बिहार: मंत्री 'दौरे' पर आए थे, सामने बच्ची मर गई, मां को कौन जवाब देगा?

बिहार में चमकी बुखार से सौ से ज्यादा बच्चे मर चुके हैं, उनके परिवार वालों की हालत देखी नहीं जा रही

बिहार में चमकी बुखार से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.

बिहार में इन्सेफलाइटिस की वजह से बच्चों की मौत हो रही है. ये प्रेमचंद की किसी कहानी की लाइन नहीं है. ये खबर आप 2019 में पढ़ रहे हैं.

हिंदी में चमकी बुखार कह लीजिए या फिर अंग्रेजी में एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम. दोनों का एक ही मतलब है, मौत. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बिहार में इन दिनों ये चमकी बुखार कहर बरपा रहा है. रोज बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं.

मुजफ्फरपुर के चाइल्ड स्पेस्लिस्ट डॉक्टर अरुण के मुताबिक चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा ही रहता है. बदन में ऐंठन होती है. बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं. कमज़ोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है. यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है. कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा. जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है.

इस बुखार का गर्मी से सीधा कनेक्शन है. दिमागी बुखार से जितने बच्चों की मौत हुई है, वो मई, जून और जुलाई के महीने में ही हुई है. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी का सबसे ज्यादा कहर सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया और वैशाली ज़िले में है. चूंकि इन ज़िलों में अस्पताल की स्थिति अच्छी नहीं है इसीलिए सभी इलाज के लिए मुज़फ्फरपुर की तरफ ही भाग रहे हैं. हालत ये है कि मुज़फ्फरपुर के एसकेएमसीएच यानी श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती होने वाले ज्यादातर बच्चे इन्हीं ज़िलों के हैं.

enceph-gen-2_061819073750.jpgतस्वीर: इंडिया टुडे

अभी तक बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की वजह से 129 बच्चों की मौत हो चुकी है. ये सरकारी आंकड़ा है, जिसे श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने जारी किया है. अगर गैर सरकारी आंकड़ों की माने तो ये संख्या 250 के पार हो चुकी है. अभी हाल में रिपोर्टर्स ने अस्पताल के भीतर जाकर स्थिति पर रिपोर्ट की. वहां देखने में आया कि डॉक्टर्स की कमी है. भाजपा के एक कार्यकर्ता आईसीयू के नर्स रजिस्टर के पास जूते पहन कर बैठे दिखाई दिए. अब जाकर सुध आई तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वहां पहुंचे हैं.

हमारे सूत्रों ने बातचीत करके पता लगाया आखिर जिन मांओं ने अपने बच्चों को खोया, वो किस हालत में हैं. उनकी कौन सुन रहा है?

निशा 17 जून को अस्पताल में आई थी. पांच साल की थी. राजापुर में रहती थी. एक दिन मुश्किल से भर्ती रही. डॉक्टर हर्षवर्धन की विजिट के समय ही गुजर गई. उसकी मां बिलख-बिलख कर रो रही हैं. कह रही हैं, चमकी बुखार हलई.

nisha-mom_061819074650.jpg

निशा की मां को कौन जवाब देगा? और एक निशा ही यहां ऐसी बच्ची नहीं है जिसकी जान गई है.

सुहानी खातून की मां ने भी अपनी बच्ची खो दी.

khatoon-2-750x500_061819074011.jpgतस्वीर: आजतक

woman-tv_061819074228.jpgमीडिया के सामने इनका गुस्सा फूट रहा है, क्योंकि अस्पताल में कोई सुन नहीं रहा.

ऊपर तस्वीर में मौजूद महिला ने बताया कि बच्चों के साथ आने वालों के साथ क्या बर्ताव किया जा रहा है. ‘कोई व्यवस्था नहीं है. बोलते हैं तो धक्का मार के कहता है सीट पे पड़ जाइए. अभी हमको लेडी डॉक्टरनी और कभी लेडीज पुलिस बुलवाकर धक्का मार के निकलवा दिया.’

enceph-kid-mom_061819074332.jpgजो बच्चे जिंदा हैं, भर्ती हो रहे हैं, उनके लिए स्ट्रगल बहुत मुश्किल है.

इनका बच्चा जब से भर्ती है तब से डॉक्टर ही नहीं आए हैं. जब पूछा गया कि आखिर बार डॉक्टर कब आए थे, तो बताया कि भर्ती हुआ था तब आए थे. उसके बाद से कोई देखने भी नहीं आया.

encephalitis-gen_061819074409.jpgवॉर्ड की ये हालत है. तस्वीर: आजतक

नीतीश सरकार पर उंगलियां उठ रही हैं कि आखिर मामला हाथ से इतना कैसे निकल गया. उन पर सवाल उठाए जा रहे हैं. जोकि ज़रूरी भी हैं. लेकिन सरकार की तरफ से संतोषजनक जवाब आने के बजाए केवल बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं. जब 2017 में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 60 से भी ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी, तब उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था, ‘हर साल अगस्त में बच्चों की मौतें होती ही हैं’. यहां भी बच्चों में इन्सेफलाइटिस का मामला था. 60 से अधिक बच्चों की मौत ऑक्सिजन सप्लाई खत्म हो जाने की वजह से हुई थी, ऐसा रिपोर्ट्स ने कहा. अब देखना ये है कि सरकार को किसी भी ज़िम्मेदारी से बचने के लिए अब क्या बहाना बनाना सूझता है.

ये भी पढ़ें: डॉक्टर भगवान नहीं होता, इस बात को समझने की जरूरत है

देखें वीडियो: 

   

 

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group