भारत का घटता सेक्स रेशियो और हम पर सवाल उठाती ये पांच कहानियां

लड़कों के मुकाबले लगातार कम हो रही हैं लड़कियां.

कुसुम लता कुसुम लता
जुलाई 17, 2019
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दिल्ली का एक सरकारी अस्पताल. यहां 27 साल की रुबीना (बदला हुआ नाम) भर्ती है. उसकी डिलीवरी हुई है, तीसरी बार सीजेरियन डिलीवरी. ड्रेंसिंग करवाते वक्त उसके आंसू थम नहीं रहे हैं. ये आंसू ऑपरेशन के दर्द के नहीं हैं. उसे दर्द इस बात का है कि तीसरी बार भी उसकी बेटी हुई है. डॉक्टरों का कहना है कि चौथा ऑपरेशन उसके लिए जानलेवा है. अस्पताल से घर जाने के बाद सास के तानों से मर जाएगी, और चौथा बच्चा देखेगी तब तो मर ही जाएगी.

रुबीना जैसी हजारों औरतें बेटा पैदा करने के प्रेशर में जीती हैं. बेटे की चाह में जीने वाले और बेटी के जन्म पर शोक मनाने वाले भारत में सेक्स रेशियो ऐट बर्थ का नया डेटा आ गया है. सेक्स रेशियो यानी हर 1000 पुरुषों में महिलाओं की संख्या. सेक्स रेशियो ऐट बर्थ मतलब जन्म लेने वाले बच्चों का सेक्स रेशियो. अभी जो कहानी हमने बताई उससे लग सकता है कि सेक्स रेशियो बढ़ा होगा. बेटे के इंतजार में तीन बेटियां जो पैदा हो गईं. लेकिन ऐसा नहीं है.

हमारे देश की जनसंख्या का लेखाजोखा रखने की जिम्मा सेंसस यानी जनगणना विभाग के पास है. देश की जनगणना वैसे तो 10 साल में एक बार होती है. लेकिन इसका एक सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम भी है. यानी एक ऐसा सिस्टम जिसमें बच्चों के पैदा होने या किसी के मरने की जानकारी फीड होती रही है.

अब इसी सिस्टम के आधार पर 2015, 2016 और 2017 में पैदा हुए बच्चों की एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई है. इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक, इन तीन सालों में सेक्स रेशियो 896 रहा है. यानी 1000 लड़कों में 896 लड़कियां पैदा हुईं जो कि अब तक में सबसे कम है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में सेक्स रेशियो 943 है.

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एक कहानी और सुनिये.

31 साल की सुमति. हैदराबाद की रहने वाली है. उसकी शादी को 10 साल हो चुके हैं. इन दस सालों में वह 8वीं बार प्रेग्नेंट हुई है. लेकिन मां पहली बार बनेगी. ऐसा क्यों? क्योंकि इस बार उसके गर्भ में बेटा पल रहा है. इससे पहले 7 बार उसके ससुराल वालों ने उसका अबॉर्शन करवा दिया. जबरदस्ती. क्योंकि सातों बार उसकी कोख में लड़की पल रही थी. सुमति गहरे डिप्रेशन में है. वह इस डर में जी रही है कि इस बार भी उसका बच्चा उससे छीन लिया जाएगा. जब होश में आती है तो कहती है कि वो बेटी नहीं पैदा करना चाहती, बेटी होगी तो उसे भी वही सब झेलना पड़ेगा जो वो झेल रही है.

भारत में जन्म से पहले बच्चे का लिंग परीक्षण करना गैरकानूनी है. इसके लिए एक कानून बना है जिसे PCPNDT एक्ट कहते हैं. यह कानून कन्या भ्रूणहत्या रोकने के लिए लाया गया था. इस कानून के तहत कोई भी मेडिकल प्रैक्टिशनर गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग का परीक्षण नहीं कर सकता है. यदि मेडिकल कंडीशंस की जांच के वक्त उसे बच्चे के लिंग का पता चल भी जाता है, तो भी वह गर्भवती महिला या उसके परिवार को इस बारे में नहीं बता सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में 17 जुलाई को एक रिपोर्ट छपी है. जिसके मुताबिक, अखबार ने करीब एक हफ्ते तक इंवेस्टिगेट किया. जिसमें सामने आया कि लिंग परीक्षण पर बैन लगने के बावजूद डायग्नॉस्टिक सेंटर्स लिंग परीक्षण कर रहे हैं. ये सेंटर्स संकेतों के माध्यम से परिवारवालों को बच्चे का लिंग बता रहे हैं. मसलन, दुर्गा या बालाजी की फोटो या ऐसे ही और संकेत. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ये सेंटर लिंग परीक्षण के बदले लोगों से भारी मात्रा में पैसे ऐंठते हैं.

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तीसरी और चौथी कहानी

यूपी के बुलंदशहर में रहने वाली आसिया बानो, शादी के दस साल बाद उसके पति ने उसे तलाक दे दिया. क्योंकि उसने एक के बाद एक तीन बेटियों को जन्म दिया. पति और ससुराल वालों को बेटा चाहिए था. पहली बेटी के जन्म के बाद से ही ससुराल वाले उससे मारपीट करने लगे थे.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रहने वाली शिखा (33) की दो बेटियां है. वह पढ़ी-लिखी हैं. अपना बिजनेस करती हैं. लेकिन उन्हें इसी बात का दुख है कि वह अपने परिवार को एक बेटा नहीं दे पाईं.

इन दोनों कहानियों की जड़ में एक ही तरह की सोच है. सोच नहीं अज्ञानता है. कि बेटा या बेटी होना औरत के हाथ में होता है. इसीलिए आसिया बानो के ससुराल वाले उसे पीटते हैं और शिखा बेटा पैदा नहीं कर पाने के दोष खुद को देती है.

जबकि विज्ञान ये स्थापित कर चुका है कि लड़का होगा या लड़की ये मर्द यानी पति पर निर्भर करता है. कोई भी डॉक्टर आपको इस बारे में डिटेल में और सरल शब्दों में समझा देगा.

वो बच्चियां जो छोड़ दी गईं

दिसंबर 2018 में कोलकाता के एक अस्पताल में एक बच्ची पैदा हुई. घरवाले उसे वहीं छोड़कर चले गए. वह अस्पताल में ही रह रही है. करीब 8 महीने बाद, 8 जुलाई को अधिकारियों ने उसके परिवार को ढूंढ निकाला. अधिकारियों ने उन्हें बच्ची को लौटाने की कोशिश की तो उन लोगों ने उसे रखने से इनकार कर दिया. कहा कि वह उनके घर में पैदा हुई तीसरी बेटी है और वो उसे नहीं रख सकते हैं.

पिछले दिनों जयपुर में एक लावारिस नवजात के मिली थी. उसे बचाने की काफी कोशिश की गई लेकिन वो नहीं बच सकी. तमिलनाडु के चेन्नई में एक औरत अपनी बेटी को अस्पताल में छोड़कर चली गई. एक ऑटोवाले ने उस बच्ची के इलाज का पूरा खर्चा उठाया. उसे बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन वह भी नहीं बचाई जा सकी.

शर्मनाक!

इन सबके बीच एक अच्छी खबर ये है कि एक्ट्रेस समीरा रेड्डी की बेटी हुई है. बेटी के जन्म के बाद समीरा ने कहा, ‘मैंने दुआ मांगी थी कि मेरी बेटी हो, और बेटी हुई.’

हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और हमें दुआ मांगनी पड़ रही है बेटियों के पैदा होने की. उनके सुरक्षित होने की. मांएं मना रही हैं कि बेटी न हो क्योंकि उन्हें वही सब झेलना होगा जो वो झेल चुकी हैं.

 

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