फिल्म रिव्यू: 'मनमर्ज़ियां'

पूरी फिल्म ज़िम्मेदारी, रिश्तों और मर्ज़ी के चारों ओर घूमती है.

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
सितंबर 13, 2018
मनमर्ज़ियां. फोटो क्रेडिट - यूट्यूब

'विक्की तू बंदा न बड़ा सही है. बस ज़िम्मेदारी के नाम पर हग देता है.'

ये फिल्म का डायलॉग नहीं टैगलाइन होनी चाहिए. पूरी फिल्म ज़िम्मेदारी, रिश्तों और मर्ज़ी के चारों ओर घूमती है.

एक लड़की है. मोहल्ले में बदनाम. सब पागल कहते हैं क्योंकि दुनिया के रिवाज़ों से उल्टा चलती है. नाम है रूमी. दुनिया की मत मानो तो लोग पागल ही कहते हैं. रूमी कहती है सिगरेट पीना है तो वाशरूम में छुपछुप कर क्यों पिऊंगी, खुल्ले में पिऊंगी. परेशान होती है तो शराब पीती है. घरवालों से छुप कर बंदे से मिलती है. विक्की नहीं मानता तो किसी और से शादी के लिए मान जाती है. एक दिन बाद मना कर देती है. फिर हां करती है. फिर मना करती है. आखिर में शादी करती है कि नहीं और कौन सा रिश्ता निभाती है यही कहानी है मनमर्ज़ियां. 

रूमी को सब पागल कहते हैं क्योंकि दुनिया के रिवाज़ों से उल्टा चलती है. फोटो क्रेडिट - यूट्यूब रूमी को सब पागल कहते हैं क्योंकि दुनिया के रिवाज़ों से उल्टा चलती है. फोटो क्रेडिट - यूट्यूब

रूमी आज में जीती है. उसे फर्क नहीं पड़ता कल क्या होगा. क्यों होगा. कैसे होगा. बस आज है और रूमी है. वही रूमी जो विक्की को बोलती है कि ‘मैंने कह दिया है घर में, तू आ रहा है कल और जो तू नहीं आया तो मैं कर लूंगी व्याह किसी भी उल्लू के पठ्ठे से.’ वही रूमी जो विक्की के साथ भाग जाती है बिना सोचे समझे. कहती है ‘हां, मैंने ही कहा था भागना है क्योंकि मुझे लगा कि तू है. तू संभालेगा सबकुछ.’ कुछ सोचती नहीं है. बस जीती है. करती जाती है जो हो रहा है. विक्की से प्यार करती है. फ्यार करती है. दिन रात बस उस ही के साथ रहना चाहती है. जहां ले जाए मंज़ूर. जो करे मंज़ूर. बस साथ रहे.

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एक लड़का है विक्की. ज़िम्मेदारी के नाम पर हग देता है. डीजे है पर खुद से कोई गाना नहीं बनाया. इंजीनियर है, एमबीए किया पर डीजे बनना था. स्वैग में जीता है. कोई टेंशन नहीं. कोई फिक्र नहीं. कल क्या होगा, घंटा फर्क नहीं पड़ता. बस प्यार करता है रूमी से, बेइंतेहा. किसी कीमत पर उससे दूर नहीं होना चाहता. कुछ भी करेगा. एक दिन में ज़िम्मेदार हो जाता है. 

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एक और लड़का है, रॉबी. बैंकर है. शादी करने भारत आया है. घरवालों की मर्ज़ी से शादी करने को तैयार है पर उसे लाइफ पार्टनर चाहिए. नौकरानी नहीं, मां-बाप के लिए नर्स नहीं. पहली बार रूमी को देखता है. उससे प्यार हो जाता है. विक्की के बारे में जानता है फिर भी रूमी की ज़िंदगी में खुद को मौका देना चाहता है. देता है. कैसे?

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फिल्म तीनों किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है. तीनों की कहानियां एक साथ चलती हैं. एक दूसरे से जुड़ी हुई फिर भी एक-दूसरे से अलग. तीनों की अपनी ज़िन्दगी है. अपनी समस्याएं हैं. अपने तरह से जीते हैं तीनों. बिल्कुल अलग हैं. कोई मेल नहीं. अब कैसे ये तीनों अपनी मर्ज़ी के लिए खुद से लड़ते हैं, दूसरों से लड़ते हैं, एक-दूसरे से लड़ते हैं यही कहानी है मनमर्ज़ियां.

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रिश्तों को बंधनों में नहीं आज़ादी में जीते हैं ये लोग. किसी रिश्ते में बंध के रहना नहीं चाहते लेकिन रिश्तों से भागते भी नहीं हैं. जो महसूस करते हैं करते हैं. हमारी पीढ़ी के लिए लोग कहते हैं कि हमें रिश्तों की कद्र नहीं रह गयी है. इस ही सवाल का जवाब है ये कहानी. रिश्तों की कद्र भी है और उन्हें निभाना भी जानते हैं बस बंधना नहीं.

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मनमर्ज़ियां निर्देशित की है अनुराग कश्यप ने. इससे पहले वो ब्लैक फ्राइडे, देव डी, गैंग्स ऑफ वासेपुर, मुक्काबाज़ जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं. मुक्काबाज़ को छोड़ दें तो सभी फिल्में डार्क शेड की हैं. मनमर्ज़ियां विशुद्ध लव स्टोरी है. एक अलग तरह की फिल्म को अनुराग ने अपने टच में बनाया है. फिल्म देख के आप आराम से बता सकते हो कि ये अनुराग कश्यप की फिल्म है क्योंकि कैरेक्टर अनुराग के हैं. उनकी फिल्मों के कैरेक्टर होते हैं थोड़े से अड़ियल, ज़िद्दी, दुनिया से अलग, सबसे लड़ जाने वाले, किसी की फिक्र न करने वाले, अपनी शर्तों पर जीने वाले.

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फिल्म प्रोड्यूस की है आनंद एल राय ने. जिन्होंने रांझणा डायरेक्ट की थी. तनू वेड्स मनू के दोनों पार्ट्स डायरेक्ट किए थे. ये फिल्म आनंद एल राय के जॉनर की है. उन्होंने अधिकतर लव स्टोरीज़ ही डायरेक्ट और प्रोड्यूस की है.

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रूमी बनी हैं तापसी पन्नू. बेबी से मनमर्ज़ियां तक तापसी ने हर फिल्म में खुद को साबित किया है. हर कैरेक्टर में जान फूंक दी है.

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रॉबी बने हैं अभिषेक बच्चन. अभिषेक आखिरी बार हॉउसफुल 3 में नज़र आए थे. मैं प्रेम की दिवानी हूं में जो सीधा-साधा बड़े घर का बेटा बनता है न कुछ वही सीधा-साधा सा दिखने वाला कैरेक्टर है रॉबी. बस दिखने वाला क्योंकि इस बार रॉबी अपने प्यार के लिए लड़ता है. उसे ऐसे ही नहीं जाने देता. अभिषेक बच्चन ने इस फिल्म में बढ़िया एक्टिंग की है. 

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विक्की का रोल किया है विक्की कौशल ने. मसान के दीपक और विक्की में बड़ा फर्क है. हां, दोनों में अपनी ही तरह की मासूमियत है. विक्की ने इस कैरेक्टर को भी उतनी ही खूबसूरती से निभाया है जितना कि मसान के दीपक के या राज़ी के इक़बाल सैय्यद के या लव पर स्क्वायर फुट के संजय के या संजू के कमलेश के. हर कहानी और किरदार के साथ विक्की अपने आप को बखूबी जोड़ लेते हैं और उस किरदार पर अपनी छाप छोड़ जाते हैं. उनके किरदारों को हमेशा याद किया जाएगा.

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फिल्म में म्यूज़िक दिया है अमित त्रिवेदी ने और ये म्यूज़िक कमाल है. कुछ 10-12 गाने हैं. फिल्म के फ्लो के साथ चलते हैं. हल्ला खूबसूरत गाना है. दिल में चुभने वाला. फ्यार, दरिया, ग्रे वाला शेड, सच्ची मोहब्बत, ध्यानचंद फिल्म के बैकग्राउंड में चलते हैं. कुल मिलाकर मनमर्ज़ियां एक बॉलीवुड मसाला फिल्म है पर रिश्तों को अलग तरह से दिखाने की कोशिश करती है. अनुराग कश्यप के फैन हैं तो ये फिल्म ज़रूर देखिए.   

फिल्म का ट्रेलर यहां देखिए- 

 

 

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