भारत की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट अब शादी करने जा रही हैं
पढ़िए रतिकांत से ऐश्वर्या बनने तक का सफ़र !
सुप्रीम कोर्ट ने IPC धारा 377 से LGBTQ+ को बाहर कर दिया है. समलैंगिक, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर आदि यौन अल्पसंख्यकों को क़ानून के तहत समान अधिकार और नागरिकत्व दे दिए गए हैं. भारत के LGBTQ+ समाज में ख़ुशी की लहर छाई हुई है क्योंकि क़ानून का यह क़दम बहुत सी जिंदगियां बदल देनेवाला है. इनमें से एक जिंदगी है भारत की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वंट और जीएसटी काउन्सिल की डेप्युटी कमिश्नर ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान की, जो जल्द ही अपने दो साल पुराने पार्टनर से शादी करने जा रहीं हैं.
ऋतुपर्णा का जन्म 12 नवंबर, 1983 में ओड़िशा के कंधमल ज़िले के छोटे से गांव कनबगिरी में हुआ था. उनका नाम रतिकांत रखा गया था. पिता के फ़ौजी होने के नाते घर का माहौल काफ़ी कठोर और पाबंदियों से घिरा हुआ था. वे कहतीं हैं, ‘पापा हमेशा मुझे डांटते थे. मुझे मर्द बनने को कहते थे. मगर मुझे बहुत पहले पता चल गया था कि मैं असल में एक औरत हूं’. वे छठी क्लास में थीं जब उन्होंने अपनी यौनिकता को स्वीकार लिया था. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांस लोगों को ‘थर्ड जेंडर’ का दर्जा दिया जिसके ठीक एक साल बाद ऋतुपर्णा ने खुलेआम ख़ुद को ट्रांसजेंडर घोषित किया.
IIMC (Indian Institute of Media and Communications), धेंकनाल से ग्रैजूएशन के बाद ऋतुपर्णा ने पब्लिक अड्मिनिस्ट्रेशन में एमए किया. फिर 2010 में ओड़िशा सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा देने बैठीं. सफल होने पर परद्वीप ज़िले की कमर्शियल टैक्स अफ़सर बनीं और फिर जीएसटी काउन्सिल की डेप्युटी कमिश्नर. ख़ुद को ट्रांसजेंडर घोषित करने के बाद उन्होंने सेक्स रीअसाइन्मेंट सर्जरी करवाई और अपना नाम ‘रतिकांत’ से बदलकर ‘ऐश्वर्या ऋतुपर्णा’ रख लिया. यहां तक पहुंचना आसान नहीं था और हर क़दम पर ज़िंदगी उसकी परीक्षा लेती रही. बचपन की बात करते हुए वे कहतीं हैं, ‘मुझे अपनी मां और बहनों के कपड़ों और मेकप से खेलना बहुत अच्छा लगता था. यह बात किसी को नहीं पसंद थी. पापा तो डांटते ही थे, यहां तक कि स्कूल के टीचर्ज़ भी मुझे ज़लील करते थे. हॉस्टल के साथियों के हाथों मेरा यौन शोषण भी हुआ है.’ वह यह भी कहती हैं कि ज़माना काफ़ी बदला है. बतातीं हैं, “मैं पहली बार साड़ी पहनकर काम पर आई तो देखा कि मेरे सहकर्मी मुझे ‘सर’ न कहकर ‘मैडम’ कह रहे हैं. उन्होंने आज तक कभी मुझे उनसे अलग या छोटा महसूस नहीं करने दिया, जिस बात की मुझे बहुत ख़ुशी है.”
प्यार भी ऋतुपर्णा के लिए आसान नहीं था. तीन साल पहले उनके बॉयफ़्रेंड, पुरी के रहनेवाले एक बिज़नेसमैन ने उन्हें प्रपोज़ किया तो उन्हें लगा उनके साथ मज़ाक़ हो रहा है. उनका कहना है, 'मेरे साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह मज़ाक़ है या नहीं. मैंने उन्हें यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया था कि वे मुझसे बहुत छोटे हैं. एक साल बाद फिर मुलाक़ात हुई और उन्होंने मेरा फ़ोन नंबर मांगा. मैं भी मन ही मन उन्हें चाहने लगी थी और तब से हम एक साथ हैं'. ऋतुपर्णा के बॉयफ़्रेंड ने पहले कई बार उनसे शादी की बात की थी और वे मना करती रहीं. क्योंकि LGBTQ संबंधों को क़ानूनी तौर पर मान्यता न दिए जाने तक वे शादी करने को मंज़ूर नहीं थीं.
उनके होनेवाले सास-ससुर को अभी इस रिश्ते के बारे में कुछ नहीं पता. मगर उन्हें जल्द ही बताया जाएगा. ‘मगर मुझे किसी से फ़र्क़ नहीं पड़ता’, ऋतुपर्णा कहतीं हैं. ‘मेरे पार्टनर ने मुझे अपना लिया है, मेरे लिए यही सबकुछ है. कोई और मुझे एक्सेप्ट करे या न करे इससे मेरा कोई लेना देना नहीं’.
ऋतुपर्णा अपना छोटा सा परिवार शुरू करने के सपने देखती हैं. अगर क़ानूनी इजाज़त हो तो वे एक दिन एक बच्ची गोद में लेना चाहेंगी. ‘मैं उसे मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के लिए तैयार करूंगी. जिस दिन वह पूरी दुनिया के सामने कहेगी कि वह एक ट्रांसजेंडर की बेटी है, वह दिन मेरे लिए सबसे गर्व का होगा’.
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