के.सी. रेखा: भारत की पहली औरत जो मछली पकड़ने के लिए समुद्र में उतरेगी

औरतें मछलियां बेच तो सकती थीं, पर पकड़ने का लाइसेंस किसी के पास नहीं था.

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
नवंबर 19, 2018
10 सालों से भी ज़्यादा से मछली पकड़ने का काम कर रही हैं रेखा. सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

'साला खड़ूस' की मधी बॉक्सर बनने से पहले मछली बेचती है. बहुत सी फिल्मों में हमने औरतों को मछली बेचते देखा है. असल में भी बहुत सी औरतें मछली बेचने का व्यापार करती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी औरत को भारत की अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर मछली पकड़ने का लाइसेंस नहीं मिला हुआ था? केरल की के. सी. रेखा भारत की पहली महिला हैं जिन्हें ये लाइसेंस मिला है.

rtx2wt50_750_111918063711.jpg केरल के स्टेट फिशरीज़ डिपार्टमेंट ने रेखा को 'डीप शी फिशिंग लाइसेंस' दिया है. सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

केरल के स्टेट फिशरीज़ डिपार्टमेंट ने रेखा को 'डीप शी फिशिंग लाइसेंस' दिया है. ये लाइसेंस मिलने के बाद देश की प्रिमियर मरीन रिसर्च एजेंसी 'द सेंट्रल मरीन फिशरीज़ रिसर्च इंस्टीट्यूट' ने रेखा को हाल ही में सम्मानित किया है.

सीएमएफआरआई के डायरेक्टर ए. गोपालकृष्णन ने कहा-

'बहुत सी महिलाएं नदियों और तालाबों में मछली पकड़ने का काम करती हैं. कोस्टलाइन पर ये काम करने वाली महिलाओं का कोई रिकॉर्ड नहीं था. रेखा पहली महिला हैं जिन्हें ये लाइसेंस दिया गया. हम उनके काम का सम्मान करते हैं.'

rtxreo1_750_111918063723.jpg रेखा और उनके पति 20 से 30 नॉटिकल माइल्स तक मछलियां पकड़ने जाते हैं. सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

(के. के. मुस्तफा) 'द हिन्दू' के मुताबिक 45 साल की के. सी. रेखा पिछले दस सालों से भी ज़्यादा से केरल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मछली पकड़ने का काम कर रही हैं. उस समय उनके पति के साथ काम करने वाले दोनों साथी काम छोड़ कर चले गए थे. वो मजदूर नहीं रख सकते थे इसलिए रेखा ने अपने पति का हाथ बंटाना शुरू किया. दोनों 20 से 30 नॉटिकल माइल्स तक मछलियां पकड़ने जाते हैं. आज भी ये दोनों किसी तरह की तकनीक का उपयोग नहीं करते. कोई जीपीएस या कंपास या लाइफ जैकेट्स, कुछ भी नहीं. 

rtxreny_750_111918063737.jpg चवक्कड़ के चेतुवा बीच पर मछली पकड़ने का काम करती हैं रेखा. सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

रेखा और उनके पति पी. कार्तिकेयन थ्रिशूर जिले के गांव ‘चवक्कड़’ में रहते हैं. चवक्कड़ के चेतुवा बीच पर दोनों मछली पकड़ने का काम करते हैं. रेखा कहती हैं-

'हम पारंपरिक ज्ञान पर भरोसा करते हैं.'

रेखा 'कदल्लमा' पर खूब भरोसा करती हैं. माना जाता है कि 'कदल्लमा' नदी देवी हैं. रेखा का विश्वास है कि वो उनकी रक्षा करेंगी. रेखा अरब सागर की तूफानी लहरों के बीच भी निडर डटी रहती हैं. वो अपने काम से प्यार करती हैं और मेहनत के साथ इसे पूरा करती हैं.

 

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