औरत प्रेगनेंट थी इसलिए नौकरी से निकाल रहे थे कंपनी वाले, कोर्ट से परसाद पा गए

इन्हें थप्पड़ से डर नहीं लगता, मैटरनिटी लीव से लगता है.

ईशा चौधरी ईशा चौधरी
दिसंबर 13, 2018
फ़ोटो क्रेडिट: Pixabay

मई 2017 में डेप्युटी डिरेक्टरेट ऑफ़ एजुकेशन ने गेस्ट टीचर्स की मांग की थी. दिल्ली सरकार की इस संस्था को अपने गेस्ट टीचर पैनेल के लिए लोग चाहिए थे. जो शारीरिक तौर पर स्वस्थ हों और ज़रूरत पड़ने पर किसी भी स्कूल में जाकर पढ़ा सकें. एक महिला ने हिंदी की टीचर के तौर पर अप्लाई किया था. सितंबर में उन्हें सिलेक्ट भी कर लिया गया. और उनके डॉक्युमेंट्स की जांच भी हो गई.

28 जनवरी 2018 को वह मां बनीं. दो दिन बाद ही फ़रमान आया कि उन्हें 1 से 3 फ़रवरी के बीच डिरेक्टरेट ऑफिस आना है. कुछ और फ़ॉर्मैलिटीज़ पूरी करने के लिए. कुछ ही दिन पहले ऑपरेशन से बेबी करने के बावजूद वह ऑफ़िस गईं. मगर वहां उन्हें कहा गया कि क्योंकि वह अभी मां बनी हैं और उनका सी-सेक्शन हुआ है, उन्हें काम पर नहीं रखा जा सकता. यही नहीं, अफ़सरों ने उनका अटेंडेंस लगाने से इनकार कर दिया. और उनसे बहुत बदतमीज़ी से पेश आए.

महिला का सी-सेक्शन हुआ था, इसलिए  उन्हें नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया. फोटो क्रेडिट: Pixabayमहिला का सी-सेक्शन हुआ था, इसलिए उन्हें नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया. फोटो क्रेडिट: ABC.net

महिला ने दिल्ली हाइ कोर्ट को अर्ज़ी पेश की. अर्ज़ी उस सरकारी नियम के खिलाफ़ थी जिसके मुताबिक़ मेडिकल सर्टिफिकेट के बगैर उन्हें काम से बर्खास्त किया जा सकता है.

बुधवार 12 दिसंबर को हाइ कोर्ट ने महिला की अर्ज़ी स्वीकार कर ली. साथ में यह आदेश दिया कि महिलाओं को अपने कार्यालय में इज़्ज़त दी जानी चाहिए. कोई एम्प्लॉयी गर्भवती हो तो उसका खास ध्यान रखना एम्प्लॉयर का फर्ज़ है. साथ ही अगर उसे कोई शारीरिक तकलीफ़ हो तो एम्प्लॉयर को समझना चाहिए.

जस्टिस सुरेश कैत ने कहा, ‘मां बनना एक औरत की ज़िंदगी का बहुत स्वाभाविक और प्राकृतिक हिस्सा है. एम्प्लॉयर्स को इस हालात में एम्प्लॉयी की शारीरिक तकलीफ़ों और ज़रूरतों का खास ध्यान रखना चाहिए. पेट में बच्चा लिए या उसे जन्म देने के बाद काम करने में क्या दिक्कतें आ सकती हैं, यह एम्पॉयर को ध्यान रखना चाहिए.’

जस्टिस सुरेश कैत. फोटो क्रेडिट: judicialreforms.orgजस्टिस सुरेश कैत. फोटो क्रेडिट: judicialreforms.org

कोर्ट ने डिरेक्टरेट ऑफ़ एजुकेशन को इस राय के मुताबिक नए नियम लागू करने को दो हफ़्ते दिए हैं.

ये इकलौती जगह नहीं है जब गर्भवती औरत या प्रेग्नेंसी प्लान कर रही औरत को नौकरी पर या तो रखा नहीं जाता. या किसी बहाने चलता कर दिया जाता है. इस लॉजिक के साथ कि अब वो मैटरनिटी लीव लेंगी तो काम कौन करेगा. अरे जनाब, औरतें बच्चे पैदा करती हैं, इसीलिए आप लोग काम कर पा रहे हैं और ये कंपनियां चल पा रही हैं. आपको आपको कुछ महसूस करना ही है तो शुक्रगुजार महसूस करिए.

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group