पुलेला गोपीचंद की बेटी होना अपराध तो नहीं होना चाहिए
किसी की बेटी होने के कारण उसका टैलेंट नहीं पहचाना जाएगा?
भारत में क्रिकेट के बाद बैडमिंटन को सबसे ज़्यादा पहचान मिली है. 1980 के दौर में प्रकाश पादुकोण ने विश्व बैडमिंटन में अपनी धाक जमाई. वहीं 2000 का दौर पुलेला गोपीचंद के नाम रहा. 2015 में सायना नेहवाल वर्ल्ड रैंकिंग में नम्बर वन बनीं. इन सभी खिलाड़ियों की बदौलत भारत ने दुनिया में बैडमिंटन में बहुत नाम कमाया.
18 अगस्त से एशियन गेम्स शुरू होने वाले हैं. इन खेलों की शुरूआत से पहले बैडमिंटन टीम का चुनाव किया गया. इस टीम सलेक्शन पर सवाल उठ रहे हैं. खासतौर पर गोपीचंद की बेटी गायत्री गोपीचंद के सलेक्शन पर. बैडमिंटन डबल्स प्लेयर अपर्णा बालन ने कहा है कि उन्हें इस टीम का हिस्सा होना चाहिए था. जबकि बैडमिंटन असोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस साल के खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया को और अधिक जटिल बनाने का प्रयास किया था. बीएआई ने एशियन गेम्स से पहले दो सलेक्शन टूर्नामेंट रखे थे. साथ ही सलेक्शन का क्राइटेरिया भी तय कर दिया था. इंटरनेशनल रैंकिंग, घरेलू प्रदर्शन और खिलाड़ियों के इन ऑल प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ियों का चयन किया गया.
इस मुद्दे पर इंडियन एक्सप्रेस ने बीएआई के अध्यक्ष हिमान्ता बिस्वा शर्मा से कुछ सवाल-जवाब किए. इन सवालों में शर्मा ने बताया कि पूरी सलेक्शन कमेटी ने मिल कर खिलाड़ियों का चयन किया है. ये पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है. हमारी सलेक्शन कमेटी की मिटिंग में विमल कुमार और अपर्णा पोपट जैसे पूर्व खिलाड़ी हैं. गायत्री गोपीचंद के चयन पर जो सवाल उठ रहे हैं उसके जवाब में शर्मा बताते हैं कि मेरे पास मीटिंग्स की ऑडियो क्लिप्स हैं. पुलेला गोपीचंद खुद अपनी बेटी को चयनित करने के लिए मना कर रहे हैं. उनका कहना है कि चाहे जो भी हो उन पर सवाल उठाए ही जाएंगे. शर्मा बताते हैं कि उन्होंने ही पुलेला गोपीचंद को कहा कि गायत्री को उनकी बेटी होने के कारण कोई नुकसान क्यों उठाना पड़े.
पुलेला गोपीचंद के सलेक्शन कमेटी में होने के बारे में शर्मा कहते हैं-
‘गोपीचंद बैडमिंटन के फुल टाइम कोच हैं. वो सभी खिलाड़ियों के बारे में सबसे बेहतर तरीके से जानते हैं. उन्हें सलेक्शन कमेटी से बाहर रखना बैडमिंटन के भविष्य लिए अच्छा नहीं है. मैं उन्हें सलेक्शन कमेटी से बाहर रहने के लिए बोल सकता हूं पर इसका मतलब ये होगा कि हम भारतीय बैडमिंटन को दांव पर लगा रहे हैं. उनकी कमी को कौन पूरा कर पाएगा?’
एशियन गेम्स के बाद बाएआई अध्यक्ष प्रकाश पादुकोण से बात करने के बारे में सोच रहे हैं. उनका मानना है कि सभी लोग उनका सम्मान करते हैं. शर्मा प्रकाश पादुकोण से सलाह लेना चाहते हैं, जानना चाहते हैं कि वो लोग कहां ग़लती कर रहे हैं. वो बताते हैं कि क्रिकेट की तरह बैडमिंटन में बहुत बड़े नाम नहीं है. पुलेला गोपीचंद और प्रकाश पादुकोण ही वो बड़े नाम हैं जिनसे बैडमिंटन की भावी पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है. हम पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. हम कोशिश करेंगे कि जल्द-से-जल्द इन परेशानियों को खत्म किया जा सके.
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