अगर बच्चा आंखों में देखकर बात न करे, नाम पुकारने पर भी न सुने, तो फौरन डॉक्टर के पास जाएं
हो सकता है आपका बच्चा ऑटिस्टिक हो.
2 अप्रैल. आज है वर्ल्ड ऑटिज्म डे. ऑटिज्म डे एक डिसऑर्डर है. आज के दिन दुनियाभर में ये कोशिश की जाती है कि इसके बारे जागरुकता फैलाई जाए. क्योंकि ये डिसऑर्डर पैदाइशी होता है, इसलिए जब तक बच्चा थोड़ा बड़ा नहीं हो जाता, ये पकड़ में नहीं आता. मां-बाप अक्सर कुछ ज़रूरी लक्षण पर ध्यान देना मिस कर जाते हैं. इस वजह से बच्चे का सही समय पर इलाज नहीं शुरू होता. पर सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि ऑटिज्म आखिर होता क्या है?
ऑटिज्म क्या है?
सरल शब्दों में समझें तो ये नेउरो बहविओरल डिसऑर्डर है. यानी ब्रेन (दीमाग) से जुड़ा हुआ. हमारा सोचना, समझना, बात करना, किसी चीज़ को महसूस करना, या उसपर रिएक्ट करना हमारे ब्रेन के कंट्रोल में होता है. इस डिसऑर्डर की वजह से इससे ग्रसित बच्चे बिहेवियर में थोड़ा अलग होते हैं.
बच्चों पर इसका क्या असर पड़ता है?
जिन बच्चों को ऑटिज्म होता है उनको बातचीत करने में दिक्कत आती है. दूसरे क्या सोचते और महसूस करते हैं, ये समझने में उनको दिक्कत आती है. अपनी बात कह पाना, व्यक्त कर पाना इन बच्चों के लिए बहुत मुश्किल होता है.
ऑटिस्टिक बच्चा बहुत ही सेंसिटिव होता है. जल्दी परेशान हो जाता है. आवाज़, टच, स्मेल, जैसी चीज़ें जो दूसरों को नॉर्मल लगें, वो इन बच्चों को बहुत परेशान कर देती हैं.
हमने डॉक्टर निशी वर्मा से बात की. वो चाइल्ड साइकोलोजिस्ट हैं. फ़ोर्टिस मुंबई में. उन्होंने हमें कुछ ऐसे लक्षण बताए, जिनपर मां-बाप को ध्यान देना चाहिए. ताकि ऑटिज्म जल्दी पकड़ में आए.
(फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)
क्या हैं वो लक्षण
-आपका बच्चा आई कॉन्टैक्ट नहीं करता. यानी वो बात करते समय या सुनते समय आंखों में नहीं देखता. अनजान लोगों से बच्चे सहज नहीं होते. पर अगर अपने घरवाले या मां-बाप से भी बच्चा आंखें नहीं मिला पाता तो ये चिंता की बात है.
-अगर आपका बच्चा किसी चीज़ को लेकर एक्साइटेड है तो उसका बिहेवियर नोटिस करिए. अगर वो कोई एक्शन लगातार रिपीट कर रहा है तो इस पर ध्यान दीजिए. जैसे लगातार हाथों को हिलाना, उंगलियां हिलाना, और अपने शरीर को आगे पीछे हिलाते रहना.
-बच्चे अक्सर कुछ ऐसी बातें बोल जाते हैं जो हमें समझ में नहीं आती. पर ऑटिज्म में बच्चे एक ही बात को बार-बार बोलते हैं. ज़्यादातर ये शब्द या वाक्य सेंस नहीं बनाते. ये बातें वो लगभग गाते-गाते बोलते हैं.
-अगर आपका बच्चा कुछ आवाजें सुनकर अपने कानों पर हाथ रख ले, तो इसपर ध्यान दीजिए. जैसे दरवाज़ा बंद होने की आवाज़, फ्लश की आवाज़, टीवी की आवाज़. ये सब सुनकर ऑटिज्म से ग्रसित बच्चा बहुत परेशान हो जाता है. साथ ही तेज़ रोशनी से भी उसे दिक्कत होती है.
(फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)
-आपका बच्चा अगर खिलौनों से खेलने के बजाय उनकी पड़ताल करता रहे, तो आपको थोड़ा सतर्क हो जाना चाहिए. उसे पूरे खिलौने में नहीं, बल्कि उसके सिर्फ़ एक पुर्ज़े में इंटरेस्ट होता है. साथ ही, उसे बाकी बच्चों के साथ नहीं, अकेले खेलना पसंद होता है.
-आमतौर पर बच्चे अपना नाम सुनकर किसी तरह का रिएक्शन देते हैं. बार ऑटिस्टिक बच्चे ऐसा नहीं करते. कई बार आप उनका नाम पुकारती रहिए, पर वो सुनकर भी रिएक्ट नहीं करते.
अगर आपके बच्चों में ये लक्षण आपने नोटिस किए हैं, तो फौरन उसे बच्चों के डॉक्टर के पास लेकर जाइए. वहां उसके कुछ टेस्ट होंगे, जिससे पता चलेगा उसे ऑटिज्म है या नहीं. ये जितना जल्दी पकड़ में आ जाए, उतना अच्छा है. इसका कोई इलाज नहीं है, पर ट्रीटमेंट की मदद से बच्चों में काफ़ी सुधार लाया जा सकता है.
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