उस बहादुर लड़की की कहानी, जिसने दाती महाराज का राशिफल बदल दिया
सुनाई रेप की रात की पूरी कहानी, जिसे सुनकर रूह कांप जाए.
मैं, ... , आज आपसे उस बारे में शिकायत करने जा रही हूं, जिसे डर के कारण, पारिवारिक खात्मे के डर के कारण बताने की कभी हिम्मत न कर सकी. मगर अब घुट-घुट कर जिया नहीं जाता. भले ही मेरी जान क्यों न चली जाए, जिसकी मुझे पूरी आशंका है. फिर भी मरने से पहले यह सच सबके सामने लाना चाहती हूं.
इसके बाद जो सच इस लड़की ने बताया, वो ऐसा था, जिसे वो अपने पिता के सामने बोल भी न सकती थी. हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स के दफ्तर में बैठी पीड़ित बेटी और उसके पिता एक-दूसरे को देख भी नहीं पा रहे थे. वो बाप अपनी उस बेटी की आंखों में कैसे देख पाएगा जिसका रेप हुआ हो? वो भी उस आदमी ने वो रेप किया हो, जिसके प्रति लड़की के माता-पिता की असीम श्रद्धा थी..
क्या किया दाती ने?
9 जनवरी, 2016, यानी आज से दो साल पहले की बात है जब लड़की को चरण-सेवा के लिए बुलाया गया. मगर अन्दर जाकर लड़की को पता चलने वाला था कि दाती मदनलाल राजस्थानी चरण की नहीं, अपने हिंसक इरादों की सेवा चाह रहा था. लड़की के मुताबिक़ ये महज पहली बार था जब उसके साथ पेनीट्रेटिव (यानी आरोपी ने अपना प्राइवेट पार्ट जबरन लड़की के प्राइवेट पार्ट में डाला) रेप किया गया. इसके बाद उसी साल मार्च 26, 27, 28 को ये हिंसा दोहराई गई. जो बात परेशान करती है, वो ये कि इस काम में दाती का साथ दो औरतें देती रहीं. जिनका नाम लड़की ने श्रद्धा और नीतू बताया है. लड़की के मुताबिक़ नीतू ने उसे बताया:
'बाबा समंदर हैं और हम सब उनकी मछलियां हैं. ये काम कोई नया नहीं है. सभी करते आए हैं. इसे कर्ज समझो और चुका दो.' नीतू ने लड़की को बताया था कि इससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी.
जिस अंधेरी गुफा में लड़की को ले जाया गया था वहां इतनी कम रौशनी थी, कि AC में जलने वाली छोटी सी बत्ती पर भी टेप लगा दिया गया था. दाती मदनलाल ने राजस्थानी भाषा में कहा था कि इधर-उधर क्या भटकना. मैं सब वासना ख़त्म कर दूंगा.
नवभारत टाइम्स में छपे इस ख़त में ये भी लिखा है कि दाती ने रेप करने के बाद लड़की से कहा, 'तुम्हारी सेवा ख़त्म हुई.'
वो हथियार डाल सकती थी, मगर
मगर उसने ऐसा नहीं किया. उसने तय किया कि वो इस बात की शिकायत करेगी. शिकायत करते हुए लड़की को पता था कि इसके बाद शायद वो जीवित न बचे. शायद इसके बाद उसके माता-पिता पर हमला कर दिया जाए. मगर उसे न्याय की एक उम्मीद दिख रही थी. जब वो दाती की अंधेरी गुफा में उसके द्वारा की गई हिंसा बर्दाश्त कर ले गई, तो जान का खतरा भी बर्दाश्त कर जाएगी. एक घायल औरत के पास खोने को ज्यादा कुछ बचा नहीं होता.
शिकायत के पीछे दो ही वजहें थीं. जो उसके जीवन का लक्ष्य भी बन चुकी हैं. पहला, उसे न्याय मिले. दूसरा, जो उसके साथ हुआ, किसी और के साथ न हो. लड़की बताती है कि रेप के बाद उसकी इच्छाशक्ति मर चुकी थी. वो कभी न ख़त्म होने वाले ट्रॉमा में थी. उसने पिछले दो साल कैसे बिताए, किसी आम लड़की के लिए तो इसकी कल्पना करना भी डरावना है.
फिर भी बिना किसी का साथ पाने की अपेक्षा के वो पुलिस स्टेशन गई.
क्या हुआ पुलिस स्टेशन में
सबसे पहले लड़की कालकाजी थाने गई. वहां उसे सुबह 11 से शाम साढ़े 4 बजे तक बिठाए रखा. कई पुलिस वालों ने एक-एक कर उसकी शिकायत पढ़ी. मगर FIR किसी ने दर्ज नहीं की. बल्कि लड़की को ये कहकर भगा दिया कि केस तो फतेहपुर बेरी इलाके का है.
पर अंततः फतेहपुर बेरी में लड़की की शिकायत दर्ज हुई. जिसके बाद महिला आयोग तक भी बात गई. महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने तुरंत मामला अपने हाथ में लिया. और दिल्ली पुलिस को लड़की की सुरक्षा और मामले की जांच के लिए नोटिस जारी किया.
गुफा, अंधेरा और सेवा के नाम पर रेप. ये अब हमारे देश में नई बात नहीं रह गई है. मगर दशकों से चल रहे इस यौन उत्पीड़न के खिलाफ अगर आज औरतें लड़ पा रही हैं तो वो इसलिए कि उन्हें हिम्मत मिल रही है. आसाराम और गुरमीत राम-रहीम जैसे कमीनों के खिलाफ भी ऐसी ही किसी लड़की ने बेख़ौफ़ होकर शिकायत की थी.
मीडिया में जब भी रेप केस बड़े बनते हैं, फोकस इस बात पर होता है कि रेपिस्ट कितना बुरा था. इसपर कम बात होती है कि शिकायत करने वाली लड़कियां कितनी बहादुर हैं..
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