निर्भया कांड से दुखी होकर इस आदमी ने जो किया वो प्रेरणा देने वाला है
उसने महिलाओं के लिए ऐसा काम किया जिसका आइडिया किसी को नहीं आया था.
‘डिलीवरी बॉय’ तो पता ही होगा. कभी ‘डिलीवरी गर्ल’ के बारे में सुना है?
बताते हैं आपको ‘ईवन कार्गो’ के बारे में. दिल्ली के साकेत इलाके में यह एक शिपिंग कंपनी है. सामान एक जगह से दूसरी जगह डिलीवर करती है. खास बात ये है कि इसकी सारी एम्पलाइज औरतें और लड़कियां हैं. इसी नवंबर में ईवन कार्गो ने अपनी दूसरी सालगिरह मनाई है.
ईवन कार्गो ने इस साल दूसरी सालगिरह मनाई
कंपनी के फ़ाउंडर हैं 28 साल के योगेश कुमार. योगेश दिसंबर 2012 में दिल्ली में काम कर रहे थे जब निर्भया कांड हुआ था. इंडिया गेट पर योगेश भी प्रोटेस्ट करने गए थे, जहां पुलिस ने उनके साथ बाकी प्रोटेस्टर्स पर लाठियां और वॉटर कैनन चलाए. योगेश ने तभी ठान लिया था कि वह औरतों लिए कुछ करेंगे.
एक जर्मन कंपनी में अपनी नौकरी छोड़कर योगेश ने Tata Institute of Social Sciences (TISS) में Social Entrepreneurship का कोर्स किया. जिसके बाद उन्होंने ‘OYE: Open Your Eyes’ नाम का अपना ऑर्गनाइजेशन शुरू किया, जिसका मकसद महिलाओं के लिए सेफ़ स्पेसेज़ बनाना था. ‘पहले मैंने सोचा था कि फ़ीमेल ड्राइवर्स की एक कैब सर्विस शुरू करूं’, योगेश एक इंटर्व्यू में बताते हैं ‘मगर हर किसी के पास गाड़ी या उसके लिए लोन लेने का पैसा नहीं है. इसलिए हम ई-कॉमर्स की तरफ़ बढ़े.’
योगेश कुमार
योगेश ने यह कंपनी दो सेकंड हैंड स्कूटियों के साथ शुरू की. फिर वह महिला CEOs से जुड़े, जिन्हें डिलीवरी के लिए कर्मचारियों की ज़रूरत थी. दो विमेंस वेयर कंपनीज़, Vajor और Flyrobe, इनके मुख्य क्लाएंट हैं. पर जहां क्लाएंट्स ढूंढना आसान था, एम्पलाइज ढूंढना उतना ही मुश्किल. योगेश आसपास की झुग्गियों से लड़कियां रिक्रूट करने गए, तो उनके परिवारों ने ऐतराज़ जताया. उन्होंने कहा कि सामान डिलीवर करना लड़कियों का काम नहीं है. या यह काम सेफ़ नहीं है.
The New Yorker के साथ एक इंटरव्यू में योगेश ने कहा, ‘इसी मानसिकता को बदलने के लिए मैंने यह कंपनी शुरू की. औरतों को सड़क पर निकलने से डरना नहीं चाहिए. डरते रहने से कुछ नहीं बदलेगा.’ फिर भी योगेश ने लड़कियों के परिवरों को यकीन दिलाया कि उनकी बेटियां शाम के बाद कोई डिलीवरी करने नहीं जाएंगी और किसी अनसेफ़ इलाके में भी नहीं जाएंगी. वह सिर्फ़ विमेंस प्रॉडक्ट्स ही डिलीवर करेंगी, ताकि उन्हें किसी मर्द से बात न करनी पड़े.
औरतों का सामान ही डिलीवर करती हैं लड़कियां
ईवन कार्गो की शुरुआत दस एम्पलाइज से हुई थी. आज ये कंपनी अनगिनत औरतों की ज़िंदगियां बदल रही है. एक एम्पलाई, तबस्सुम के घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. पूरे परिवार में उनके पिता कुछ 9000 रुपए कमाते थे. तबस्सुम के ईवन कार्गो में काम शुरू करने के बाद यह संख्या दुगनी हो गई है. आर्थिक हालत बेहतर हुई है. तबस्सुम के पास आज अपनी स्कूटी है और एक बैंक अकाउंट भी. एक और कर्मी की मां को आंखों के ऑपरेशन की ज़रूरत थी. जो अपनी सैलरी से उसने कराया भी. और कई औरतों को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाकर ईवन कार्गो ने उन्हें आज़ाद किया.
ईवन कार्गो ने कई ज़िंदगियां बदली हैं
योगेश कहते हैं कि डिलीवरी का काम इन औरतों के लिए सबसे अच्छा है क्योंकि इसे करने के लिए ज़्यादा एजुकेशन या क्वालिफिकेशंस की ज़रूरत नहीं है. वह यह भी कहते हैं, ‘मैं बाकी सबकी तरह इनसे सिलाई या हैंडीक्राफ्ट्स का काम नहीं कराना चाहता था. कोई ऐसा काम करवाना चाहता था जो ज़्यादातर मर्द करते हैं.’
'मर्दोंवाला काम' करती लड़कियां
ईवन कार्गो ‘विमेन एंपावरमेंट’ नहीं, ‘विमेन एंपावर’ में विश्वास रखता है. योगेश कहते हैं, ‘हम दिखाना चाहते हैं कि औरतों को अब एंपावरमेंट की ज़रूरत नहीं. क्योंकि अब वे दूसरों को प्रेरणा देकर उन्हें एंपावर कर सकतीं हैं’.
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