राहुल गांधी के जीवन की विडंबना देखिए, सोनिया उनकी मां हैं और वो स्त्री-विरोधी टिप्पणी कर रहे हैं

निर्मला सीतारमण औरत हैं तो क्या वो संसद में बहस नहीं कर सकतीं?

राहुल गांधी आजकल खुश हैं. पहले से ज्यादा. इतने खुश हैं कि वो अंट-संट बोलने को भी अपनी ‘परफॉरमेंस’ में गिनने लग गए हैं. इसका लेटेस्ट उदाहरण मिला अभी राफेल डील पर हो रही बहस के बाद.

लेकिन उसके पहले ज़रा सा बैकग्राउंड. जुम्मा-जुम्मा चार दिन नहीं हुए. राहुल गांधी को प्रोग्रेसिव विचार की मशाल उठाए. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष के तौर पर ट्रांसजेंडर अप्सरा रेड्डी को नियुक्त किया गया. लोगों ने बड़ी तारीफ की. कितने प्रोग्रेसिव, कितने अच्छे. देश की पार्टी सबकी पार्टी फलाना-फलाना.

 

apsara_011019033545.jpgअप्सरा रेड्डी, जिनको महिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.

 

राफेल के ऊपर संसद में चली बहस. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सवाल-जवाब किए. उसके ठीक बाद जयपुर की रैली में राहुल गांधी ढाक के तीन पात रह गए. इस किसान रैली में उनने कहा,

’जनता की अदालत से 56 इंच की छाती वाला चौकीदार भाग गया. और एक महिला से जाकर कहता है, सीतारमन जी आप मेरी रक्षा कीजिए. मैं अपनी रक्षा नहीं कर पाउंगा, आप मेरी रक्षा कीजिए. और आपने देखा ढाई घंटे महिला रक्षा नहीं कर पाईं’.

rahul-3-pti_750x500_011019033126.jpgतस्वीर: पीटीआई

 

जिन लोगों को इसमें कुछ भी गलत नहीं लग रहा हो, उनके लिए बता देते हैं. राहुल अगर किसी भदेस जगह पर पले बढ़े होते तो कहते, ‘औरत के पल्लू में जाकर छिप गया’. क्योंकि जो उन्होंने कहा है, उसका मतलब है यही.

पर यहां रुक जाएं तो वो राहुल गांधी कैसे हुए. इसके बाद उनने एक ट्वीट और किया. मोदी के नाम:

स्टॉप शेकिंग, बी अ मैन.

इस ट्वीट की शुरुआत में लिखा था, 'हमारे कल्चर में औरतों की इज्जत घर से शुरू होती है'.

ये राहुल गांधी की लाइफ की विडंबना है.

पीएम मोदी को मर्द बनने की बात कहकर क्या साबित करना चाहते हैं राहुल गांधी?

इस ‘मर्द’ की परिभाषा में ऐसा क्या आता है जिसे वो मोदी जी को सिखाना चाहते हैं? मर्द बनने का मतलब एक्जेक्टली होता क्या है? क्या निर्मला सीतारमण को बहस नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वो औरत हैं? क्या मुश्किल समय में कांप जाना औरत होने का पर्याय होता है. शास्त्रों में इसे ही सेक्सिस्म कहा गया है. यानी पुरुष को महिला से ताकतवर और बेहतर समझना.

नेता बड़ा या पार्टी?

राहुल गांधी पचास की उम्र को छू रहे एक मशहूर नेता हैं. विपक्ष का चेहरा हैं. देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष हैं. उस औरत के बेटे हैं जिसने कांग्रेस को राजीव गांधी की मौत के बाद संभाला. और दस साल सत्ता में रहने लायक बनाया.

राहुल गांधी ये याद रखें. कि पिछले कुछ समय में, पीएम नरेंद्र मोदी के विरोध में लोग इसलिए भी आए हैं, क्योंकि उनकी पार्टी के लोगों ने बेहद महिला विरोधी बातें कीं. खुद पीएम मोदी ने गालीबाजों-धमकीबाजों को ट्विटर पर फॉलो किया.  राहुल अगले पीएम बनने की कोशिश में हैं. वो भी इसी तरह की सड़ी-गली बात करेंगे तो उनमें और बाकियों में अंतर क्या रहेगा? कौन मुंह से वोट मांगेंगे?

modi-into_750x500_011019033246.jpgतस्वीर: पीटीआई

पार्टी बड़ी या पार्टी?

जब बात औरतों के बारे में जहर उगलने की आती है, तो कोई भी पीछे नहीं रहता. Collateral Damage एक चीज होती है. मतलब दो लोगों के बीच मार-पीट में टेबल टूट जाए. या पाइप फट जाए. तो वो कोलैटरल डैमेज कहा जाएगा.

इसी तरह दो या दो से ज्यादा पार्टियों के बीच कुकुर झौं-झौं होती है तो बहिन मायावती कुरूप कहाती हैं, सोनिया बार गर्ल हो जाती हैं, सुनंदा पुष्कर पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड हो जाती हैं. उस समय एक दूसरे की पार्टी की औरतें उनकी घर की प्रॉपर्टी माफिक दिखाई देती हैं.

RLD नेता अजीत सिंह स्मृति ईरानी को हट्टी कट्टी गाय कहते हैं. JDU के नेता नीरज कुमार मीसा भारती को शूर्पनखा कहते हैं. दिग्विजय सिंह मीनाक्षी नटराजन को टंच माल कह देते हैं. प्रधान सेवक सोनिया गाँधी को कांग्रेस की विधवा कहते हैं और उनकी जीभ नहीं लजाती. आपस में चलती पॉलिटिकल राईवलरी के लिए औरतों के कंधे पर रख कर बन्दूक चलती है और खूब चलती है.

जनता बड़ी या पार्टी?

राहुल पर गुस्सा होना लाज़िमी है. बेहद ज़रूरी है. क्योंकि वो विकल्प बनने आए हैं. कांग्रेस को रीइन्वेंट करने की बात कर रहे हैं.  

इनकी सोशल मीडिया हेड दिव्या स्पंदना हैं. राहुल उनके सहारे ट्विटर पर हीरो बन रहे हैं. पर मोदी सरकार के लिए निर्मला सीतारमण बहस करें. ये बर्दाश्त नहीं हो रहा. वाह.  

notice-ncw_011019033348.jpgनेशनल कमीशन फॉर विमेन का नोटिस, जो राहुल गांधी को भेजा गया

नेशनल कमीशन ऑफ विमेन ने राहुल गांधी को नोटिस भेजा है इस बात पर. कमीशन ने इस पूरे मुद्दे में राहुल की कही हुई बात को महिला विरोधी और ऑफेंसिव माना है. राहुल इस पर क्या एक्सप्लेनेशन देते हैं, ये बेकार की बात है. माफ़ियां बहुत देखीं हैं हमने. उसमें एक और जुड़ जाए तो क्या ही बदलेगा.

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