लिपस्टिक लगाने पर भाई को चिढ़ा रहे थे लोग, बहन ने सबकी बोलती बंद कर दी
चलिए, अब कुछ परिभाषाओं को पीछे छोड़ दें.
'जेंडर कुछ नहीं होता. कल मैंने और भैया दोनों ने रेड लिपस्टिक लगाया था, दीदी के साथ. आप पूछ लो.'
9 साल के कूज़ ने ये बात तब कही जब वो अपनी बहन की पिंक कलर की साइकिल चलाने जा रहा था. और पिंक साइकिल की वजह से उसे चिढ़ाया गया.
कूज़ जिसे परिवार से लेकर दोस्त तक सिर्फ इसलिए चिढ़ाते थे, उसका मज़ाक उड़ाते थे क्योंकि उसे लिपस्टिक लगाना, नेल पॉलिश करना, स्कर्ट पहनना पसंद है. ये चीज़े तो लड़कियों को पसंद होती हैं, इसलिए कूज़ सबकी नज़र में उपहास का केंद्र बना. लेकिन अब कूज़ इनके मज़ाक की वजह नहीं बनेगा. वो हर काम पूरे कॉन्फिडेंस से करेगा, जो वो करना चाहता है...
ये इसलिए संभव हो सका है क्योंकि कूज़ के कज़न ने उसका साथ दिया. उसे महसूस कराया कि उसे अपनी इच्छाएं दबाने की जरूरत नहीं है. उसकी अपनी पहचान है, जो मर्दाना या जनाना कैटगरी से ऊपर है.
इसी 18 जून की बात है. जब कूज़ ने लिपस्टिक लगाई. बस फिर क्या था, उसको छक्का कहा गया, मज़ाक बनने लगा. इसलिए वो पर्दे के पीछे या बिस्तर पर जाकर छिपने लगा ताकि उसकी मां उसे न देख सकें.
फिर कूज़ के भाई-बहनों ने जो किया उसे हम एक क्रांति की शुरुआत कह सकते हैं. जेंडर-न्यूट्रेलिटी को समर्थन देने का आगाज़ कह सकते हैं.
कूज़ की कज़न दीक्षा बिजलानी, उनके भाई गीत बिजलानी, साथ में एक और बहन ने लिपस्टिक लगाई. फिर उसे बुलाया. दीक्षा के भाई को लिपस्टिक लगाया देख कूज़ को बेहतर फील हुआ.
दीक्षा अपने फेसबुक पोस्ट पर बताती हैं कि उनके भाई ने तमामा मर्दाना परिभाषाओं को छोड़ कूज़ को सहज किया. दीक्षा लिखती हैं, 'हमें ये समझना चाहिए, ये हमारी जिम्मेदारी है कि हर बच्चे को स्त्री और पुरुष इन दो जेंडर की परिभाषा में जबरन ढालने की कोशिश न करें. बल्कि उन्हें एक सुरक्षित माहौल दें, जहां वो खुद को खोए बिना अपनी पहचान बना सकें.'
ये इस परिवार का स्टैंड है कि अब कूज़ अपनी अपनी पसंद का हर वो काम कर रहा है, जिसे आमतौर पर हमारे समाज में पूरी तरह से नकार दिया जाता है. सिर्फ इसीलिए क्योंकि हमने ज्यादातर चीजों को सिर्फ दो जेंडर के इर्द-गिर्द ही वगीकृत कर रखा है. इसीलिए जब कूज़ को ये कहकर चिढ़ाया गया कि वो लड़कियों जैसे पिंक साइकिल चला रहा है, तो कूज़ ने जवाब दिया, 'जेंडर रीयल नहीं होता.'
Update: Today, Little Cuz picked up his sister’s pink bicycle. Uncle ridiculed him for riding on a pink bicycle like a girl (bec that’s how petty my fam is). He retorts & says “Gender real nai hota. Kal mene aur bhaiya dono ne red lipstick lagaya tha didi ke saath. Aap puchlo” 😊
— Diksha Bijlani (@BijlaniDiksha) June 19, 2018
जेंडर को सिर्फ दो या तीन कैटगरी में नहीं बांटा जा सकता. ये अपने में काफी विस्तृत है. जरूरी नहीं कि सभी उन मान्यताओं में फिट बैठें, जो पहले से तय हैं. अगर किसी के व्यक्तित्व में कुछ अलग है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो बेकार है. सबका अपना एक अस्तित्व है और उसी के मुताबिक उन्हें उनकी पहचान बनाने की आज़ादी मिलनी चाहिए.
लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे