज़नस करेगी.
अटक सकती है फ्लिपकार्ट डील
फ्लिपकार्ट डील के सामने एक नई मुश्किल आ गई है. सॉफ्ट बैंक, फ्लिपकार्ट में एक बड़ा निवेशक है. सॉफ्टबैंक के मालिक हैं मायायोशी सन. अभी सॉफ्ट बैंक ने ये साफ नहीं किया है कि वो फ्लिपकार्ट में अपनी 22 फीसदी की हिस्सेदारी बेचना चाहता है या नहीं. सॉफ्टबैंक ने फ्लिपकार्ट में 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया था. सॉफ्टबैंक और वॉलमार्ट के बीच कीमत को लेकर बात फंसी है. सॉफ्टबैंक को लग रहा है कि फ्लिपकार्ट की कीमत आने वाले सालों में और भी बढ़ सकती है. तो अभी सस्ते में नहीं निपटना चाहता. साथ ही वो ये भी कैलकुलेट कर रहा कि अगर अभी वो ये हिस्सेदारी बेच देता है तो उसे कितना टैक्स चुकाना पड़ेगा. मायायोशी....लालच बुरी बला है!
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